नई दिल्ली: कोरोना वैक्सीन को लेकर केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने कहा है कि मैं ये साफ कर देना चाहता हूं कि मैंने पूरे देश के लोगों के लिए टीकाकरण की बात नहीं की है.
यह महत्वपूर्ण है कि हम ऐसे वैज्ञानिक मुद्दों पर चर्चा करें, जो केवल तथ्यात्मक जानकारी पर आधारित हों. दरअसल स्वास्थ्य सचिव से पूछा गया था कि पूरे देश में टीकाकरण करने में कितना समय लगेगा, जिसके जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव ने ये बात कही.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि सरकार का कोविड-19 वैक्सीन को प्रत्येक व्यक्ति को देने का कोई इरादा नहीं है. केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने प्रेस वार्ता के दौरान कहा, 'वैक्सीन हिचकिचाहट एक अंतर्निहित मुद्दा है, जिसका प्रतिकूल घटनाओं से कोई लेना-देना नहीं है. आबादी का एक वर्ग सोचता है कि उसे टीकाकरण की आवश्यकता नहीं है.' हालांकि भूषण ने कहा कि वैक्सीन के बारे में लोगों के बीच आशंकाओं को दूर करना केंद्र और राज्य सरकार की जिम्मेदारी है.
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बता दें कि मंगलवार की प्रेस वार्ता में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि देशभर में अब तक 14.13 करोड़ लोगों की कोविड-19 जांच की जा चुकी है. स्वास्थ्य सचिव के मुताबिक देशभर में संक्रमित होने की दर 11 नवंबर को 7.15 प्रतिशत थी जो एक दिसंबर को 6.69 फीसदी रह गई.
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि एक नवंबर से एक दिसंबर के बीच महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल,आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल कोविड-19 के उपचाराधीन मरीजों की संख्या में कमी देखी गई है.
पूरी आबादी को वैक्सीन की जरूरत शायद न पड़े : आईसीएमआर
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के महानिदेशक प्रो. बलराम भार्गव ने भी कहा कि सरकार का उद्देश्य है कि पहले जनसंख्या के एक बड़े पैमाने पर टीकाकरण करके वायरस की श्रृंखला को तोड़ा जाए. अगर हम थोड़ी आबादी (क्रिटिकल मास) को वैक्सीन लगाकर कोरोना ट्रांसमिशन रोकने में कामयाब रहे तो शायद पूरी आबादी को वैक्सीन लगाने की जरूरत न पड़े.'
हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि वैक्सीन की प्रभावकारिता एक मुद्दा है, क्योंकि यह कुछ व्यक्तियों पर इसका 60 प्रतिशत प्रभाव हो सकता है जबकि दूसरों में यह 70 प्रतिशत प्रभावकारी भी हो सकती है.