नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि सरकार ने लॉकडाउन और कंटेनमेंट जैसे एतहतियाती कदम नहीं उठाए होते तो अब तक देश में कोरोना वायरस संक्रमण के कुल केस 8.2 लाख पहुंच गए होते. स्वास्थ्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि एक लाख से अधिक आइसोलेशन बिस्तरों और 11,500 आईसीयू बिस्तरों के साथ देशभर में कुल 586 अस्पतालों को कोरोना वायरस के इलाज के लिए विशेष हॉस्पिटल के रूप में चिह्नित किया गया है.
उन्होंने कहा कि सरकार ने देश में कोरोना वायरस संक्रमण वाले क्षेत्र (हॉटस्पॉट) की पहचान के लिए पहले से ही एहतियाती कदम उठा रखे हैं.
वहीं, एक प्रश्न के उत्तर में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'आईसीएमआर द्वारा आर्डर किए गए पांच लाख एंटी बॉडी टेस्टिंग किट अभी तक प्राप्त नहीं हुए हैं.'
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक पिछले 24 घंटे में देशभर में कोरोना वायरस के 1035 नए मामले सामने आए हैं और 40 लोगों की मौत हुई है. इस तरह, देशभर में संक्रमित लोगों की कुल संख्या बढ़ कर 7,447 पहुंच गई और अब तक 239 मौत दर्ज की गई है.
अग्रवाल ने कहा, 'कोरोना वायरस मरीजों के इलाज के लिए 586 विशेष अस्पतालों को राज्य और केंद्र स्तर पर शुरू किया गया है. देशभर में एक लाख आइसोलेशन बेड और 11,500 गहन चिकित्सा इकाई (आईसीयू) बिस्तर कारोना वायरस से संक्रमित मरीजों के लिए रखे गए हैं. इस आंकड़े में प्रतिदिन वृद्धि हो रही है.'
उन्होंने कहा, 'हमने मामलों की वृद्धि दर का विश्लेषण किया है. हमने पाया कि 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लगाया गया और 25 मार्च से लॉकडाउन लागू किया गया. सांख्यिकी विश्लेषण के मुताबिक लॉकडाउन और कोरोना वायरस संक्रमण वाले इलाकों को सील किए जाने जैसे अन्य उपायों के अभाव में मामलों में 15 अप्रैल तक 41 प्रतिशत की वृद्धि होती और संक्रमण के मामले 8.2 लाख पहुंच जाते.'