नई दिल्लीःसोमवार को लोकसभा में भारतीय चिकित्सा परिषद (MCI) की जगह पर राष्ट्रीय चिकित्सा कमेटी को ले आने वाले विधेयक को पेश किया गया. विधेयक पर गहन चर्चा के बाद सदन में विधेयक को पारित कर दिया गया. स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने इसे प्रगतिशील कानून चिकित्सा व्यवसाय में आने वाली कठिनाईयों को दूर करने वाली पहल करार दिया.
विधेयक को सदन मे पेश करते हुए स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन ने कहा कि राष्ट्रीय चिकित्सा कमेटी (NMC) में एक राष्ट्रीय रजिस्टर बनाने का प्रावधान है. इसमें अलग से योग्य एलोपैथिक स्वास्थ्य कर्मियों को सूचीबद्ध किया जाएगा.
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि 'इससे राष्ट्रीय रोग नियंत्रण कार्यक्रम के लिए भारी संख्या में सामुदायिक स्वास्थ्य कर्मियों की उपल्बधता कराई जा सकेगी.'
भारतीय चिकित्सा परिषद अधिनियम 1956 की जगह पर आने वाला यह विधेयक गरीब तबके को मेडिकल शिक्षा मुहैया कराएगा. NMC द्वारा जारी किए मुख्य बिंदुओं के आधार पर निजी और डीम्ड विश्नविद्यालयों में 50 प्रतिशत सीटों का शुल्क निर्धारण किया जाएगा.
हर्षवर्धन आगे कहते हैं, 'राष्ट्रीय चिकित्सा कमेटी विधेयक 2019 जिसको आज सदन में पेश किया गया है वह गरीबों का समर्थन करने वाला प्रगतिशील विधेयक है. इस विधेयक से चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलाव आएंगे.'
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस नीति अपना रही है. मेडिकल सिटों के आवंटन में होने वाले भ्रष्टाचार को रोकने के लिए सरकार नई नीतियां ले आई है.
मेरिट के आधार पर आवंटित होने वाली सीटों मे वृद्धि की गई है, स्नातक और परा-स्नातक कि सीटों के अनुपात मे भी वृद्धि की गई है. काई मेडिकल कालेज बनाए गए हैं और कई AIIMS बनाए जाएंगे.
हर्षवर्धन ने बताया कि संसद की विभागिय स्थायी समिति की 109वीं रिपोर्ट में दिए गए 30 सुझावों को पूरी तरह मान लिया गया था. सात को आंशिक रूप में माना गया था और नौ को विचार करने के बाद अस्वीकार किया गया था. उन्होंने कहा कि भारतीय चिकित्सा संघ की सभी समस्या का समाधान किया गया है.
उन्होंने बताया कि 2010 में MCI की कार्य प्रणाली को लेकर तत्कालीन स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आजाद संसद में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव लेकर आए थे. MCI को भंग कर 2013 में उसका पुनर्गठन किया गया था. इसके बाद MCI को लेकर शिकायतें फिर से आने लगी थी.