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तीस हजारी कोर्ट झड़प : HC ने दिया न्यायिक जांच और वकीलों को मुआवजे का आदेश

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Published : Nov 3, 2019, 9:56 PM IST

तीस हजारी कोर्ट परिसर में शनिवार को पुलिस और वकीलों के बीच हुई हिंसक झड़प के मामले में सुनवाई करते दिल्ली हाईकोर्ट ने इस घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिये हैं. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह इस मामले के अभियुक्त पुलिस अफसरों को तुरंत सस्पेंड करे. साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी निर्देश दिया कि वह घायल वकीलों के इलाज की समुचित व्यवस्था करे. जानें क्या है पूरा विवरण...

तीस हजारी कोर्ट झड़प.

नई दिल्ली : दिल्ली हाईकोर्ट ने तीस हजारी कोर्ट परिसर में पुलिस और वकीलों के बीच हुई हिंसक झड़प के मामले में सुनवाई करते हुए घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिये हैं.

चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने रिटायर्ड जज जस्टिस एसपी गर्ग के नेतृत्व में जांच का आदेश दिया और कमेटी को छह महीने में जांच पूरी करने का निर्देश दिया.

सीबीआई, आईबी और विजिलेंस के निदेशक को निर्देश
दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआई, आईबी और विजिलेंस के निदेशक को निर्देश दिया कि वे या तो खुद अथवा उनके द्वारा नियुक्त वरिष्ठ अधिकारी जस्टिस एसपी गर्ग की कमेटी को सहयोग करें.

कोर्ट ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वो जस्टिस एसपी गर्ग की कमेटी को जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर जैसे ऑफिस, कार, क्लर्क, स्टेनोग्राफर, चपरासी इत्यादि उपलब्ध कराएं.

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अभियुक्त पुलिस अफसरों को तुरंत सस्पेंड करने का आदेश
कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वह इस मामले के अभियुक्त पुलिस अफसरों को तुरंत सस्पेंड करे. उनके खिलाफ आगे की कार्रवाई आंतरिक जांच रिपोर्ट आने के बाद की जाएगी. कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि इस मामले में तुरंत एफआईआर दर्ज करें.

कोर्ट ने एफआईआर की कॉपी कोर्ट में पेश करने का निर्देश दिया. कोर्ट ने दिल्ली सरकार को भी निर्देश दिया कि वह घायल वकीलों के इलाज की समुचित व्यवस्था करे.

कोर्ट ने घायल वकील विजय वर्मा को पचास हजार रुपये और अन्य घायल वकीलों को 15 हजार और दस हजार रुपये देने का आदेश दिया.

सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने दिल्ली पुलिस से पूछा कि कितनी एफआईआर दर्ज हुई हैं तो दिल्ली पुलिस ने कहा कि अब तक चार एफआईआर दर्ज की गयी हैं. एक एफआईआर भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के तहत दर्ज की जाएगी.

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दिल्ली पुलिस ने सुनवाई के दौरान कहा कि झड़प के दौरान दो राउंड गोलियां चलायी गयीं, जिनमें तीन वकील घायल हुए हैं. घायल वकीलों में विजय वर्मा, सागर शर्मा और पंकज कुमार दुबे शामिल हैं.

दिल्ली पुलिस ने उन पुलिसकर्मियों के नाम भी बताये, जो इसमें लिप्त थे. दिल्ली पुलिस ने बताया कि इस झड़प में 14 बाइक और पुलिस की जिप्सी जलायी गयी हैं.

घटनास्थल की फोरेंसिक जांच
दिल्ली पुलिस ने बताया कि घटनास्थल की फोरेंसिक जांच की गयी है. डीसीपी के नेतृत्व में एसआईटी का गठन किया गया है. जांच क्राइम ब्रांच को सौंप दी गयी है.

दिल्ली पुलिस ने बताया कि जिस एएसआई पर वकील को लॉकअप रूम में ले जाने का आरोप है. उसे सस्पेंड कर दिया गया है. वकील को लॉकअप में ले जाने की वजह से ही स्थिति बिगड़ गयी.

डिस्ट्रिक्ट कोर्ट की बार एसोसिएशन की ओर से वकील मोहित माथुर ने कहा कि यह कहना गलत है कि एक ही व्यक्ति ने गोली चलाई. ये किसी को बलि का बकरा बनाने की कोशिश है. ये अपनी टीम को बचाने की कोशिश है. पुलिस को कोर्ट परिसर में लोडेड हथियार ले जाने की अनुमति नहीं है.

उन्होंने कहा कि महिला वकीलों ने भी शिकायत की है कि उनके साथ बदतमीजी की गयी. एक वकील को 14 पुलिसकर्मी लॉकअप रूम में खींचकर ले गये. इसके सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध हैं. हमें हमारे कार्यस्थल पर पीटा गया.

मोहित माथुर ने कहा कि पुलिस की ओर से दर्ज एफआईआर में बिना कोर्ट की अनुमति के कोई कार्रवाई नहीं होनी चाहिए. वे वकीलों को विलेन के रूप में पेश कर रहे हैं.

तय समय सीमा में हो जांच
बार काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से कहा गया कि जांच एक तय समय सीमा में होनी चाहिए. घायल वकीलों को राज्य सरकार की ओर से मुआवजा मिलना चाहिए.

तीस हजारी कोर्ट की बार एसोसिएशन ने कहा कि घायल वकीलों का इलाज एम्स में कराया जाना चाहिए. दिल्ली बार काउंसिल की ओर से केसी मित्तल ने कहा कि स्पेशल पुलिस कमिश्नर के नेतृत्व में आंतरिक विभागीय जांच एक छलावा है.

उन्होंने कहा, 'संदिग्ध पुलिस अधिकारियों पर कार्रवाई हो. हम जांच का इंतजार नहीं कर सकते. जिस पुलिस अधिकारी के आदेश से गोली चलायी गयी, उसे तुरंत गिरफ्तार किया जाना चाहिए.'

उन्होंने कहा कि हरिंदर सिंह नामक जिस पुलिसकर्मी ने गोली चलाई, उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, केवल उसका तबादला किया गया.

सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष ने कहा कि यह घटना न्यायिक व्यवस्था पर हमला है. इस घटना की सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट के रिटायर्ड जज के नेतृत्व में न्यायिक जांच होनी चाहिए.

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दिल्ली हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने कहा कि हम कोर्ट परिसर में दिल्ली पुलिस को नहीं देखना चाहते हैं, किसी और पुलिस बल की तैनाती की जाए.

गौरतलब है कि चीफ जस्टिस डीएन पटेल ने रविवार को दिन में वरिष्ठ जजों और दिल्ली पुलिस के अधिकारियों के साथ बैठक करने के बाद इस मामले पर स्वतः संज्ञान लिया.

दोपहर बाद कोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार, बार काउंसिल ऑफ इंडिया, दिल्ली बार काउंसिल और दिल्ली के सभी डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के बार एसोसिएशन को नोटिस जारी कर उन्हें तीन बजे सुनवाई के लिए तलब किया.

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