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कृषि अध्यादेशों पर सियासत शुरू, किसानों को मिला विपक्ष का साथ - पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा

केंद्र सरकार का दावा है कि ये तीनों अध्यादेश कृषि क्षेत्र में क्रांति ला देंगे, वहीं अब मैदान में विपक्ष भी कूद पड़ा है. हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने कहा कि वो किसानों पर हुए अत्याचार कि कड़े शब्दों में निंदनीय है.

Farmer agriculture ordinance
किसान कृषि अध्यादेश

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Published : Sep 12, 2020, 10:50 AM IST

Updated : Sep 12, 2020, 12:45 PM IST

चंडीगढ़ :हरियाणा में केंद्र सरकार की तरफ से लाए गए तीन अध्यादेशों को लेकर बवाल मचा हुआ है. प्रदेशभर के किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. 10 सितंबर को पूरे प्रदेश में 'किसान बचाओ, मंडी बचाओ' नारे के साथ किसान और आढ़ती सड़कों पर उतर आए. भारतीय किसान संघ और अन्य किसान संगठनों ने कुरुक्षेत्र के पिपली में राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया. माहौल इतना खराब हो गया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज भी कर दिया.

किसान और कृषि अध्यादेश पर रिपोर्ट

क्यों हो रहा है बवाल?
कोरोना काल में इस तरह के प्रदर्शन की यह हैरान कर देने वाली तस्वीरें हैं, लेकिन किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले यह सवाल भी जहन में आता है कि केंद्र सरकार के इन तीनों अध्यादेशों में ऐसा क्या है, जिसके विरोध में किसानों को आज सड़कों पर उतरना पड़ा, लाठियां खानी पड़ीं, फिर भी सरकार अपने फैसले पर अड़ी हुई है. तो चलिए हम आपको बताते हैं.

व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश:
इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं, इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान
उपरोक्त विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात न कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.

मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश:
इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है.

इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान
इस अध्यादेश से किसानों को डर है कि किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं. यह कहना है प्रदर्शन करने वाले किसानों का.

आवश्यक वस्तु अधिनियम (संशोधन) अध्यादेश:
देश में कालाबाजारी को रोकने के लिए साल 1955 में आवश्यक वस्तु अधिनियम बनाया गया था. इस अधिनियम के तहत कोई भी व्यक्ति एक निश्चित मात्रा से अधिक खाद्य वस्तुओं का भंडारण नहीं कर सकता था.

कांग्रेस अध्यक्षकुमारी सैलजा ने की निंदा
केंद्र सरकार का दावा है कि यह तीनों अध्यादेश कृषि क्षेत्र में क्रांति ला देंगे, वहीं अब मैदान में विपक्ष भी कूद पड़ा है. हरियाणा कांग्रेस की अध्यक्ष कुमारी शैलजा ने कहा कि वह किसानों पर हुए अत्याचार की कड़े शब्दों में निंदा करती हैं. सरकार निजीकरण पर उतारू हो चुकी है.

किसानों के मुकदमे वापस नहीं हुए तो जिहाद छेड़ देंगे: हुड्डा
वहीं, कांग्रेस नेता और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि किसानों पर लाठीचार्ज किया जाना, भाजपा सरकार की कफन में आखिरी कील साबित होगी. उन्होंने कहा, 'मैं सरकार को 10 दिन का समय देता हूं, अगर किसानों पर दर्ज मुकदमे वापस नहीं किए गए तो हम जिहाद छेड़ देंगे.'

कहीं लाठी चार्ज नहीं हुआ: गृहमंत्री
एक तरफ जहां विपक्ष सरकार को घेर रहा है, वहीं प्रदेश के गृहमंत्री अनिल विज ने हैरान करने वाला बयान दिया है. उनका कहना है कि कहीं पर भी लाठी चार्ज नहीं हुआ, किसी का भी मेडिकल नहीं हुआ.

पढ़ें-किसानों की सरकार को चेतावनी, अध्यादेश वापस नहीं लिया तो 20 को हरियाणा सील कर देंगे

जिस कॉन्फिडेंस के गृहमंत्री बोल रहे हैं, हो सकता है कि विज को सही जानकारी नहीं दी गई, या फिर वह अपने विभाग की गलती को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं, क्योंकि इस वीडियो में अन्नदाता पर पड़ रही लाठियां सच्चाई बयां कर रही हैं. बहरहाल अब यह लाठियां सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकती हैं, क्योंकि विपक्ष अब किसानों को साथ लेकर सरकार को घेरने में जुट चुका है.

Last Updated : Sep 12, 2020, 12:45 PM IST

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