चंडीगढ़ :हरियाणा में केंद्र सरकार की तरफ से लाए गए तीन अध्यादेशों को लेकर बवाल मचा हुआ है. प्रदेशभर के किसानों ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. 10 सितंबर को पूरे प्रदेश में 'किसान बचाओ, मंडी बचाओ' नारे के साथ किसान और आढ़ती सड़कों पर उतर आए. भारतीय किसान संघ और अन्य किसान संगठनों ने कुरुक्षेत्र के पिपली में राष्ट्रीय राजमार्ग को जाम कर दिया. माहौल इतना खराब हो गया कि पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को तितर-बितर करने के लिए लाठीचार्ज भी कर दिया.
क्यों हो रहा है बवाल?
कोरोना काल में इस तरह के प्रदर्शन की यह हैरान कर देने वाली तस्वीरें हैं, लेकिन किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले यह सवाल भी जहन में आता है कि केंद्र सरकार के इन तीनों अध्यादेशों में ऐसा क्या है, जिसके विरोध में किसानों को आज सड़कों पर उतरना पड़ा, लाठियां खानी पड़ीं, फिर भी सरकार अपने फैसले पर अड़ी हुई है. तो चलिए हम आपको बताते हैं.
व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) अध्यादेश:
इस अध्यादेश में किसानों को देश में कहीं भी अपनी फसल बेचने की सुविधा मिलेगी. किसानों की फसल को कोई भी कंपनी या व्यक्ति खरीद सकता है. वहीं, इस अध्यादेश में किसानों को तीन दिन के अंदर पैसे मिलने की बात कही गई है.
इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान
उपरोक्त विवाद को न्यायालय में चुनौती नहीं दी जा सकती है. जिससे किसानों को डर है कि कंपनियों के दबाव में आकर सरकार उनके साथ विश्वासघात न कर दे. इस बात को लेकर किसान डरे हुए हैं.
मूल्य आश्वासन एवं कृषि सेवा समझौता अध्यादेश:
इस अध्यादेश के तहत सरकार ने कॉन्ट्रैक्ट खेती को बढ़ावा देने की बात कही है.
इस अध्यादेश से क्यों नाखुश हैं किसान
इस अध्यादेश से किसानों को डर है कि किसान अपने ही खेतों में मजदूर बनकर रह जाएंगे. जिसके विरोध में किसान सड़क पर प्रदर्शन कर रहे हैं. किसानों के पास लंबे समय तक भंडारण करने की क्षमता नहीं है. जिससे उनको अपने उत्पादों को कंपनियों को बेचना ही पड़ेगा और कंपनियां जब चाहें इन वस्तुओं का दाम बढ़ा कर लोगों से पैसे ऐंठ सकती हैं. यह कहना है प्रदर्शन करने वाले किसानों का.