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हरिद्वार के 'तिलकधारियों' की मजबूरी, दिन में मंदिर-शाम को फैक्ट्रियों में 'ओवर टाइम'

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Published : Aug 5, 2020, 10:06 PM IST

धर्मनगरी हरिद्वार के मंदिरों में काम करने वाले वेद पाठियों और पुराहितों पर भी कोरोना की ऐसी मार पड़ी है कि वो फैक्ट्रियों में करने को मजबूर हो गए हैं.

DOC Title * -haridwar priests facing financial crises-due-to-corona-effect-on-temples
हरिद्वार के 'तिलकधारियों' की मजबूरी, दिन में मंदिर-शाम को फैक्ट्रियों में 'ओवर टाइम'

हरिद्वार : कोरोना महामारी की मार से देश-दुनिया में हाहाकार मचा है. रोजमर्रा की जीवन पटरी से उतर गया है. कई लोगों के रोजगार के साधन तक चौपट हो गये हैं तो कई लोग दूसरों साधनों को अपना रहे हैं. ऐसा ही कुछ धर्मनगरी के पुजारियों और वेद पाठियों के साथ भी हो रहा है. भगवान की भक्ति में लीन रहकर मंदिरों की देखरेख और पूजा-अर्चना का काम संभालने वाले ये लोग कोरोना काल में दूसरा काम करने को मजबूर हो गये हैं.

हरिद्वार हरकी पैड़ी पर स्थित गंगा मंदिर के प्रमुख देशबंधु शर्मा ने ईटीवी भारत को बताया कि उनके पास इस मंदिर में लगभग 8 वेद पाठी कार्य करते हैं. इन सभी की ड्यूटी शिफ्ट के तहत लगाई जाती है. यह सिलसिला सुबह 5 बजे से शुरू होता है. चार लोग मंदिर की साफ-सफाई, भगवान को स्नान कराना और भक्तों को दर्शन करवाते हैं.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट...

दूसरी शिफ्ट दिन में 2 बजे बदलती है और रात 11 बजे तक चलती है. इस मंदिर में कार्य करने वाले तमाम पुजारियों और वेद पाठियों को लगभग 7 से 8 हजार तनख्वाह दी जाती है. महीने का राशन और दूसरे खर्च भी मंदिर की ओर से समय-समय पर दिए जाते रहे हैं लेकिन कोरोना काल की परिस्थिति अलग है.

अब भक्तों के हर की पैड़ी न आने से वेद पाठी केवल दिन के समय मंदिरों में पहुंच रहे हैं और नाइट शिफ्ट में सिडकुल की अलग-अलग कंपनियों में काम कर रहे हैं. ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उन्होंने बताया कि इस वक्त तमाम पुजारी, वेद पाठी आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं. अचानक आर्थिक दबाव आ जाने से पुजारियों की मजबूरी बन गई है कि उन्हें अब ठेकेदारों के अधीन होकर फैक्ट्रियों में काम करना पड़ रहा है.

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ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से इस ओर ध्यान देने की अपील की. उन्होंने कहा कि सरकारें तमाम सेक्टर्स पर ध्यान दे रही हैं लेकिन इस काम को सालों से करने वाले वेद पाठियों, पुजारियों और तीर्थ पुरोहितों पर सरकार का अबतक ध्यान नहीं गया है.

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