नई दिल्ली : केंद्रीय गृह राज्य मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर के हालात का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा था कि 'जम्मू और कश्मीर में आतंकवादी हिंसा के पिछले इतिहास को ध्यान में रखते हुए, सीमा पार से लगातार समर्थन किया जा रहा है, आतंकवादी घटनाओं पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से वहां कुछ निवारक कदम उठाए गए हैं. कुछ प्रतिबंध भी लगाए गए हैं.
जम्मू-कश्मीर में लोगों का विश्वास जीतने पर ध्यान दे सरकार: सीपीएम - जम्मू कश्मीर में लोगों का विश्वास
आतंकवादी गतिविधियों के डर से आम लोगों को इंटरनेट जैसी सुविधा से वंचित रखे जाने का सरकारी तर्क आधारहीन है. ये कहना है कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (मार्क्सवादी) (संक्षिप्त में- सीपीएम) का. सीपीएम ने कहा है कि अगर भारत के किसी क्षेत्र में आतंकवादी गतिविधियों का आशंका है तो उसे सरकार को कड़ी कार्रवाई करके उसे अंजाम तक पहुंचाना चाहिए. आम लोगों की परेशानी बढ़ा कर इसका हल ढूंढने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.
रेड्डी ने यह भी कहा था कि जम्मू-कश्मीर के हालात की लगातार समीक्षा की जा रही है, और उसके हिसाब से प्रतिबंधों में ढील भी दी जा रही है. सरकार के इस पक्ष पर ईटीवी भारत ने सीपीएम नेता हन्नान मोल्लाह से खास बातचीत की. मोल्लाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से वहा इतने सारे प्रतिबंध लगाए गए हैं. लोगों के पास संचार के साधन ठप पड़े हुए हैं और आम आदमी को कई महीनों से इतनी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
उन्होंने कहा कि सरकार आतंकवादी घटना की आड़ में लोगों के सारे अधिकारों को दबाने की कोशिश कर रही है. सरकार के इस दावे पर कि घाटी में पूरी तरह शांति है, क्योंकि वहां सुरक्षा बल अधिक संख्या में मौजूद हैं, हन्नान मोल्लाह ने कहा, 'भय कि वजह से शांति लंबे वक्त तक नहीं टिकती है, विश्वास के साथ कायम की गई शांति दीर्घकालिक होती है, हमें लोगों का विश्वास जितने पर जोर देना चाहिए साथ ही लोगों का प्रशासन पर विश्वास फिर से कायम कराने के लिए एक स्वस्थ माहौल बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि बिना लोगों का विश्वास जीते हम जम्मू कश्मीर के आम लोगों का दिल नहीं जीत सकते.