नई दिल्ली : अयोध्या पर ऐतिहासिक फैसले में उच्चतम न्यायालय ने कहा कि भगवान राम की जन्मभूमि के दर्शन के लिए सन 1510-11 में सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव ने अयोध्या की यात्रा की थी, जो हिंदुओं की आस्था और विश्वास को और दृढ़ करता है कि यह स्थल भगवान राम का जन्मस्थान है.
फिलहाल गुरु नानक देव के 550 वें प्रकाशवर्ष पर समारोह आयोजित किए जा रहे हैं.
शीर्ष अदालत ने कहा कि रिकॉर्ड पर लाये गये जनम साखी में गुरु नानक देवजी की अयोध्या की यात्रा का वर्णन है, जहां उन्होंने भगवान राम के जन्मस्थान का दर्शन किया था.
उच्चतम न्यायालय ने शनिवार को ऐतिहासिक फैसले में एक सदी से अधिक पुराने मामले का पटाक्षेप करते हुए अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया और साथ में व्यवस्था दी कि पवित्र नगरी में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित की जाए.
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई के नेतृत्व वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने बिना किसी का नाम लेते हुये कहा कि पांच न्यायाधीशों में से एक ने इसके समर्थन में एक अलग से सबूत रिकॉर्ड किया कि विवादित ढांचा हिंदू भक्तों की आस्था और विश्वास के अनुसार भगवान राम का जन्म स्थान है.
संबंधित न्यायाधीश ने अलग से रखे गये सबूतों में कहा कि राम जन्मभूमि की सही जगह की पहचान करने के लिए कोई सामग्री नहीं है, लेकिन राम की जन्मभूमि के दर्शन के लिए गुरु नानक देवजी की अयोध्या यात्रा एक ऐसी घटना है, जिससे पता चलता है कि 1528 ईसवी से पहले भी तीर्थयात्री वहां जा रहे थे.
शीर्ष अदालत में कहा गया था कि बाबरी मस्जिद का निर्माण मुगल सम्राट बाबर ने 1528 में करवाया था.