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गुजरात : दो विधायकों को जान का खतरा, राष्ट्रपति को पत्र लिख मांगी सुरक्षा

गुजरात में बीटीपी के विधायक छोटू वसावा और उनके बेटे महेश ने खुद की जान को खतरा बताया है. 24 जून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे पत्र में उन्होंने सुरक्षा की मांग की है.

आदिवासी पार्टी के विधायक
आदिवासी पार्टी के विधायक

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Published : Jun 26, 2020, 11:03 AM IST

अहमदाबाद : गुजरात में राज्यसभा चुनाव में मतदान से दूर रहने के कुछ दिनों बाद भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) के विधायक छोटू वसावा और उनके विधायक बेटे महेश ने खुद की जान को खतरा बताया है. उन्होंने राष्ट्रपति को एक पत्र लिखकर सुरक्षा की गुहार लगाई है.

बीटीपी विधायक छोटू वसावा का पत्र

भरुच जिले की झगड़िया सीट से विधायक छोटू वसावा ने किसी का नाम लिए बिना दावा किया कि उनकी जान खतरे में है, क्योंकि वह भाजपा शासित राज्य में विपक्ष में हैं और सामाजिक न्याय और आदिवासियों के अधिकारों के लिए लड़ रहे हैं.

24 जून को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को लिखे पत्र में छोटू वसावा ने दावा किया है कि सामंतवादी मानसिकता के लोग नागरिकों के बीच दरार पैदा कर रहे हैं. जिससे समाज में अशांति फैल रही है. उन्होंने आगे कहा कि गुजरात सरकार ने पूर्व में पुलिस और असामाजिक तत्वों के साथ मिलकर फर्जी मुठभेड़ों की साजिश रची थी और भविष्य में भी ऐसा हो सकता है.

बीटीपी विधायक महेश भाई वसावा का पत्र

छोटू वसावा बीटीपी के संस्थापक हैं, उनके पुत्र महेश नर्मदा जिले में डेडियापाडा सीट का प्रतिनिधित्व करते हैं और आदिवासी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. 182 सदस्यीय गुजरात विधानसभा में बीटीपी पार्टी के दो विधायक हैं.

छोटू वसावा ने पत्र में कहा है कि वह और उनके बेटे आदिवासियों की उपेक्षा को उजागर करने के लिए 19 जून को हुए राज्यसभा चुनाव से दूर रहे. हम पर हमले की संभावना है, जिसके मद्देनजर जल्द से जल्द सुरक्षा प्रदान की जाए.

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राज्यसभा चुनाव से दूर रहे वसावा का कहना है कि वह वोट केवल उन लोगों को देंगे, जो आदिवासियों के कल्याण के लिए संविधान की अनुसूची 5 के कार्यान्वयन के बारे में लिखित आश्वासन देंगे.

गुजरात में राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस और भाजपा दोनों को ही विधायक पिता-पुत्र का समर्थन मिलने का भरोसा था, लेकिन दोनों ने मतदान के लिए रुख नहीं किया. भाजपा ने तीन सीटें जीतीं, जबकि कांग्रेस को केवल एक सीट से संतोष करना पड़ा.

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