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'मास्क नहीं पहनने पर सामुदायिक सेवा के निर्देश का पालन करवाना कठिन' - देखभाल केंद्र में सामुदायिक सेवा

गुजरात सरकार का कहना है कि इसका पता लगाना मुश्किल है कि मास्क नहीं पहनने के लिए दंडित किए जाने वाले लोगों ने कोविड-19 देखभाल केंद्रों में सामुदायिक सेवा की है या नहीं.

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Published : Dec 1, 2020, 10:56 PM IST

अहमदाबाद :गुजरात सरकार ने मंगलवार को उच्च न्यायालय को सूचित किया कि इस पर नजर रखना बहुत कठिन है कि मास्क नहीं पहनने के लिए दंडित किए जाने वाले लोगों ने क्या कोविड-19 देखभाल केंद्रों में सामुदायिक सेवा की.

महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने कहा कि इस पर नजर रखना काफी मुश्किल है कि लोग निर्देश के मुताबिक सामुदायिक सेवा करेंगे या नहीं.

मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने गुजरात में कोरोना वायरस की स्थिति पर पिछले दिनों एक जनहित याचिका पर सुनवाई की थी. पीठ ने मास्क नहीं पहनने के लिए कई बार पकड़े जा चुके लोगों को कोविड-19 देखभाल केंद्र में सामुदायिक सेवा के लिए भेजने के एक प्रस्ताव पर सरकार का जवाब मांगा था.

वकील विशाल अवतानी ने जनहित याचिका दायर की थी.

महाधिवक्ता ने कहा, हमारे पास यह देखने के लिए ऐसा तंत्र होना चाहिए, जिससे पता लगे कि लोग सामुदायिक सेवा के लिए गए या नहीं. इस कार्य पर नजर रखने के लिए अतिरिक्त कर्मियों को लगाना होगा. इसमें बहुत समय लगेगा.

उन्होंने कहा कि सरकार ने सख्त निगरानी की व्यवस्था की है और मास्क पहनने पर जोर दे रही है.

अदालत ने कहा कि राज्य के निवेदन पर गौर करने के बाद वह बुधवार को इस पर आदेश जारी करेगी.

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न्यायमूर्ति नाथ ने कहा कि एक सप्ताह बाद महामारी की स्थिति सुधरने या बिगड़ने पर नहीं, बल्कि अभी फैसला करना जरूरी है. न्यायमूर्ति पारदीवाला ने कहा कि केवल जुर्माना लगाने से काम नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि विचार का मकसद लोगों को नियम का उल्लंघन करने से रोकना है.

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