नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाये जाने के 60 दिन से अधिक हो गये हैं. देश के विभिन्न क्षेत्रों से जुड़े बुद्धिजीवियों की टीम ने प्रदेश के जमीनी स्तर पर एक रिपोर्ट तैयार की है. रिपोर्ट में दावा किया गया है कि जम्मू कश्मीर के लोग खुद को हाशिए पर धकेला हुआ मान रहे हैं. वे सरकार के इस निर्णय से अशांत व नाराज हैं और स्वयं को अपमानित महसूस कर रहे हैं.
बता दें, टीम में अनिरुद्ध कला (मनोचिकित्सक) ब्राइनेल डिसूजा (शिक्षक), रेवती लॉल (पत्रकार) और शबनम हाशमी (सामाजिक कार्यकर्ता) शामिल है. इस टीम ने शनिवार को प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में संवाददाताओं को रिपोर्ट के बारे में जानकारी दी.
गौरतलब है कि टीम के सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया, ताकि अनुच्छेद 370 के हटाये जाने के बाद के प्रभाव को जान सकें. उन्होंने सुरक्षा घेरा, लोगों की नाकाबंदी और संचार को लेकर 76 पेज की एक रिपोर्ट तैयार की है. जिसका नाम है - कश्मीर सिविल डिसऑबिडिएंस (KashmirCivilDisobedience) है.इसमें कश्मीर के लोगों के अघात, प्रतिरोध, भय जैसे मुद्दों को ध्यान में रखा गया है.
सामाजिक कार्यकर्ता शबनम हाशमी कहा, 'हर कश्मीरी के दिल में यही एक तमन्ना है कि क्या हिन्दुस्तान में रहने वाले लोग उसके बारे में सोच रहे हैं, जो हमारे ऊपर बीत रहा है. क्या हिन्दूस्तानियों की समझ में आ रहा है कि दो महीना बगैर इंटरनेट बगैर मोबाइल बगैर टेलीफोन और बगैर वाईफाई के जीने का मतलब क्या होता है. जब किसी की मौत हो जाती है. मां के जनाजे में उसकी बेटी और बेटा नहीं पंहुच पाए तो उसका मतलब क्या होता है.'