नई दिल्ली :पर्यावरण विशेषज्ञों ने रविवार को कहा कि पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में मानवीय हस्तक्षेप बढ़ने से यह जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील हो गया है. उत्तराखंड के चमोली जिले में जोशीमठ में एक ग्लेशियर टूटने से राज्य में भीषण बाढ़ आ गई.
ग्लेशियर के टूटने से धौली गंगा नदी में भीषण बाढ़ आई और हिमालय के ऊपरी इलाकों में बड़े पैमाने पर तबाही हुई. ग्रीनपीस इंडिया के वरिष्ठ जलवायु एवं ऊर्जा प्रचारक अविनाश चंचल ने इस पर कहा, 'घटना के सटीक कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है और इसकी ईमानदार जांच की आवश्यकता है, लेकिन यह स्पष्ट है कि पारिस्थितिकीय रूप से संवेदनशील हिमालयी क्षेत्र में मानव हस्तक्षेप बढ़ रहा है जो इसे जलवायु परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील बना रहा है.'
उन्होंने कहा, 'पर्यावरण के लिहाज से संवेदनशील क्षेत्रों में भारी निर्माण कार्य से बचा जाना चाहिए. हिमालयी क्षेत्र के लिए वर्तमान विकास मॉडल के बारे में पुनर्विचार करने की आवश्यकता है.'
एक अन्य विशेषज्ञ एवं जलवायु परिवर्तन पर अंतर सरकारी पैनल की महासागरों और क्रायोस्फीयर पर एक विशेष रिपोर्ट के प्रमुख लेखकों में से एक अंजल प्रकाश ने कहा कि प्रथमदृष्टया ऐसा प्रतीत होता है ऐसा जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिंग के कारण हुआ है जिससे अब 'एक खतरनाक और अपरिवर्तनीय स्थिति' बन गई है.