नई दिल्ली/सूरत : राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की पौत्रवधु शिवालक्ष्मी का आठ मई, 2020 को निधन हो गया था. बापू की 95 साल की पौत्रवधु ने सूरत के ग्लोबल हॉस्पिटल में अंतिम सांस ली थी.
बता दें, शिवालक्ष्मी, महात्मा गांधी के पौत्र कनुभाई गांधी की पत्नी थीं. कनुभाई, महात्मा गांधी के तीसरे पुत्र रामदास के पुत्र थे.
जानकारी के अनुसार, शिवालक्ष्मी कनुभाई के साथ वर्ष 2013 में विदेश से भारत आई थीं. इसके बाद यह दंपति साल 2014 में अपने गृह राज्य गुजरात आ गया था.
किसी को भी नहीं पता था कि महात्मा गांधी के पोते कनुभाई, जिन्होंने अपने जीवन के आखिरी कुछ साल वृद्धाश्रम और सूरत के भीराड गांव के लोगों के साथ बिताए हैं, मरणोपरांत गरीब बच्चों की उच्च शिक्षा के लिए लगभग 15 करोड़ रुपये दान करेंगे.
अमेरिका में डॉ शिवालक्ष्मी गांधी ने छात्र उत्कृष्टता के लिए अपना सारा धन दान कर दिया था. उन्होंने पहले से ही वसीयत और पावर ऑफ अटॉर्नी बना रखी थी ताकि इस काम में कोई बाधा न आए.
महात्मा गांधी की तरह उनके पोते कानु गांधी और उनकी पत्नी डॉ शिवालक्ष्मी गांधी को लोगों की सहायता करने के लिए जाना जाता है.
बता दें, डॉ शिवालक्ष्मी गांधी ने एक साल पहले रामदास मोहनदास गांधी धर्मार्थ ट्रस्ट का निर्माण किया था. उनकी अंतिम इच्छा ट्रस्ट के माध्यम से बौद्धिक रूप से भावुक और गरीब बच्चों की शिक्षा के लिए काम करना थी.
इसके लिए शिवालक्ष्मी ने एक ट्रस्ट बनाया और अपनी करोड़ों रुपये की संपत्ति दान कर दी. अपनी मृत्यु के समय वह भीराड गांव के लोगों के साथ रह रही थीं, जहां गांव के लोग ही उनकी देखभाल करते थे.
उस वक्त यह कोई नहीं जानता था कि उनके पास करोड़ों की संपत्ती हैं. आमतौर पर यह मानना मुश्किल है कि किसी व्यक्ति के पास करोड़ों रुपये हो लेकिन फिर भी वह एक वृद्धाश्रम में रहता हो.
डॉ शिवालक्ष्मी ने खुद इंग्लैंड से बायोकेमिस्ट्री में पीएचडी की थी और कनुभाई नासा में वैज्ञानिक थे.
शिवालक्ष्मी ने अपने पति की इच्छा को पूरा करने के लिए एक ट्रस्ट का गठन किया और वह खुद इस ट्रस्ट की चेयरपर्सन बनीं.
अमेरिका में लगभग 30 एकड़ भूमि शिवालक्ष्मी गांधी और कानु गांधी की है. सभी जरूरी प्रक्रिया के बाद इस भूमि को भी ट्रस्ट में दान के रूप में दे दिया जाएगा.
बता दें, उनके ट्रस्ट के माध्यम से प्राप्त दान छात्र उत्कृष्टता भवन और सूरत के भटार में इसके संचालन के लिए सर्वोदय चैरिटेबल ट्रस्ट को दिया गया है. यही नहीं, उनकी अंतिम इच्छा भीराड को विकसित करने की थी, जो नमक सत्याग्रह के दौरान एक ऐतिहासिक स्थान बन गया था.
यही कारण है कि उनके दान की राशि से भीराड में एक भव्य स्मारक बनाया जाएगा, जहां महात्मा गांधी के साथ उनके पुत्र रामदास गांधी और मणिलाल गांधी की प्रतिमाएं भी रखी जाएंगी. ताकि बच्चों को इस ऐतिहासिक जगह से एक अच्छा जीवन जीने की प्रेरणा मिल सके.