नई दिल्ली : राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) का विरोध कर रहे संगठनों ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह द्वारा उच्च सदन में शनिवार को दिए उस आश्वासन की औपचारिकता (नागरिकता नियम 2003 में संशोधन के रूप में) की मांग की, जिसमें उन्होंने एनपीआर के अपडेशन के दौरान किसी को भी 'डी' (संदिग्ध नागरिक) के रूप में चिह्नित न करने की बात कही थी.
एनपीआर अपडेशन के दौरान किसी को भी संदिग्ध नागरिक के रूप में चिह्नित नहीं करने के गृह मंत्री के आश्वासन का स्वागत करते हुए स्वराज इंडिया के नेता योगेंद्र यादव ने कहा, 'अब हम नागरिकता नियम, 2003 में संशोधन करके केंद्र सरकार के रास्ते को वैधानिक रूप देना चाहते हैं.
उन्होंने आगे कहा कि वैकल्पिक रूप से सरकार मुख्य नियम 3 (5), 4 (3), 4 (4) को हटा सकती है. सरकार नियम 7 (2) में भी संशोधन कर सकती है, यह सुनिश्चित करने के लिए कि एनपीआर में सूचना उपलब्ध कराना स्वैच्छिक है और किसी को भी सूचना प्रदान करने में विफलता के लिए दंडित नहीं किया जाएगा.