नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश का हाथरस कांड इन दिनों देश की चर्चा का केंद्रबिंदु बना हुआ है. विपक्ष उत्तर प्रदेश सरकार से लेकर केंद्र में बैठी मोदी सरकार को घेरने और कटघरे में खड़ा करने के लिए जोर लगा रहा है. पीड़िता और उसके परिवार को न्याय दिलाने के लिए वामपंथी दल भी बेहद उग्र हैं. सीपीएम पोलित ब्यूरो की सदस्य और पूर्व सांसद वृंदा करात ने शनिवार को ईटीवी भारत को दिए एक विशेष साक्षात्कार में हाथरस कांड को उनके जीवन की सबसे भयावह घटना करार दिया.
एडीजी प्रशांत कुमार को बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए
सीपीएम पोलित ब्यूरो की सदस्य और पूर्व सांसद वृंदा करात ने कहा कि अलीगढ़ में उत्तर प्रदेश के एडीजी प्रशांत कुमार ने कहा कि पीड़िता के साथ बलात्कार नहीं किया गया था. इस तरह के बयान देने के लिए इस आदमी को मौके पर ही बर्खास्त कर दिया जाना चाहिए. पोस्टमार्टम रिपोर्ट का हवाला देते हुए एडीजी प्रशांत कुमार ने हाल ही में कहा था कि पीड़िता की मौत उसकी गर्दन की चोट के कारण हुई. कुमार ने कहा कि एफएसएल रिपोर्ट के अनुसार नमूनों में शुक्राणु नहीं पाए गए हैं. इससे यह स्पष्ट होता है कि कुछ लोगों ने जाति-आधारित तनाव को भड़काने के लिए मामले को घुमाया. ऐसे लोगों की पहचान की जाएगी और कानूनी कार्रवाई की जाएगी.
अपने दाग धोना चाहती है सरकार
वृंदा करात ने कहा कि जब पीड़िता होश में थी तो उसने स्पष्ट रूप से कहा था कि उसके साथ गैंगरेप किया गया था. जब उसे थाने ले जाया गया तो उसके कपड़े खून से भरे थे. वह ठीक से बोल नहीं पा रही थी. क्या पीड़िता का तत्काल परीक्षण (मेडिकल) कराना पुलिस की जिम्मेदारी नहीं थी? 10 दिनों के बाद पीड़िता को अलीगढ़ अस्पताल ले जाया गया और एक रिपोर्ट तैयार कर ली गई. फोरेंसिक रिपोर्ट का हवाला देते हुए करात ने कहा कि यदि आप 72 घंटे में वैज्ञानिक सबूत एकत्र नहीं करते हैं तो आपको कोई सबूत नहीं मिलेगा. यह सरकार यह दावा करके अपने दाग धोना चाहती है.