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'सप्लाई चेन चालू करने के लिए ड्राइवरों का वापस आना बेहद जरूरी'

देश में तीन मई तक लॉकडाउन है. लिहाजा, आवश्यक सामानों की आपूर्ति में बाधा आ रही है. जगह-जगह पर ट्रक फंसे पड़े हैं. एक अनुमान के अनुसार, दो लाख से ज्यादा ट्रकों पर सामान लदे हैं, लेकिन अनुमति नहीं मिलने की वजह से उसकी डिलवरी नहीं कर पा रहे हैं. लॉकडाउन के अलावा एक और प्रमुख कारण है जिसकी वजह से सामानों को नहीं ले जाया जा रहा है, वह है ड्राइवरों का पलायन. सरकार इसके लिए प्रयासरत है कि जो ड्राइवर चले गए हैं, उन्हें वापस लाया जा सके. पढ़ें पूरा आलेख...

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Published : Apr 23, 2020, 4:33 PM IST

देश में तीन मई तक लॉकडाउन है. लिहाजा, आवश्यक सामानों की आपूर्ति में बाधा आ रही है. जगह-जगह पर ट्रक फंसे पड़े हैं. एक अनुमान के अनुसार, दो लाख से ज्यादा ट्रकों पर सामान लदे हैं, लेकिन अनुमति नहीं मिलने की वजह से उसकी डिलवरी नहीं कर पा रहे हैं. लॉकडाउन के अलावा एक और प्रमुख कारण है जिसकी वजह से सामानों को नहीं ले जाया जा रहा है, वह है ड्राइवरों का पलायन. सरकार इसके लिए प्रयासरत है कि जो ड्राइवर चले गए हैं, उन्हें वापस लाया जा सके.

ऑल इंडिया ट्रांसपोर्ट्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष प्रदीप सिंघल ने ईटीवी भारत को बताया कि हमने सभी ड्राइवरों का ब्योरा सरकार को दे दिया है. उनके मोबाइल नंबर भी दिए गए हैं. और ज्यादा से ज्यादा नंबर जल्द ही सरकार से साझा कर दिए जाएंगे.

सिंघल ने बताया कि सरकार जिला स्तर से ड्राइवरों के आंकड़े इक्ट्ठा कर रही है. वहां से जानकारी मिलने पर हम भी सरकार की पूरी मदद करेंगे, ताकि रूका हुआ काम चालू हो सके.

सिंघल ने कहा कि जो ड्राइवर चले गए हैं, उन्हें दोबारा वापस आने में समस्या आ रही है. परिवहन की सुविधा उपलब्ध नहीं है. एक ही गाड़ी में ज्यादा लोगों को चलने की अनुमति नहीं है. लिहाजा, यह भी एक प्रमुख वजह है.

दरअसल, लॉकडाउन की जैसे ही घोषणा हुई, ड्राइवर भी दहशत में आ गए. उन्हें संक्रमित होने का खतरा तो हो ही रहा था, साथ ही भोजन की भी समस्या आने लगी थी. ठहरने की समस्या थी. इसलिए अधिकांश ड्राइवर किसी भी तरह से अपने-अपने गांव चले गए.

एक बार जब लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा हुई, तो जो भी ड्राइवर ट्रक पर रूके थे, वे भी घरों की ओर चल पड़े. बहुत सारे ऐसे भी मामले देखने को मिले, जब ड्राइवर गंतव्य पर पहुंच गए, तो उस माला को उतारने वाला कोई नहीं था. उसे कोई रसीद देने वाला उपलब्ध नहीं था.

सिंघल ने बताया कि यदि लॉकडाउन खुल भी जाए, तो कम से कम माल को अनलोडिंग करने में दो महीने का समय लग जाएगा. लिहाजा, इस स्थिति का सामना करना भी बड़ी चुनौती होगी.

प्रशासन की मदद से पिछले 25 दिनों में तीन लाख ट्रकों को गंतव्य तक पहुंचाया गया. हालांकि, इसका मतलब ये नहीं है कि सप्लाई चेन प्रभावित नहीं हुआ है.

जिस तरीके से भोज्य पदार्थों और अन्य सामान दुकानों की सेल्व से खत्म हो रहे हैं, चिंता बढ़नी स्वाभाविक है. अनुपलब्धता लंबी नहीं खिंचनी चाहिए. आम तौर पर होलसेलर के पास 20 दिनों और खुदरा दुकानदारों के पास एक सप्ताह का माल होता है.

(संजीव बरुआ)

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