नई दिल्ली :सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि अमेरिकी शहर ह्यूस्टन में पिछले साल सितंबर महीने में आयोजित किए गए हाउडी मोदी कार्यक्रम का खर्च उसने नहीं वहन किया था. इसका आयोजन अमेरिका के एक गैर-लाभकारी संगठन ने किया था.
वर्ष 2019 में 22 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ह्यूस्टन के एक स्टेडियम में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ 50,000 भारतीय-अमेरिकी लोगों को संबोधित किया था.
विदेश राज्यमंत्री वी मुरलीधरन ने राज्य सभा में एक सवाल के लिखित जवाब में बताया कि अमेरिका के एक गैर-लाभकारी संगठन टेक्सास इंडिया फोरम इंक ने 22 सितंबर, 2019 को ह्यूस्टन में एक कार्यक्रम आयोजित किया जिसका शीर्षक 'हाउडी मोदी ! शेयर्ड ड्रीम्स, ब्राइट फ्यूचर्स' था.
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने इस कार्यक्रम के आयोजकों को धनराशि प्रदान की है, मुरलीधरन ने कहा, 'नहीं'.
उन्होंने कहा कि टेक्सास इंडिया फोरम इंक के अध्यक्ष जुगल मालानी थे, जो भारतीय समुदाय के सदस्य हैं और टेक्सास में रहते हैं.
मंत्री ने बताया, प्रधानमंत्री ने अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान आयोजकों के निमंत्रण पर कार्यक्रम में भाग लिया और भारतीय-अमेरिकी समुदाय के लोगों और उनके कई निर्वाचित प्रतिनिधियों के एक जनसमूह को संबोधित किया.
वहीं, राज्यसभा में एक अतारांकित प्रश्न का उत्तर देते हुए कि क्या भारत सरकार ने UNSC में एक स्थायी सीट हासिल करने के लिए गंभीर प्रयास किए हैं. राज्य मंत्री (MOS) विदेश मंत्रालय, वी मुरलीधरन ने कहा कि सरकार ने स्थायी होने के लिए सर्वोच्च प्राथमिकता दी है. भारत अन्य देशों के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के विस्तार के लिए स्थायी और गैर-स्थायी दोनों श्रेणियों में संयुक्त राष्ट्र के सुधार समर्थक सदस्य देशों के बीच समर्थन बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है.
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उन्होंने कहा कि भारत अन्य सुधार समर्थक देशों के साथ मिलकर संयुक्त राष्ट्र सदस्य देशों के बीच स्थायी और गैर-स्थायी दोनों क्षेत्रों में संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों के बीच समर्थन बनाने के लिए लगातार प्रयास कर रहा है.
उन्होंने आगे कहा कि संयुक्त राष्ट्र शांति सेना के लिए भारत सबसे बड़ा योगदानकर्ताओं में से एक है, जो UNSC की स्थायी सदस्यता प्राप्त करने के लिए हमारी पोजिशन को मजबूत करता है.
कई सदस्य देशों द्वारा सहमति व्यक्त किए जाने के बाद भी UNSC में भारत को स्थायी सीट नहीं मिलने के कारणों पर बोलते हुए, मंत्री ने कहा कि सुरक्षा परिषद में भारत की स्थायी सदस्यता के प्रश्न पर एक समझौते के बाद ही विचार किया जाएगा.
उन्होंने कहा कि परिषद के विस्तार की प्रकृति और सीमा संयुक्त राष्ट्र चार्टर के प्रावधानों के अनुसार होती है, जिसे संयुक्त राष्ट्र की सदस्यता के दो-तिहाई अनुमोदन की आवश्यकता होती है.