पुरी : मंदिरों के पवित्र शहर पुरी आने वाले तीत्रयात्रियों को कालिया ठाकुर के दर्शन की बेसब्री रहती है. उत्सुकता में वह पवित्र मंदिर का रास्ता याद करते हैं. इसी रास्ते पर एक देवी विराजमान हैं, जो श्रद्धालुओं और आस्थावानों को भगवान जगन्नाथ के पास ले जाती हैं. इन्हें देवी बाट मंगला (पवित्र माता) के नाम से जाना जाता है. देवी बाट मंगला परोपकारी हैं, जो हमेशा मानवता की भलाई करती हैं. बाट मंगला देवी का निवास स्थान शंख क्षेत्र (मंदिरों के शहर पुरी) के रास्ते में पड़ता है. पवित्र शहर में प्रवेश करने से पहले भक्त यहां रुकते हैं और मां बाट मंगला देवी का आशीर्वाद लेकर पुरी जाते हैं. मां के दर्शन के उपरांत ही पुरी की यात्रा की शुरुआत होती है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार मां बाट मंगला की उत्पत्ति असाधारण और अद्भुत है. पुराणों (पौराणिक पुस्तकों) के अनुसार, श्री जगन्नाथ मंदिर में अभिषेक करने के लिए राजा इंद्रद्युम्न स्वर्ग में भगवान ब्रह्मा के निवास पर गए थे. उन्हें अनुष्ठान करने के लिए पृथ्वी पर आमंत्रित किया गया था. जब राजा इन्द्रद्युम्न और भगवान ब्रह्मा पृथ्वी पर अवतरित हुए, तब वे श्री क्षेत्र (पुरी के पवित्र भूमि) का रास्ता भूल गए थे. वहीं पुरी के रास्ते पर एक बरगद के पेड़ के नीचे बैठीं मां बाट मंगला ने गंतव्य तक पहुंचने के लिए उनका मार्गदर्शन किया.
मां बाट मंगला से जुड़ी एक और कहानी है. कहा जाता है कि राजा इंद्रद्युम्न के आदेश पर विद्यापति देवताओं को गढ़ने के लिए पवित्र लकड़ी की गांठ की तलाश में निकले थे. लेकिन पुरी लौटते समय वह रास्ता भटक गए, तब मां बाट मंगला ने विद्यापति को राजा के महल तक पहुंचाया था.