गया : पुलिस ने गुप्त सूचना के आधार पर बोधगया क्षेत्र स्थित एक निजी गेस्ट हाउस में अंतर्राज्यीय ऑनलाइन ठगी गिरोह के 16 अपराधियों को गिरफ्तार किया. गिरफ्तार युवकों में नौ युवक कर्नाटक राज्य के रहने वाले हैं. वहीं, पुलिस ने गिरोह के सरगाना को भी गिरफ्तार किया. रोशन कुमार इंजीनियरिंग की पढ़ाई बीच में छोड़कर पैसों की चाहत में ऑनलाइन ठगी का गिरोह चलाता था.
होटल के बंद कमरे में कर रहे थे ऑनलाइन ठग पार्टी
गया पुलिस को गुप्त सूचना प्राप्त हुई थी कि ऑनलाइन ठगी करने वाले अपराधी एक माह से बोधगया क्षेत्र में सक्रिय हैं. और एक निजी होटल में रुके हुए हैं. सूचना के आधार पर गया पुलिस सिटी एसपी राकेश कुमार के नेतृत्व में त्वरित एक टीम गठित की गई. पुलिस टीम ने देर न करते हुए देर रात होटल की घेराबंदी कर होटल के कमरों में छापेमारी की. छापेमारी के दौरान होटल के बंद कमरे में 16 शातिर ऑनलाइन ठग पार्टी कर रहे थे, जिन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया.
बताया जाता है कि इस गिरोह का कनेक्शन देश के अन्य राज्यों में भी फैला हुआ है. वहीं, गिरोह का मुखिया रोशन कमार ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई छोड़कर ऑनलाइन ठगी के कारोबार को शुरू किया था.
'इस पूरी कर्रवाई के लिए सिटी एसपी के नेतृत्व में 6 लोगो की टीम बनायी गई थी. जिसमे अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी बोधगया के साथ टेक्निकल टीम भी शामिल थी. बोधगया के एक होटल से ऑनलाइन ठगी गिरोह का 16 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया. इसमें नौ लोग कर्नाटक हैं. जो यहां के युवकों को ऑनलाइन ठगी करने के लिए प्रशिक्षण देने आए थे. इनके पास से भारी मात्रा में ऑनलाइन ठगी का सामग्री बरामद हुआ. साथ ही इनके पास से सोने के नकली सिक्के भी बरामद हुए. ये सभी लोग अभी तक अनगनित लोगों को चूना लगा चुके हैं. ये सभी ठगी सफल होने पर उसकी सारा डाटा डिलीट कर देते थे. बोधगया स्थित उक्त होटल को सील कर दिया गया है. इन सभी अपराधियों पर स्पीडी ट्रायल के तहत मुकदमा चलाया जाएगा'.- आदित्य कुमार, एसएसपी
जानिए ये शातिर 16 युवक कैसे लोगों को चूना लगाते थे
पुलिस की मुताबिक, इन्हें नालंदा के कतरीसराय क्षेत्र में ऑनलाइन ठगी करने वाले गिरोह से व्हाट्सएप के माध्यम से उन लोगों को नाम पता और मोबाइल नंबर ज्ञात हो जाता था. जो कि नापतोल या शॉपक्लूज इसी प्रकार की अन्य कंपनियों से कुछ सामान का आर्डर करते थे. डिटेल प्राप्त होते ही यह तुरंत उसका प्रिंट निकाल कर व्हाट्सएप मैसेज डिलीट कर देते थे. ताकि कोई सबूत नहीं रह जाए. इसके बाद यह उन ग्राहकों को एक लिफाफा में स्क्रैच कूपन और पंपलेट डालकर पोस्ट कर देते थे. ग्राहक जब कूपन को स्क्रैच करता था तो यह समझ कर कि कोई लॉटरी लगी है और इनके दिए मोबाइल नंबर पर कॉल करता था. ग्राहक जिस राज्य और भाषा के समझने वाले होते थे. उसी की भाषा के अनुसार, टीम के विभिन्न सदस्य बात करते थे.