श्रीनगर : घाटी में वसंत शुरू होते ही बादाम के फूल खिल जाते हैं. वसंत का मौसम आने के बाद घाटी में सबसे पहले बादाम खिलते हैं, जिससे वहां का एक सुंदर दृश्य देखने को मिलता है. फूल खिलने के साथ ही बागवानी का काम शुरू होता है, जो लगभग छह महीने चलता है. बादाम तैयार करने के लिए पेड़ों की देखरेख, खाद्य, कीटनाशक दवाओं का समय-समय पर छिड़काव करना पड़ता है. फिर छह महीने के बाद बादाम तैयार होता है.
उसके बाद बादाम तैयार करने का दूसरा चरण शुरू होता है, जो लगभग तीन महीने तक चलता है. उसके बाद अगस्त माह में बादाम को पेड़ों से उतारने का कार्य शुरू होता है, जो लगभग पूरे महीने चलता है. इसके बाद बादाम के छिलके उतार कर उन्हें सुखाया जाता है. यह काम लगभग एक महीने तक चलता है.
उसके बाद छोटे बागवान अपने बादाम को बड़े व्यापारियों को भेजते हैं, जहां से चौथा चरण शुरू होता है. चौथे चरण में बादाम में मौजूद गुठली बाहर निकाली जाती है. इस काम में लगभग एक महीने का समय लगता है. बादाम की गुठली को साफ किया जाता है, पैक किया जाता है और बाजारों में भेजा जाता है.
वहीं व्यापारी इन बादामों को पांच किलो की दर से बोरियों में पैक करते हैं और उनमें से कुछ का वजन करते हैं, जिससे पता चलता है कि एक किलो बादाम में कितनी गुठली निकलीं. यह कार्य सबसे मुश्किल होता हैं, क्योंकि यह नाप-तोल अनुमान के आधार पर की जाती है.
इससे हमें पता चलता है कि बादाम की फसल को तौयार करने के लिए बागवानों को कितनी कठनाई का सामना करना पड़ता है. बावजूद उन्हें इसकी ठीक कीमत भी नहीं मिलती. इस कारण बागवानी करने वालों को बादाम के पेड़ काटने के लिए मजबूर होना पड़ता है.
इस वजह से बादाम का उद्योग साल-दर-साल कम हो रहा है. वहीं इस साल बादाम की बागवानी पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है.