अंबिकापुर : महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देशवासियों से पर्यावरण को संरक्षित करने की अपील की थी. उन्होंने प्लास्टिक कचरे से निपटने में देशवासियों को मिलकर काम करने का आग्रह किया था.
अब जबकि लोगों ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है, अंबिकापुर नगर निगम ने अपने डोर-टू-डोर कचरा संग्रह योजना के साथ पर्यावरण को बचाने के लिए 2014 में प्रयास शुरू किए थे. इसका सोलिड वेस्ट मैनेजमेंट अन्य राज्यों के लिए एक मॉडल के रूप में उभर रहा है.
निगम एकत्रित कचरे को अलग-अलग श्रेणियों में बांटता है और उसके बाद इसे वेंडरों के माध्यम से पुन उपयोग हेतु बेच दिया जाता है.
अंबिकापुर के मेयर डॉ अजय तिर्की ने बताया कि प्लास्टिक से हमारी धरती को काफी नुकसान हो रहा है. इसे खाने से मवेशियों की भी मौत हो रही है. ऐसे में गार्बेज कैफे जैसी पहल से कचरे से काफी निजात मिली है. उन्होंने कहा कि अंबिकापुर शहर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट में अव्वल नंबर पर है.
रंगीन पोलिथीन सीमेंट फैक्ट्रियों को बेच दिया जाता है, जबकि पारदर्शी पोलिथीन को प्लास्टिक के दानों में बनाया जाता है और विभिन्न कार्यों के लिए बेचा जाता है.
निगम की यह पहल जहां पर्यावरण के लिए फलदायी साबित हो रही है, वहीं दूसरी ओर यह महिलाओं के लिए रोजगार के भी अवसर पैदा कर रही है.
निगम ने अपनी अनोखी पहल के तहत देश का पहला गार्बेज कैफे भी स्थापित किया है. इसे नौ अक्टूबर को लॉन्च किया गया था. कैफे बार्टर सिस्टम पर चलता है. परोपकार के साथ-साथ यह अपनी जिम्मेदारी भी निभा रहा है.
इस संबंध में स्वच्छ भारत मिशन के प्रभारी रितेश सैनी ने बताया कि कोई भी व्यक्ति जो एक किलो प्लास्टिक वेस्ट लाता है, उसे मुफ्त में खाना दिया जाता है. इस कचरे को सैनिटेरी पार्क रिसाइक्लिंग सेंटर भेजा जाता है, जिसे बाद में सड़क निर्माण में यूज किया जाता है.
आज देश भर में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगाने के बारे में जागरूकता की बात की जा रही है, हालांकि, इसके लिए कोई ठोस कानून नहीं बनाया गया है.