नई दिल्ली : पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि महात्मा गांधी अपने पूरे सार्वजनिक जीवन के हर क्षण देश की एकता के लिए लड़ते रहे और उन्होंने इस बात को कभी नहीं स्वीकारा कि देश धर्म के आधार पर विभाजित हो जाए.
प्रणब ने रविवार को यहां वरिष्ठ पत्रकार एम.जे. अकबर की नई किताब 'गांधीज हिन्दुइज्म - द स्ट्रगल अगेंस्ट जिन्नाज इस्लाम' के विमोचन के अवसर पर कहा,'गांधी जी का पूरा जीवन हिन्दू-मुस्लिम एकता के लिए समर्पित था.
उन्होंने कहा, 'गांधीजी सिर्फ हमारे राष्ट्रपिता ही नहीं थे, बल्कि हमारे राष्ट्र निर्माता भी थे. वह हमारे कार्यो के नैतिक मार्गदर्शक थे, जिनके कारण हमें जाना जाता है. इस किताब में उस घटनाक्रम का चित्रण है, जिसके कारण 1947 में इस उपमहाद्वीप का विभाजन हुआ और पाकिस्तान का जन्म हुआ.'
मुखर्जी ने कहा कि साम्प्रदायिक एकता और सद्भाव भारत की शक्ति की बुनियाद हैं और इसके गौरवपूर्ण भविष्य के मुख्य तत्व हैं. उन्होंने कहा कि गांधी हिन्दुत्व की आत्मसात, मूल्यांकन और अनुकूलन की आंतरिक शक्ति में विश्वास करते थे क्योंकि यह समग्र था और सभी धर्म के लोगों के लिए स्पेस प्रदान करता था.
प्रणब ने कहा, 'गांधीजी ने घोषणा की थी कि भारत में किसी भी धर्म को खतरा नहीं हो सकता क्योंकि भारत हमेशा सभी धर्मो की धरती रही है.'