वर्धा: स्वतंत्रता संग्राम के दौरान महात्मा गांधी ने कुछ समय महाराष्ट्र के वर्धा स्थित सेवाग्राम आश्रम में बिताया था. गांधी करीब 10 साल तक वर्धा के सेवाग्राम में रहे थे. इस दौरान बापू ने कई महत्वपूर्ण बैठकें और निर्णय भी किए.गांधी के सेवाग्राम में रहने के दौरान उनकी हत्या का षड्यंत्र भी रचा गया. हालांकि, ये असफल रहा और बाद में 1948 में गांधीजी की हत्या दिल्ली में कर दी गई.
दरअसल महात्मा गांधी मुस्लिम नेता मोहम्मद अली जिन्ना के साथ भारत और पाकिस्तान, हिन्दू-मुसलमान मुद्दे पर एक बैठक के लिए जा रहे थे. यह बैठक सन् 1944 में मुंबई में होने वाली थी.
इस बैठक में भाग लेने के लिए महात्मा गांधी वर्धा सेवाग्राम से मुंबई के लिए जा रहे थे. इस बैठक का कुछ दक्षिणपंथी संगठन घोर विरोध कर रहे थे. गांधीजी के मुम्बई जाने का जानकारी मिलते ही सेवाग्राम आश्रम के बाहर सुबह से प्रदर्शनकारी जमा हो गए. सभी लोग बापू को वहां जाने से रोकने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन गांधीजी को रुकता नहीं देख विरोधियों ने उन्हें मारने की योजना बना लिया.
हालांकि, पुलिस को इसकी गुप्त सूचना मिल गई. चूंकि बापू बैठक में शामिल होने जाते, इसलिए संभावना भी थी कि उनके साथ कुछ अनुचित हो सकता था. तत्कालीन स्थानीय डीसीपी ने अनहोनी का अंदाजा देख, सुबह-सुबह ही बापू से मिलने चले गए, जबकि बापू आश्रम से कुछ ही देर में प्रस्थान करने वाले थे.