नई दिल्ली : पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में सोमवार रात को चीनी और भारतीय सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के कुल 20 सैनिक शहीद हो गए. इस घटना से पहले से जारी गतिरोध की स्थिति और गंभीर हो गई है. शुरुआत में भारतीय सेना ने कहा था कि झड़प में एक अधिकारी और दो सैनिक शहीद हुए. बाद में सेना की ओर से जारी एक वक्तव्य में कहा गया कि 17 अन्य सैनिक 'जो अत्यधिक ऊंचाई पर शून्य से नीचे तापमान में गतिरोध के स्थान पर ड्यूटी के दौरान गंभीर रूप से घायल हो गए थे, उन्होंने दम तोड़ दिया है जिसके बाद शहीद हुए सैनिकों की संख्या बढ़कर 20 हो गई है.' सेना ने अपने वक्तव्य में कहा कि भारतीय सेना राष्ट्र की संप्रभुता और अखंडता की रक्षा के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है.
शहीदों में तेलंगाना के कर्नल बी संतोष बाबू, तमिलनाडु रामनाथपुरम के जिला निवासी हवलदार पालानी और झारखंड के साहिबंगज जिले के कुंदन कुमार शामिल हैं. कर्नल संतोष बाबू 16वीं बिहार रेजीमेंट में कमांडिग अधिकारी थे.
उल्लेखनीय है कि इस पूरे विवाद में भारतीय और चीनी सेना के बीच पहले भी कई हिंसक झड़पें हुई थीं. ऐसी ही गंभीर स्थिति पांच मई को लद्दाख स्थित पैंगोंग झील के उत्तरी तट पर पैदा हो गई थी, जिसमें कम से कम 75 सैनिक घायल हो गए थे. हालिया गतिरोध को लेकर लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट-जनरल हरेंद्र सिंह और पीएलए के दक्षिण झिंजियांग सैन्य जिले के कमांडर मेजर-जनरल लिन लियू (भारतीय सेना के लेफ्टिनेंट-जनरल के समकक्ष) के बीच छह जून को बैठक हुई थी.
दिलचस्प बात यह है कि प्रतिनिधिमंडल से मिलने से पहले दोनों लेफ्टिनेंट-जनरलों के बीच एक घंटे तक बात हुई थी. लेफ्टिनेंट-जनरल स्तर की बैठक सीमा रेखा पर उपजे तनाव को लेकर हुई थी. इससे पहले ब्रिगेडियर और प्रमुख सैन्य अधिकारियों के स्तर पर कई बैठकें हो चुकी हैं.
एक अन्य शीर्ष सैन्य सूत्र ने बताया कि सैन्य स्तर की बैठकें आगे भी जारी रहेंगी. सूत्र ने कहा कि जाहिर है कि सीमा पर बुनियादी ढांचा निर्माण करना एक महत्वपूर्ण मुद्दा है. इसका कारण चीन द्वारा टेंट, अन्य अस्थाई संरचनाएं और भंडार जमा करना है. यदि भारत सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचे और सड़कों का निर्माण करता है तो इसके खिलाफ चीन द्वारा आपत्ति उठाना प्रमुख कारण है. इस कारण तत्काल रूप से कोई स्थाई समाधान निकलते नहीं दिख रहा है. भारत निर्माण कार्य के लिए प्रतिबद्ध है. भारत ने कहा है कि उसकी सड़क निर्माण गतिविधि जारी रहेगी.
गौरतलब है कि इससे पहले पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब बिगड़ी थी जब पांच मई की शाम चीन और भारत के करीब 250 सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हो गई जो अगले दिन भी जारी रही, जिसके बाद दोनों पक्ष 'अलग' हुए. बहरहाल, गतिरोध जारी रहा. इसी तरह की घटना उत्तरी सिक्किम में नाकू ला दर्रे के पास नौ मई को भी हुई, जिसमें भारत और चीन के लगभग 150 सैनिक आपस में भिड़ गए.
इससे पहले दोनों देशों के सैनिकों के बीच 2017 में डोकलाम में 73 दिन तक गतिरोध चला था. भारत और चीन के बीच 3,488 किलोमीटर लंबी एलएसी पर विवाद है. चीन अरुणाचल प्रदेश पर दावा करता है और इसे दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा बताता है. वहीं, भारत इसे अपना अभिन्न अंग करार देता है.
दोनों पक्ष कहते रहे हैं कि सीमा विवाद के अंतिम समाधान तक सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता कायम रखना जरूरी है.
पिछले कुछ महीनों में पूर्वी लद्दाख सेक्टर में चीन बड़े पैमाने पर हेलीकॉप्टरों का उपयोग करके भारतीय क्षेत्र में उड़ान भर रहा है, जिसमें गलवान क्षेत्र भी शामिल है. सूत्रों ने कहा कि चीनी सेना अक्सर अपने हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल कर हवाई क्षेत्र का उल्लंघन करती रही है और एलएसी पर भारतीय क्षेत्र के पास चीनी जवान गश्त करते रहते हैं.
सीमा विवाद : एलएसी पर बढ़ीं चीनी हेलीकॉप्टरों की गतिविधियां
चीन ने किया था युद्धाभ्यास
इससे पहले जून के पहले सप्ताह में पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) ने मध्य चीन के हुबेई प्रांत की सीमा के बीच ऊंचाई वाले क्षेत्रों में हजारों पैराट्रूपर्स और बख्तरबंद वाहनों के साथ बड़े पैमाने पर युद्धाभ्यास का आयोजन किया था. चीनी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने यह दावा किया था.