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'अटल' है वाजपेयी की लिखी ये कविता, 'मनाली मत जइयो, गोरी राजा के राज में...'

आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 95वीं जयंती है. उन्हें एक बार फिर पूरे देश में याद किया जा रहा है. अटल बिहारी वाजपेयी बेशक पूरे देश के लिए प्रधानमंत्री थे, लेकिन हिमाचल के लिए वह अभिभावक की तरह रहे. अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर हिमाचल में उन्हें श्रद्धांजलि दी गई. देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट...

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Published : Dec 25, 2019, 2:24 PM IST

शिमला : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की आज 95वीं जयंती है. उन्हें एक बार फिर पूरे देश में याद किया जा रहा है. देश के सभी बेड़ नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि देकर याद किया. अटल जी देश के लोकप्रीय प्रधानमंत्रियों में से एक थे. उनकी विलक्षण वाकपटुता के लिए आज भी उन्हें याद किया जाता है.

अटल बिहारी वाजपेयी बेशक पूरे देश के लिए प्रधानमंत्री थे, लेकिन हिमाचल के लिए वे अभिभावक की तरह रहे. यही वजह है कि सक्रिय राजनीति छोड़ने के बाद पूर्व प्रधानमंत्री ने कुल्लू के प्रीणी गांव को अपना घर बनाया. वह ज्यादातर समय यहीं रहना पसंद करते थे. यहां के सौंदर्य पर उन्होंने कविताएं भी लिखी हैं.

देखें ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट

लोकप्रिय नेता के तौर पर उनकी पहचान तो थी ही लेकिन उनकी एक छवि उनके साहित्यिक पक्ष से भी जुड़ी है. वैसे तो पूर्व प्रधानमंत्री की कई सारी कविताएं हैं, जो लोगों के बीच खासी लोकप्रिय रहीं. पहाड़ों या यूं कहें कि हिमाचल के लिए उनका प्यार उनकी कविताओं में भी झलकता है. मनाली को अपना दूसरा घर कहने वाले अटल ने यहां की वादियों को स्वर्ग कहा. पेश है अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर उनकी स्मृति में ये कविता.

मनाली पर लिखी उनकी ये कविता

मनाली मत जइयो, गोरी राजा के राज में.
जइयो तो जइयो, उड़िके मत जइयो,
अधर में लटकीहौ, वायुदूत के जहाज में.
जइयो तो जइयो, सन्देसा न पइयो,
टेलिफोन बिगड़े हैं, मिर्धा महाराज में.
जइयो तो जइयो, मशाल ले के जइयो,
बिजुरी भइ बैरिन, अंधेरिया रात में.
जइयो तो जइयो, त्रिशूल बांध जइयो,
मिलेंगे खालिस्तानी, राजीव के राज में.
मनाली तो जइहो. सुरग सुख पइहों.
दुख नीको लागे, मोहे राजा के राज में.

अटल जी की कविताएं लोगों में खासी लोकप्रिय रही हैं. ये कविता उनके कविता संग्रह 'मेरी इक्वावन कविताएं' में से एक है.

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