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सादगी की मिसाल : खलिहान में काम करते दिखे पूर्व लोक सभा सांसद कड़िया मुंडा

राजनीतिक दलों द्वारा पैसों का प्रयोग किए जाने की खबरें नई नहीं हैं. हालांकि, पैसों का निरंकुश प्रयोग और बदलते राजनीतिक परिदृश्य के बीच यदि राजनेताओं की सादगी की खबरें सामने आएं, तो यह बरबस ही आकर्षित करती हैं. कुछ ऐसा ही देखने को मिला है पूर्व सांसद कड़िया मुंडा के मामले में. कड़िया मुंडा इन दिनों खेती करते नजर आ रहे हैं. इसको लेकर कड़िया मुंडा कहते हैं कि उन्होंने खेतों से संसद तक का सफर तय किया अब फिर खेतों में अपने अनुभव का उपयोग कर रहे हैं.

पूर्व लोक सभा सांसद कड़िया मुंडा
पूर्व लोक सभा सांसद कड़िया मुंडा

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Published : Dec 2, 2020, 10:28 PM IST

खूंटी (झारखंड):भाजपा के दिग्गज नेता पद्मभूषण सम्मानित खूंटी के पूर्व सांसद कड़िया मुंडा आज भी जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं. लगातार भाजपा की राजनीति करते हुए दिल्ली आना जाना लगा रहा, लेकिन सत्ता पर आसीन होकर भी मुंडा की सादगी अन्य नेताओं से अलग रही. आज जब दिल्ली की राजनीति से दूर हैं तो इत्मीनान होकर किसानी कार्यों में जुड़े हैं. ईटीवी संवाददाता ने कड़िया मुंडा से बातचीत की तो उन्होंने कहा कि 'मैं खेत से उठकर दिल्ली गया था, दिल्ली से खेत की ओर नहीं. इसलिए आज भी खेती किसानी कार्य में बेहतर अनुभव रखता हूं.'

कड़िया मुंडा का बयान

1977 में पहली बार बने सांसद

पद्मभूषण से सम्मानित कड़िया मुंडा बेहद सरल और बगैर लाग लपेट के हर सवाल का बखूबी जवाब देते हैं और कहते हैं कि 'जमीन से जुड़े होने का फायदा मुझे मिला है. आज भी मैं उतनी ही तन्मयता से खूंटी की आबोहवा का आनंद अपने खेत खलिहान में लेता हूं, जबकि आज की तारीख में गांव का मुखिया भी कुर्सी पाने के बाद जमीन से जुड़ाव खत्म कर लेता है.' कड़िया मुंडा पहली बार खूंटी से निकलकर 1977 में सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे, जहां वह 1980 तक सांसद रहे.

कड़िया मुंडा की सादगी

1981 में बने विधायक

1980 लोकसभा चुनाव हारने के बाद 1981 में खिजरी विधानसभा से विधायक बने और 1985 तक विधायक रहे. 1985 के लोकसभा चुनाव फिर से हार गए और 1989 में दोबारा सांसद बनकर दिल्ली पहुंचे. 2004 चुनाव हारने के बाद 2005 में दोबारा खिजरी के विधायक बने और 2009 के लोकसभा चुनाव जीते, उसके बाद लगातार कड़िया मुंडा सांसद बने रहे. 2008 से 2014, 2014 से 2019 तक सांसद रहे.

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कड़िया मुंडा इस लंबे सफर के दौरान 1977 से 1980 तक केंद्र में खान एवं इस्पात राज्य मंत्री रहे. उसके बाद 2002 से 2003 तक कोयला मंत्री उसके बाद कोयला मंत्री से हटाकर कड़िया जी को अपारंपरिक मंत्री बनाया गया. 2009 के लोकसभा चुनाव जीतने के बाद कड़िया मुंडा लोकसभा में उपसभापति चुने गए और 2014 तक इस पद पर रहे. वह 2014 से 2019 तक सांसद रहे, उसके बाद भाजपा ने 2019 का टिकट नहीं दिया तो कड़िया मुंडा खेतों से जुड़कर अपनी जीविका चला रहे हैं.

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