हैदराबाद : पूर्व समाजवादी पार्टी के नेता अमर सिंह अब इस दुनिया में नहीं रहे. उन्हें यूपी की सत्ता का चाणक्य कहा जाता था.राज्य सभा सांसद अमर सिंह का शनिवार को सिंगापुर में इलाज के दौरान निधन हो गया. भारतीय राजनीति में अहम मुकाम रखने वाले अमर सिंह का जन्म 27 जनवरी 1956 को उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में हुआ. वह 1996 में पहली बार राज्य सभा के सदस्य चुने गए. अमर सिंह पूरे उत्तर प्रदेश की सत्ता के सबसे बड़े प्रबंधक कहे जाते थे. तो कैसा था उनका राजनीतिक सफर जानिए इस खास रिपोर्ट में...
अमर सिंह 2002 में एक बार फिर से राज्य सभा सदस्य बने, इस दौरान उन्हें समाजवादी पार्टी का महासचिव भी चुना गया.उत्तर प्रदेश की राजनीति में कद्दावर कद रखने वाले अमर सिंह 2008 में समाजवादी पार्टी से राज्यसभा पहुंचे. कई लोग मानते हैं कि विभिन्न दलों और उद्योगपतियों से अमर सिंह के संबंधों की वजह से मुलायम सिंह यादव उन्हें पसंद करते थे.
अमर सिंह ने सपा महासचिव रहते हुए 2008 में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार को गिरने से बचाने में अहम भूमिका निभाई थी. तब वाम दलों ने परमाणु करार के मुद्दे पर संप्रग से समर्थन वापस ले लिया था.समाजवादी पार्टी में प्रमुख चेहरे के तौर पर अखिलेश यादव के उभरने और उनके वयोवृद्ध पिता मुलायम सिंह का नियंत्रण कम होने के बाद अमर सिंह का दबदबा भी कम होने लगा
अमर सिंह को 2010 में सपा से निकाला गया. इसके बाद उनका नाम 'नोट के बदले वोट' के कथित घोटाले में आया और 2011 में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया. 2011 में उन्होंने यह कहते हुए कि वह अब राजनीति से सन्यास लिया है क्योंकि वह अपने परिवार के साथ समय बिताना चाहते हैं. हालांकि 2012 में उन्होंने अपनी पार्टी राष्टीय लोक मंच का निर्माण किया और उत्तर प्रदेश की 403 सीटों पर 360 उम्मीदवार मैदान में उतारे, लेकिन उनकी पार्टी एक सीट भी न जीत सकी.
इसके बाद उन्होंने 2014 में राष्ट्रीय लोक दल से उत्तर प्रदेश की फतेहपुर सीट से चुनाव लड़ा लेकिन यहां भी उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा. इसके बाद वह दौर आया जब अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता के लिए मशक्कत कर रहे अमर सिंह कुछ साल बाद फिर मुलायम सिंह के करीब आ गये.
कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव को भी अमर सिंह की उतनी ही जरूरत थी जितनी सिंह को उनकी थी. बाद में अमर सिंह को 2016 में राज्यसभा भेजा गया,लेकिन दूसरी बार सपा में लौटे सिंह को पार्टी में अखिलेश यादव का वर्चस्व होने के बाद 2017 में पुन: बर्खास्त कर दिया गया.
इसके बाद उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के करीब आते देखा गया. उन्होंने आजमगढ़ में अपनी पैतृक संपत्ति को संघ को दान करने की भी घोषणा की. सिंह ने 1996 से लेकर 2010 तक सपा में अपने पहले कालखंड में पार्टी के लिए कड़ी मेहनत की और उन्हें अक्सर अमिताभ बच्चन के परिवार से लेकर अनिल अंबानी और सुब्रत रॉय जैसी हस्तियों के साथ देखा जाता था.
उन्हें उद्योगपति अनिल अंबानी को 2004 में निर्दलीय सदस्य के तौर पर राज्यसभा भेजने के सपा के फैसले का सूत्रधार भी माना जाता है. हालांकि अंबानी ने बाद में 2006 में इस्तीफा दे दिया.