नई दिल्ली : बोडो उग्रवादी नेतृत्व की भारतीय सेना में एक अलग बोडो टुकड़ी बनाने की मांग को ठुकराने के बाद यह निर्णय लिया गया है कि 1,500 से 2,000 योग्य गोरिल्ला लड़ाकों की अर्धसैनिक बलों, सेना और पुलिस में शामिल होने के लिए 'मदद' की जाएगी.
हाल ही में आत्मसमर्पण करने वाले नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (एनडीएफबी) के उग्रवादियों सहित लगभग 1,500-2,000 बोडो युवा गुरुवार को अपने हथियार असम सरकार को सौंपने के साथ देश की मुख्य धारा में शामिल होकर भारतीय संविधान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता जताएंगे.
एनडीएफबी (प्रोग्रेसिव) के महासचिव गोबिंदा बासुमतारी ने फोन पर ईटीवी भारत को बताया कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय नितियों और संयुक्त राष्ट्र से समझौतों के चलते भारतीय सेना में बोडो रेजिमेंट बनाने में असमर्थता जताई. इसलिए उन युवाओं की, जिन्होंने उनकी (बोडो लोगों की) मांगों के लिए लड़ते हुए
अपने युवा वर्षों का त्याग कर दिया, सरकार रोजगार पाने और व्यवसाय स्थापित करने में मदद करेगी. युवाओं की भर्ती के लिए रैलियों का आयोजन किया जाएगा.
सोमवार को केंद्र सरकार, असम सरकार, नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड जैसे कई बोडो संगठनों, ऑल बोडो स्टूडेंट्स यूनियन और यूनाइटेड बोडो पीपुल्स ऑर्गनाइजेशन ने बोडो समझौते पर हस्ताक्षर किया. समझौते पर हस्ताक्षर करने वालों में गोबिंदा बासुमतारी भी शामिल थे.
इससे पहले भी कई पूर्व नागा विद्रोही सीमा सुरक्षा बल में शामिल हो चुके हैं. सीमा सुरक्षा बल का उद्देश्य सीमाओं की सुरक्षा करना है.
80 के दशका में शुरू हुआ यह आंदोलन अखिरकार खत्म हो जाएगा. सोमवार को हस्ताक्षरित बोडो समझौते में पूर्व उग्रवादियों के पुनर्वास के प्रावधान हैं.