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असम और बिहार में बाढ़ का कहर जारी, कई नदियां उफान पर

असम और बिहार में बाढ़ के हालात गंभीर हैं. कई जिलों में बाढ़ ने लोगों की नींद उड़ा दी है. वहीं उत्तराखंड में भी बारिश से नुकसान हुआ है. बाढ़ से जनजीवन अस्त-व्यस्थ हो गया है.

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बाढ़ का कहर

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Published : Jul 28, 2020, 11:53 AM IST

Updated : Jul 28, 2020, 5:10 PM IST

नई दिल्ली : असम और बिहार में बाढ़ का कहर जारी है. असम में बारिश के कारण ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियां खतरे के निशान के ऊपर बह रही हैं. मरने वालों की संख्या 103 हो गई है. राज्य में 30 जिलों के 24.76 लाख से ज्यादा लोग बाढ़ से प्रभावित हैं और फसलें तबाह हो गई हैं.

बिहार के बेतिया जिले में लगातार दो दिनों से बारिश हो रही है, जिससे पूरा जन जीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. शहर की सड़कों पर कमर तक पानी भर गया है. डीएम आवास, सिविल सर्जन का आवाज से लेकर डीआईजी आवाज तक पानी में डूबे हैं.

बिहार में बेतिया जिले में बाढ़ का कहर जारी

नदियों में बढ़ते जलस्तर से कुल 2,543 गांव फिर से प्रभावित हो रहे हैं. इस कारण अब तक 1.22 लाख हेक्टेयर फसल को काफी नुकसान पहुंचा है.

बरसात के मौसम में काजीरंगा नेशनल पार्क का 80 प्रतिशत हिस्सा भी बाढ़ में डूब गया है, जिससे 108 पशुओं की जान चली गई.

वहीं बिहार के मोतिहारी जिले में आई प्रलयकारी बाढ़ के कारण हजारों लोग बेघर हो गए हैं. वो सभी एनएच-28 पर शरण लिए हुए हैं. लोग एनएच पर टेंट लगाकर जीवन गुजार रहे हैं. इन लोगों की मदद के लिए जिला प्रशासन ने सामुदायिक किचेन की शुरूआत की है, लेकिन वहां भी समय से खाना नहीं मिलता है.

'हर साल गांव में आती है बाढ़'
बाढ़ पीड़ित ने बताया कि उनके गांव में हर साल बाढ़ आती है और वह लोग गांव छोड़कर राष्ट्रीय राजमार्ग पर शरण लेते हैं. हर साल घर में रखा अनाज बाढ़ में बर्बाद होता है. दरभंगा में भी बागमती, कोसी, कमला, कमला बलान और अधवारा समूह की नदियों में आई बाढ़ से उत्तर बिहार में जबर्दस्त तबाही मच रही है. एक तरफ कोरोना है तो दूसरी तरफ दरभंगा जिले में बाढ़ का कहर. मुकम्मल तैयारी न होने का खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. लेकिन ऐसे में इन बाढ़ पीड़ितों की मदद के लिए एसडीआरएफ की टीम किसी देवदूत की तरह सामने आई है.

'ग्रामीणों को हर संभव पहुंचाते हैं मदद'
एसडीआरएफ के कांस्टेबल राजीव रंजन ने बताया कि वह लोग गांवों में फंसे लोगों को वहां से निकाल कर सुरक्षित स्थानों पर ले जाते हैं. साथ ही ग्रामीणों को राशन और दवा समेत कोई दूसरी जरूरी चीज लानी हो तो उसके लिए भी लोगों को आवागमन कराते हैं. उन्होंने कहा कि वह बहुत ही सावधानी से ऑपरेशन चला रहे हैं.

बिहार के मुजफ्फरपुर, मोतिहारी, दरंभगा और सीतामढ़ी के तराई वाले इलाके में लोगों की परेशानी बढ़ गई है. 26 जुलाई को बिहार में प्रमुख नदियों का जलस्तर इस प्रकार रहा:

  • गंगा नदी का जलस्तर साहेबगंज में खतरे के निशान से अब 16 सेंटीमीटर ऊपर है. कहलगांव में खतरे के निशान से 12 सेंटीमीटर ऊपर है. फरक्का में खतरे के निशान से 51 सेंटीमीटर ऊपर है.
  • गंगा नदी का जलस्तर हाथीदह में 35 सेंटीमीटर नीचे है, जो कि गांधी घाट में 61 सेंटीमीटर नीचे है.
  • घाघरा नदी का जलस्तर दरौली में खतरे के निशान से 02 सेंटीमीटर ऊपर है.
  • गंडक नदी का जलस्तर डुमरिया घाट में खतरे के निशान से 148 सेंटीमीटर ऊपर है. रेवा घाट में खतरे के निशान से 27 सेंटीमीटर ऊपर है.
  • बूढ़ी गंडक का जलस्तर रोसड़ा में 210 सेंटीमीटर ऊपर है. वहीं लालबेगिया घाट में 110 सेंटीमीटर ऊपर है. समस्तीपुर में खतरे के निशान से 116 सेंटीमीटर ऊपर है. सिकंदरपुर में 102 सेंटीमीटर ऊपर है. खगड़िया में खतरे के निशान से 53 सेंटीमीटर ऊपर है.
  • बागमती नदी का जलस्तर ढेंग ब्रिज में खतरे के निशान से 10 सेंटीमीटर नीचे है. जबकि रुन्नीसैदपुर में खतरे के निशान से 217 सेंटीमीटर और बेनीबाद में 105 सेंटीमीटर ऊपर है हायाघाट में 182 सेंटीमीटर ऊपर है.
  • अधवारा समूह नदी का जलस्तर कमतौल में खतरे के निशान से 112 सेंटीमीटर ऊपर है. वहीं एकमी घाट में 170 सेंटीमीटर ऊपर है.
  • कमला बलान नदी का जलस्तर झंझारपुर में 13 सेंटीमीटर खतरे के निशान से नीचे है, जबकि जयनगर में खतरे के निशान से 13 सेंटीमीटर ऊपर है.
  • कोसी नदी का जलस्तर बलतारा में खतरे के निशान से 207 सेंटीमीटर ऊपर है. कुर्सेला में खतरे के निशान से 11 सेंटीमीटर ऊपर है.
  • महानंदा नदी का जलस्तर ढेंगरा घाट में खतरे के निशान से 13 सेंटीमीटर ऊपर है. जावा में खतरे के निशान से 23 सेंटीमीटर ऊपर है.
  • परमान नदी का जलस्तर अररिया में खतरे के निशान से 03 सेंटीमीटर ऊपर है.

गंगा के जलस्तर की अभी की स्थिति

जगह का नाम खतरे का निशान अभी की स्थिति
बक्सर 60.32 53.47
दीघाघाट 50.45 48.96
गांधी घाट 48.60 47.99
हाथीदह 41.76 41.41
मुंगेर 39.33 37.85
भागलपुर 33.68 32.60
कहलगांव 31.09 32.21
साहेबगंज 27.25 27.41
फरक्का 22.25 22.76

(सभी मीटर में)

उत्तराखंड में भी फटे बादल
उत्तराखंड में भी मॉनसून में सबसे ज्यादा नुकसान कुमाऊं क्षेत्र के पिथौरागढ़ जिले में हो रहा है. अभी 3 दिन पहले ही बरसात और भूस्खलन ने कई लोगों की जान ले ली थी. अब देर रात से हो रही लगातार बारिश के कारण एक बार फिर से पिथौरागढ़ के मुनस्यारी, बागपानी, मलकोट और जौलजीबी क्षेत्रों में भारी तबाही हुई है.

मूसलाधार बारिश से नदियों के उफान के कारण इस क्षेत्र में ना केवल पुल बह गए हैं बल्कि सड़कें भी टूट गई हैं. कई गांवों में भूस्खलन होने की वजह से कई घर जमींदोज होने की भी खबरें भी आ रही हैं.

बागपानी, मुनस्यारी, मदकोट, जौलजीबी-पिथौरागढ़ मोटर मार्ग में टोकडी गाड़ में सीमा सड़क संगठन की पुलिया बह गयी है. लुमती बगीचा बगड़ में भारी नुकसान की खबर है. बताया जा रहा है कि क्षेत्र के लोग अब घर खाली कर रहे हैं.

टोकडी गाड़ में मेतली को जोड़ने वाले सभी पैदल पुल बह गए हैं. जारा जिवली से भी नुकसान की खबर आ रही है. जौलजीवी मोटर मार्ग की पुलिया बहने से राहत बचाव के लिए आ रही प्रशासन की टीम अब बिना हेलिकॉप्टर के प्रभावित क्षेत्र में नहीं पहुंच सकती है. पुलिया बहने से लुमती से लेकर मदकोट तक 100 से अधिक गांवों का जिला मुख्यालय पिथौरागढ़ से सम्पर्क कट गया है.

बनबगड़ में बादल फटने से दो मकान बहने की खबर है. हालांकि अभी यह साफ नहीं हो पाया है कि इस आपदा में किसी की जान गई है या नहीं. लेकिन आर्थिक रूप से नुकसान बहुत हुआ है.

पढ़ें :-भारत और असम में बाढ़ से आई तबाही पर एक नजर

चमोली जनपद के घाट ब्लॉक के पडेर गांव में भी देर रात बदल फटने से भारी तबाही की खबर है. वहीं, पडेर गांव के तिमगो तोक में एक महिला की मौत हो गई और 12 साल की बच्ची के घायल हो गई.

घटना देर रात 3 बजे के आसपास की है. नाले से आए मलबे ने रघुवीर सिंह के मकान को चपेट में ले लिया. मकान पूरी तरह जमींदोज हो गया. घटना के वक्त घर में रघुवीर सिंह और उनके परिवार के 3 सदस्य सो रहे थे, जिसमें से महिला की मौत हो गई और उसकी 12 साल की बेटी मलबे की चपेट में आने से घायल हो गई. रघुवीर सिंह और उनका एक बच्चा भी चोटिल हुआ है.

Last Updated : Jul 28, 2020, 5:10 PM IST

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