भोपाल:मध्यप्रदेश के इतिहास में पहली बार एक साथ 28 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने जा रहे हैं, जो इन दिनों और भी रोचक हो गए हैं. इस चुनावी दंगल में सबसे ज्यादा रोचक स्थिति उन विधानसभा सीटों पर है, जहां नेताओं ने दूसरी पार्टी का दामन थामा और अब एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव मैदान में हैं. यानी उम्मीदवार तो वही हैं, लेकिन पार्टियां बदल गई हैं. वहीं कुछ सीटों पर पुराने प्रतिद्वंदी चुनाव मैदान में हैं. ग्वालियर पूर्व, सुरखी, बमोरी, सुमावली और डबरा विधानसभा सीट पर पार्टियां बदलकर पुराने उम्मीदवार चुनावी किस्मत आजमाने जनता की अदालत में हैं. जाहिर है कहानी भले ही नई हो, लेकिन बीजेपी उम्मीदवारों के सामने पुरानी पारी कायम रखने की चुनौती एक बार फिर है.
बीजेपी के गढ़ में कमल खिलाने की चुनौती
बीजेपी का गढ़ रही ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट पर दल बदलकर आए मुन्नालाल गोयल के लिए इस सीट पर कमल खिलाना बड़ी चुनौती है. 2018 के चुनाव में मुन्नालाल गोयल ने कांग्रेस के टिकट पर चुनाव जीता था, लेकिन इस बार बीजेपी के झंडे तले चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं पिछले चुनाव में बीजेपी से चुनौती देने वाले सतीश सिंह सिकरवार इस बार कांग्रेस की तरफ से चुनावी मैदान में हैं. यानी उम्मीदवार वही हैं, लेकिन चुनाव चिन्ह बदल गए हैं. मुन्नालाल गोयल 2013 और 2008 के विधानसभा चुनाव में चुनावी हार गए थे.
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एंदल सिंह और अजब सिंह फिर आमने-सामने
सुमावली विधानसभा सीट पर इस बार उम्मीदवार तो वही हैं, लेकिन पार्टी बदल गई है. पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट से चुनाव जीतकर विधानसभा पहुंचे एंदल सिंह कंषाना उपचुनाव में फिर चुनाव लड़ रहे हैं. सिंधिया के साथ बीजेपी में पहुंचे एंदल सिंह कंषाना को बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया है. वहीं दल बदल से नाराज बीजेपी नेता और 2018 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार अजब सिंह कुशवाह इस बार कांग्रेस की तरफ से चुनाव लड़ रहे हैं. अजब सिंह कुशवाह पहले बसपा से भी चुनाव लड़ चुके हैं. 2008 और 2013 का विधानसभा चुनाव उन्होंने बसपा से लड़ा था, लेकिन हार गए थे. उप चुनाव में कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे अजब का राजनीति भविष्य जनता के हाथ में है.
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डबरा में समधी-समधन के बीच मुकाबला
डबरा विधानसभा सीट पर इस बार समधी और समधन के बीच मुकाबल है. सबसे रोचक बात यह है कि दोनों ही उम्मीदवार पार्टी बदलकर इस बार आमने-सामने हैं. शिवराज सरकार में मंत्री इमरती देवी इस बार बीजेपी के टिकट से चुनाव मैदान में हैं. वहीं कांग्रेस ने इस बार सुरेश राजे को टिकट दिया है. सुरेश राजे 2013 से बीजेपी के टिकट पर उतरे थे, लेकिन इमरती देवी से चुनाव हार गए थे. 2018 के चुनाव में टिकट न मिलने से नाराज होकर सुरेश राजे ने कांग्रेस का दामन थाम लिया था. कभी बीजेपी का झंडा बुलंद करने वाले सुरेश राजे की चुनौती कांग्रेस की खोई जमीन पाने की है.