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लॉकडाउन के कारण गुजरात में फंसे करीब पांच हजार मछुआरे, पीएम और सीजेआई से मांगी मदद - प्रधान न्यायाधीश से मछुआरों की अपील

कोरोना संकट के मद्देनजर देशव्यापी लॉकडाउन की वजह से देश के विभिन्न स्थानों पर बड़ी संख्या में लोग फंसे हुए हैं. ऐसे ही लोगों में शामिल हैं आंध्र प्रदेश के हजारों मछुआरे. हजारों की संख्या में ये मछुआरे गुजरात के तट पर फंसे हुए हैं. मछुआरों ने गुजरात सरकार पर मदद नहीं करने का आरोप लगाया है. इन लोगों ने प्रधानमंत्री मोदी और भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिख कर मदद मांगी है.

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प्रतीकात्मक चित्र

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Published : Apr 22, 2020, 9:58 AM IST

नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश के मछुआरों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखा है. पत्र में बताया गया है कि कोरोना संकट के मद्देनजर जारी लॉकडाउन के कारण वे लोग अपने गृह राज्य जाने में असमर्थ हैं. इन लोगों ने प्रशासन से खुद को अपने गृह जिलों में भेजे जाने की गुहार लगाई है.

दरअसल, मछुआरों ने पत्र लिख कर कहा है कि गुजरात में लगभग पांच हजार मछुआरे फंसे हुए हैं. पत्र में कहा गया है कि फंसे हुए मछुआरों को आंध्र प्रदेश के विशाखापट्टनम भेजा जाए. पत्र में आग्रह किया गया है कि सरकर 7-8 नावों (Getty Boats) 2-3 मालवाहक जहाजों (Cargi Ships) औ की व्यवस्था कर फंसे हुए मछुआरों को उनके गृह राज्य भेजने की व्यवस्था करे.

बता दें कि ये मछुआरे आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम, विजयनगरम और विशाखापट्टनम जिलों के रहने वाले हैं. सभी मछुआरों का कहना है कि ये लोग पिछले 20 से अधिक दिनों से गुजरात के सोमनाथ जिले के वेरावल में अरब सागर के तट पर फंसे हुए हैं.

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मछुआरों का कहना है कि गृह मंत्रालय ने राज्य सरकारों को आदेश दिया था कि वह फंसे हुए लोगों के लिए अस्थायी आश्रय गृह बनाकर भोजन पानी और स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराए. पीएम मोदी और सीजेआई बोबडे को लिखे पत्र में मछुआरों ने यह आरोप लगाया है कि गृह मंत्रालय के 29 मार्च के आदेश के बाद भी गुजरात सरकार ने किसी प्रकार की कोई मदद नहीं की है.

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