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गूगल डूडल : ये थीं दुनिया की पहली महिला PHD होल्डर

गूगल डूडल आजकल कोई न कोई संदेश देते हैं, वो चाहे कोई सामाजिक विषय पर हो या फिर इतिहास की याद दिलाता हो. आज के गूगल डूडल में क्या है खास, जानने के लिए पढ़े पूरी खबर.

एलेना कोर्नारो पिस्कोपिया

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Published : Jun 5, 2019, 5:51 PM IST

नई दिल्ली: गूगल डूडल इतना हटके आने लगे हैं कि हर किसी की इस पर नजर टिकी रहती है. दिन बदलते ही लोगों को ये जानने की उत्सुकता होती है कि आज क्या खास होगा. इसलिए हम आपको बता रहे हैं आज के गूगल डूडल के बारे में, जो कि एलेना कोर्नारो पिस्कोपिया की तस्वीर चित्रित करता है.

आज का गूगल डूडल का बहुत से लोगों को इंतजार था क्योंकि आज ईद और साथ ही विश्व पर्यावर्ण दिवस है. मगर गूगल के डूडल में दोनों को ही इस बार जगह नहीं मिली. इस बार गूगल लोगों को एलेना कोर्नारो पिस्कोपिया की याद दिला रहा है. आज उनकी 373वीं जयन्ती है.

एलेना कोर्नारो पिस्कोपिया

कौन हैं एलेना कोर्नारो पिस्कोपिया?
आप भी सोच रहे होंगे की कौन है ये महिला तो आपको बताते चलें कि ये महिला दुनिया की पहली ऐसी महिला हैं, जिसने डॉक्ट्रेट की उपाधि हासिल की. वो भी किसी युनिवर्सिटी द्वारा सम्मान के रूप में नहीं, बल्की अपनी मेहनत से पढ़ाई कर के पीएचडी की डिग्री हासिल की थी. जब उन्होंने पीएचडी पूरी की तो उनकी उम्र 32 साल थी.

  • इटली के वेनिस में 5 जून 1626 को जन्मी एलेना का जीवन संघर्ष से भरा रहा. दो वक्त का खाना भी उन्हे मुश्किल से नसीब होता था. उनकी मां किसान थीं और खेती कर के अपना जीवन यापन करती थीं.
  • एलेना अपने मां-बाप की तीसरी संतान थीं. एलेना के माता-पिता ने उनके जन्म के बाद शादी की थी.
  • एलेना को बचपन से ही पढ़ाई का शौक था. इसी शौक को देखते हुए उनके माता-पिता ने उन्हे बाहर पढ़ने के लिए भेजा.
  • सिर्फ सात साल की थी, जब उन्होंने चार भाषाओं का ज्ञान अर्जित कर लिया था. चार भाषाओं में लैटिन, ग्रीक, फ्रेंच और स्पेनिश शामिल हैं.
  • इसके कुछ सालों बाद जब उन्होंने र्ब्रू और अरबी में भी दक्षता हासिल कर ली तो उन्हें 'ओराकुलम सेप्टिलिंगु' की उपाधि दी गई.
  • पढ़ाई में रुचि के साथ एलेना को संगीत में भी रुचि थी. उन्होंने वीणा, वायलिन, हॉप्सिकॉर्ड और क्लाविकॉर्ड सीखा.
  • भाषा और संगीत के बाद नंबर आता है विज्ञान का. इस क्षेत्र में उन्होंने खूब नाम कमाया और दुनिया में वे विज्ञान के क्षेत्र में काम के लिए जानी जाती हैं.
  • 26 जुलाई 1649 को उनका निधन हो गया. जीवन के अंतिम पड़ाव के दौरान उन्होंने बच्चों की पढ़ाई और चैरिटी पर ध्यान दिया.
    गूगल डूडल.

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