दिल्ली

delhi

ठीक होकर लौटे मरीज की दास्तां : कोरोना ने नहीं, सामाजिक बदनामी ने हैरान कर दिया

By

Published : Apr 25, 2020, 1:47 PM IST

ईटीवी भारत के रिपोर्टर एम मणिकांदन कोरोना वायरस से संक्रमित हो गए थे. अब वे पूरी तरह से ठीक हैं. लेकिन इस दौरान उन्होंने क्या अनुभव किया, किस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा, इसे उन्होंने विस्तार से साझा किया है. उनका दर्द उस समय छलक गया, जब उन्होंने कहा कि कोरोना से ज्यादा खतरनाक सामाजिक बदनामी थी. यहां तक कि इसका दंश उनके परिवार वाले को भी झेलना पड़ गया. पढ़िए उनका पूरा ब्योरा.

corona patirnt account
कोरोना से ठीक हुए मरीज की दास्तां

मणिकांदन का इलाज 21 दिनों तक तमिलनाडु के थंजावुर मेडिकल कॉलेज में चला. उन्होंने कहा कि क्योंकि मैं दिल्ली में नया था, इसलिए कोरोना महामारी के फैलते ही हमने गृह जिला जाने का निर्णय ले लिया. 24 मार्च को वे दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे. वे वहां से चेन्नई पहुंच गए. ओला कैब से चेन्नई से 300 किसी दूर थंजावुर के उर्नीपुरम पहुंचे. वहां उन्होंने अपने शरीर में दर्द का अनुभव किया. उन्होंने अपने आप को क्वारेन्टीन करने का निर्णय ले लिया. उसके लिए वे पास के प्राइमरी हेल्थ केयर सेंटर में गए. तभी उन्हें एक खबर मिली. इसके अनुसार जिस फ्लाइट से वे वापस आए थे, उनमें से कई लोगों को कोरोना संक्रमण हो चुका था. यह खबर देखकर उन्हें भी लगा कि उन्हें टेस्ट करवाना चाहिए. दो अप्रैल को स्थानीय अधिकारी ने उन्हें थंजावुर मेडिकल कॉलेज भेज दिया.

इधर उनके घर के चारों ओर चर्चाएं तेज हो गईं. लोग कहने लगे, देखो उसे कोरोना हो गया है. वह गंभीर है. आसपास के लोगों को अलर्ट रहने को कहा गया. व्हाट्सएप में इस तरह के मैसेज भी साझा किए जाने लगे. यह एक तरह का सामाजिक धब्बा वाली स्थिति थी.

दो अप्रैल को उनके थ्रोट स्वाब और नासिका की टेस्टिंग की गई. थिरुवायुर लैब को सैंपल भेज दिया गया. हालांकि, उन्हें ना तो बुखार था, ना ही कफ, ना ही छींक हो रही थी. थकावट भी महसूस नहीं कर रहे थे. पांच दिनों के बाद डॉक्टर ने उन्हें कोरोना संक्रमित होने की बात बताई. लेकिन इस वक्त तक भी कोई लक्षण नहीं दिख रहे थे. आगे उन्होंने कुछ इस तरह से अपनी दास्तां लिखी.

एक दिन बाद मेरे परिवार के सदस्यों का भी सैंपल लिया गया. बेटे बेटे का भी. हालांकि, मुझे उस वक्त बड़ी राहत मिली, जब परिवार के सभी सदस्यों की रिपोर्ट निगेटिव निकली. संभवतः सोशल डिस्टेंसिंग की वजह से यह परिणाम आया. इसके बावजूद उन सबको 14 दिनों के लिए क्वारेन्टीन कर दिया गया. मेरे बच्चे चाहते थे कि वे खेलें, लेकिन उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी जाती थी.

मेरे साथ इलाज करवा रहे शेख अलाउद्दीन हमेशा सकारात्मक बने रहने की प्रेरणा देते रहते थे. उन्होंने तमिल और मलयाली सिनेमा देखने की सलाह दी, खासकर पुलिस से संबंधित फिल्में. ऐसा इसलिए क्योंकि तनाव हम लोगों पर हावी ना हो जाए. खाने में हमें हर चीजें दी जाती थीं. इडली, डोसा, चपाती, बिरयानी, फल वगैरह. अंडा, दूध, काजू भी दिया जाता था. दिन में दो बार मनोवैज्ञानिक काउसंलिंग दी जाती थी.

डॉक्टर, नर्स, सैनिटरी वर्कर्स रिस्क लेकर काम करते थे. रिस्क लेकर वे हमारा ब्लड सैंपल लेते थे. यह सचमुच दुर्भाग्य की बात रही कि चेन्नई के मशहूर न्यूरोलॉजिस्ट सिमोन ह्रक्यूलस की कोरोना से मौत हो गई. और आसपास के लोगों ने उनका अंतिम संस्कार नहीं होने दिया. उनके एंबुलेंस पर हमला भी कर दिया गया था. जयामोहन नाम के एक अन्य डॉक्टर की भी मृत्यु हुई. उनके साथ भी यही हुआ. मेरे साथ इलाज करा रहे लोगों ने जब ये सभी खबरें पढ़ीं, तो वे रोने लगे. उन्होंने कहा कि अगर आज मुझे कुछ हो गया, तो मेरे साथ भी ये लोग यही करेंगे. मेरा अंतिम संस्कार भी नहीं होने देंगे. हालांकि, मैंने उन्हें ढाढस बंधाया. हमलोग एक दूसरे के घनिष्ठ दोस्त बन गए थे. अलग-अलग विषयों पर चर्चा कर तनाव को दूर रखने का प्रयास करते रहते थे. मैं किंडल पर किताबें पढ़ता था. हॉटस्टार पर फिल्में देखता था. बीमारी से अधिक दंश मुझे सामाजिक दाग का लगता रहा.

मुझसे तो एक आदमी भी संक्रमित नहीं हुआ. बाद में मुझे पता चला कि जहां मेरा घर था, वह पूरा क्षेत्र ही कंटेन्मेंट जोन घोषित कर दिया गया. इसे जानकर आसपास के लोग मुझ पर नाराज हो गए. वे लोग वहां से कहीं और चले जाना चाहते थे.

21 दिनों के बाद मुझे राहत भरी खबर मिली. मैं स्वस्थ घोषित कर दिया गया. डॉक्टर, नर्स के अलावा मैं तो हेल्दी फूड को क्रेडिट देना चाहूंगा. मेरे साथी मुझे बार-बार कॉल करते थे. उनकी दुआएं भी जरूर मेरे काम आई होंगी. मेरे ईटीवी भारत के सहयोगियों ने बार-बार मेरा ढाढस बंधाया. चेन्नई प्रेस क्लब ने पूरा मेरा साथ दिया.

डीएमके प्रेसिडेंट एमके स्टालिन और कनिमोझी ने मुझे कॉल किया था. मेरे स्वास्थ्य के बारे में जानकारी ली थी.

मैं कोरोना संक्रमित मरीजों से अपील करना चाहूंगा कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है. तनाव से दूर रहें. कोरोना वॉरियर्स आपको कुछ नहीं होने देंगे.

मैं लोगों से भी अपील करना चाहूंगा कि वे स्वार्थी ना बनें. असुरक्षा की भावना को ना बढ़ाएं. ऐसा कुछ नहीं होता है, जिस तरह का हौवा खड़ा करते हैं. आप सोशल डिस्टेंसिंग को फॉलो करें. हेल्दी फूड खाएं. बार-बार हाथ धोएं. बेवजह का सामाजिक भेदभाव और सामाजिक दाग किसी पर ना लगाएं.

ABOUT THE AUTHOR

...view details