देहरादून : आजादी मिलने के बाद देश के संविधान का लिखित पुलिंदा तैयार करने के लिए डॉ. भीमराव अंबेडकर की अध्यक्षता में प्रारूप समिति ने इसका मसौदा तैयार किया. दुनिया का सबसे बड़ा लिखित संविधान 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा ने स्वीकार भी कर लिया. इसके बाद इस ऐतिहासिक संविधान की प्रति को छापने की जिम्मेदारी सर्वे ऑफ इंडिया को दी गई, जहां संविधान की पहली एक हजार प्रतियां छापी गईं. भारत के संविधान की छापी गई वही पहली प्रति आज भी सर्वे ऑफ इंडिया में मौजूद है.
हम सभी जानते हैं की 15 अगस्त 1947 को हमें आजादी मिली, लेकिन देश को चलाने के लिए हमारे पास कोई संविधान नहीं था. स्वतंत्र गणराज्य बनाने और कानून बनाने के लिए 26 नवम्बर 1949 को भारतीय संविधान सभा द्वारा संविधान को अपनाया गया और 26 जनवरी 1950 को इसे लागू कर दिया गया.
अब बारी थी संविधान को छापने की, जिसके लिए उस समय सर्वे ऑफ इंडिया देहरादून को चुना गया. खास बात ये है कि संविधान की पहली प्रति हाथ से लिखी गई थी. प्रेम बिहारी नारायण रायजादा ने इसे हाथ से लिखा था और कागज के चारों तरफ डिजाइन भी किया था.
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