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निजामुद्दीन मरकज मामला : एफआईआर दर्ज, जानिए कैसे बरती गई लापरवाही

निजामुद्दीन मरकज को खाली करने के लिए कई बार निर्देश दिए गए थे लेकिन मरकज के लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. निजामुद्दीन एसएचओ मुकेश वालिया की तरफ से दर्ज एफआईआर में ऐसी कई बातों का जिक्र है, जिसमें मरकज के लोगों ने कानून का पालन नहीं किया. जानें क्या है पूरा मामला...

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Published : Apr 2, 2020, 6:03 PM IST

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नई दिल्ली : निजामुद्दीन मरकज को खाली करने के लिए कई बार दिल्ली पुलिस और एसडीएम द्वारा निर्देश दिए गए थे लेकिन मरकज प्रमुख सहित प्रबंधन के अन्य लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया. यहां सरकार के आदेश का ही नहीं बल्कि सोशल डिस्टेंसिंग का भी ख्याल नहीं रखा गया, जिसकी वजह से इस महामारी के फैलने का खतरा अधिक बढ़ गया. इसके चलते क्राइम ब्रांच ने एफआईआर में मरकज के प्रमुख मौलाना मोहम्मद साद सहित सात लोगों को आरोपी बनाया है.

एसएचओ ने दर्ज कराया केस
निजामुद्दीन एसएचओ मुकेश वालिया की तरफ से दर्ज करवाई गई एफआईआर निजामुद्दीन स्थित मरकज प्रबंधन के खिलाफ है. अपने बयान में मुकेश वालिया ने कहा है एपेडेमिक डिजेज 1897 एक्ट के चलते 12 मार्च को दिल्ली सरकार की तरफ से लोगों के एकत्रित नहीं होने को लेकर गाइडलाइन जारी की गई थी. 16 मार्च को इसे लेकर दिल्ली सरकार का आदेश आया कि कहीं पर भी 50 से ज्यादा लोग एकत्रित नहीं होंगे. यह आदेश 31 मार्च तक के लिए था.

21 मार्च से पुलिस कर रही थी अपील
21 मार्च को निजामुद्दीन पुलिस ने मरकज में जाकर मुफ्ती शहजाद को बताया कि किस तरीके से कोरोना फैल रहा है. इसे लेकर वहां मौजूद विदेशियों को उनके देश भेजने का काम उन्हें तुरंत करना चाहिए.

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इसके साथ ही वहां मौजूद भारतीय लोगों को भी उनके घर जाने के लिए उन्हें कहना चाहिए लेकिन मरकज प्रशासन की तरफ से इस बात पर कोई ध्यान नहीं दिया गया. इसके बाद मौलाना साद (तबलीग जमात के प्रमुख) ने एक ऑडियो जारी किया. इसमें वह लॉकडाउन का उल्लंघन करने और मरकज में लोगों को एकत्रित होने की बात कह रहे हैं.

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24 मार्च को भी दी चेतावनी
भारत सरकार ने 24 मार्च को 21 दिनों का लॉकडाउन घोषित कर दिया. इसी दिन एसीपी लाजपत नगर की तरफ से सर्कुलर जारी कर धारा 144 लगाई गई, जिसमें किसी भी प्रकार से लोगों के एकत्रित होने पर रोक लगाई गई.

यह जानकारी मौलाना मोहम्मद साद और प्रबंधन को भी दी गई. 24 मार्च को पुलिस थाने में हुई बैठक में मोहम्मद अशरफ, मुफ्ती शहजाद, डॉक्टर जीशान, मुरसलीन सैफी, मोहम्मद सलमान और यूनुस शामिल थे. इसके बावजूद न तो मोहम्मद साद और ना ही अन्य लोगों द्वारा यहां मौजूद लोगों को हटाया गया.

नोटिस का भी नहीं पड़ा कोई असर
उन्हें 24 और 28 मार्च को नोटिस भी दिया गया लेकिन उन्होंने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया. डिफेंस कॉलोनी एसडीएम 26, 27, 28, 29 और 30 मार्च को मरकज में पहुंचे थे. यहां 1300 से ज्यादा देश विदेश के लोग एकत्रित थे, जो सोशल डिस्टेंस बनाने की जगह एक साथ रह रहे थे. मरकज प्रबंधन एवं उक्त लोगों ने पुलिस एवं प्रशासन द्वारा बार-बार आदेश देने के बावजूद इसका उल्लंघन किया.

एफआईआर में लापरवाही की बात
एफआईआर में कहा गया है कि इनकी वजह से ऐसे हालात बने, जिसकी वजह से कई लोगों की जान खतरे में है. यहां मौजूद लोग न तो सैनिटाइजर इस्तेमाल कर रहे थे और न ही आपस में दूरी बनाकर रह रहे थे. इसकी वजह से बड़ी संख्या में कोरोना के फैलने का शक है.

इसकी जानकारी उनकी तरफ से वरिष्ठ अधिकारियों को दी गई जिसके बाद यह तय किया गया कि क्राइम ब्रांच आगे की कार्रवाई करेगी.

एसएचओ मुकेश वालिया की तरफ से दिए गए बयान पर क्राइम ब्रांच ने एपिडेमिक डिजीज की धारा 3, डिजास्टर मैनेजमेंट एक्ट 2005 की धारा 51, 58 और आईपीसी की धारा 188, 269, 270, 271 और 120 बी के तहत मामला दर्ज किया है.

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