आगरा :जिले के कैंट रेलवे कॉलोनी निवासी एक परिवार पर जिलाधिकारी के आदेश पर सदर थाने में महामारी एक्ट का पहला मुकदमा दर्ज किया गया है. परिवार ने कोरोना वायरस से पीड़ित महिला की जानकारी छुपाई थी. पीड़ित महिला इटली से हनीमून मनाने के बाद भारत लौटी थी. इसके बाद बेंगलुरु में पति के कोरोना से पीड़ित होने की पुष्टि होने के बाद पीड़िता अपने मायके आई थी.
दरअसल, पति के संक्रमित पाए जाने के बाद महिला को भी आइसोलेशन पर रखा गया, लेकिन महिला आइसोलेशन से बाहर निकली और दिल्ली होते हुए ट्रेन से आगरा जा पहुंची. महिला परिवार के आठ सदस्यों के साथ रह रही थी. इन सभी को आइसोलेट करने की बात की गई तो उन्होंने इनकार कर दिया. बाद में पुलिस की सहायता से परिवार के सदस्यों को क्वॉरंटाइन किया जा सका.
पीड़ित महिला की फरवरी में शादी हुई थी. नवविवाहित युगल हनीमून के लिए इटली गया था. इटली से लौटे तो सात मार्च को उसके पति का कोरोना वायरस टेस्ट पॉजिटिव निकला. अलीगढ़ मेडिकल कॉलेज ने महिला को वायरस की संदिग्ध मरीज बताया था, जिसके बाद स्वास्थ्य अधिकारी हरकत में आए.
संदिग्ध कोरोना वायरस मरीज की पहचान उजागर करने पर चिकित्सा अधीक्षक निलंबित
वहीं एक और मामला जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले का है, जहां कोरोना वायरस के एक संदिग्ध मरीज की पहचान उजागर करने को लेकर एक अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को निलंबित कर दिया है.
अधिकारियों ने बताया कि राजौरी के जिला विकास आयुक्त (डीडीसी) मोहम्मद नजीर शेख ने राजौरी के सरकारी चिकित्सकीय कॉलेज के ‘एसोसिएटिड हॉस्पिटल’ के चिकित्सा अधीक्षक रघुवीर सिंह को निलंबित करने का शनिवार को आदेश दिया.
चिकित्सक ने संदिग्ध मरीज की पहचान उजागर कर दिशानिर्देशों का उल्लंघन किया था जिसके बाद उसके खिलाफ कार्रवाई की गई.