नई दिल्ली : एक चौंकाने वाली स्थिति में नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने पाया है कि छह वर्ष में (2018 तक) 659.99 करोड़ रुपये का जुर्माना विदेशी सैन्य विक्रेताओं पर ऑफसेट दायित्वों को पूरा करने में विफल रहने के लिए लगाया गया था, उसमें से मई 2019 तक सिर्फ 2.97 करोड़ रुपये यानी मात्र 0.45 प्रतिशत जुर्माने की ही वसूली की गई है.
हाल ही में प्रकाशित हुई कैग की मैनेजमेंट ऑफ डिफेंस ऑफसेट्स रिपोर्ट के अनुसार 659.99 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है, जिसमें से सेना के सौदों के लिए 105.35 करोड़ रुपये का जुर्माना और आईएएफ सौदों के लिए 478.35 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है. साथ ही नौसेना के सौदों के लिए 76.29 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है.
वहीं रक्षा मंत्रालय ने कैग की रिपोर्ट में वसूली के आंकड़े का खंडन करते हुए कहा कि विदेशी विक्रेताओं से जुर्माना के रूप में 57.68 करोड़ रुपए यानी 8.7 प्रतिशत की वसूली की गई है.
बता दें कि ऑफसेट एक ऐसा अनुबंध है, जो इंडियन ऑफसेट पार्टनर को विदेशी साजो-सामानों की बड़ी खरीद या प्रौद्योगिकी हस्तांतरण में खरीदार देश के संसाधनों के एक महत्वपूर्ण बहिर्वाह के लिए घरेलू उद्योग की क्षमताओं को बेहतर बनाने में मदद करता है.