जगदलपुर :छत्तीसगढ़ में सरकार की पुर्नवास नीति और लोन वर्राटू अभियान से प्रेरित होकर नक्सली सरेंडर कर रहे हैं. ईटीवी भारत उन महिला नक्सलियों और नक्सल पीड़ितों के पास पहुंचा, जो न सिर्फ मेन स्ट्रीम में आकर नौकरी कर रहीं हैं बल्कि हंसी-खुशी जिंदगी भी बिता रहीं हैं. मुख्यधारा से जुड़ चुकी महिला नक्सलियों और पीड़ितों ने कहा, नई जिंदगी मिली है. उन्होंने अन्य महिला नक्सलियों से ईटीवी भारत के जरिए सही रास्ते पर लौटने की अपील की है.
150 से ज्यादा को मिल चुकी है नौकरी
बस्तर पुलिस ने बताया कि जिले में साल 2013 से 2020 तक 520 से अधिक नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया है. 520 में 200 से अधिक महिलाएं शामिल हैं. इनमें से 150 से अधिक सरेंडर नक्सलियों को पुनर्वास नीति के तहत नौकरी दी गई है. इसके अलावा उन्हें आवास भी उपलब्ध कराया गया है. सरेंडर महिला नक्सलियों और नक्सल पीड़िताओं ने बताया कि उन्हें संगठन और नक्सल प्रभावित ग्रामीण इलाकों में इलाज के लिए काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता था. पुनर्वास नीति से जुड़कर शहर में रहने से अब उन्हें अस्पताल में सभी स्वास्थ्य सुविधाएं मिल रही हैं.
पुर्नवास नीति के तहत मिली नौकरी
सरेंडर महिला नक्सली ने बताया कि वह 2012 में नक्सली संगठन से जुड़ीं. साल 2016 में नक्सलियों की प्रताड़ना से तंग आकर और परिवार की देखभाल के लिए उन्होंने नक्सली संगठन छोड़ दिया. पुनर्वास नीति का लाभ लेते हुए उन्हें जिला पुलिस बल में नौकरी मिली. पुलिस जवान से शादी की. सरकार ने घर दिया और हंसी-खुशी वो अपने परिवार के साथ रह रहीं हैं. आज वे पुलिस जवानों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन में जा रहीं हैं. उन्होंने बताया कि उन्हें सरकार की योजनाओं का लाभ मिल रहा है.
नक्सल संगठन छोड़कर शुरू की नई जिंदगी
सरेंडर महिला नक्सली ने बताया कि उन्होंने हिंसा का रास्ता छोड़ने के बाद शादी की. बस्तर पुलिस ने धूमधाम से शादी कराई. दोनों पुलिस में नौकरी कर रहें हैं और दो बच्चों के साथ सुखी जीवन बिता रहें हैं. सरकार की योजनाओं के साथ-साथ उन्हें सरकारी घर भी मिला है.