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मेघालय : पंजाबी लाइन में रहने वालों का सता रहा है बेदखली का डर

खली हिल्स स्वायत्त परिषद (केएचएडीसी) के बाद मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में 'पंजाबी लाइन' के नाम से मशहूर हरिजन कॉलोनी के 2500 से अधिक निवासियों को आवास खोने का डर है. क्योंकि परिषद के मुख्य कार्यकारी सदस्य टिटोसस्टेरवेल चाइन ने कहा कि राज्य सरकार को हेमा मलीम के सिइम से जमीन के स्वामित्व का हस्तांतरण होगा.

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Published : Feb 2, 2021, 10:38 PM IST

Fear grips
Fear grips

नई दिल्ली :खली हिल्स स्वायत्त परिषद (केएचएडीसी) के बाद मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में 'पंजाबी लाइन' के नाम से मशहूर हरिजन कॉलोनी के 2500 से अधिक निवासियों को आवास खोने का डर है. क्योंकि हाल ही में कहा गया था कि हेमा मेलीम की सिमी (पारंपरिक सरदार) राज्य सरकार के साथ मावलांग में हरिजन कॉलोनी की भूमि के स्वामित्व को हस्तांतरित करने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर करने वाली है.

मावलांग की हरिजन कॉलोनी में 300 सिख परिवारों का निवास है, जिन्हें 1853 में मेघालय में ब्रिटिश शासकों द्वारा लाया गया था. जो मुख्य रूप से व्यापार और साफ-सफाई का काम करते थे. सिख परिवारों के वंशज अभी भी हैं जिनकी आबादी लगभग 2500 हो गई है और सभी इसी कॉलोनी में रहते हैं. सरकार द्वारा कथित रूप से हरिजन कॉलोनी के निवासियों को बेदखल करने के लिए 'प्रयास' किए जाने के बाद 2018 में स्थानीय खासी और सिख निवासियों के बीच हिंसक झड़प हुई थी. हालांकि, सिख निवासियों और एक स्थानीय बस कंडक्टर के बीच हुए विवाद के साथ शुरू यह झगड़ा काफी बढ़ गया. स्थानीय लोगों द्वारा कॉलोनी के निवासियों पर हमला करने और आस-पास कुछ दुकानों को आग लगाने के बाद स्थिति हिंसक हो गई. स्थिति को नियंत्रित करने के लिए कई दिनों तक कर्फ्यू लगाने और केंद्रीय बलों की तैनाती के लिए गवर्नर को मजबूर होना पड़ा. इसके बाद भी कई दिनों तक स्थिति तनावपूर्ण बनी रही.

यह है नया फरमान

परिषद के मुख्य कार्यकारी सदस्य टिटोसस्टेरवेल चाइन ने सोमवार को कहा कि राज्य सरकार को हेमा मेलीम के सिमी से जमीन के स्वामित्व का हस्तांतरण होगा और सियाम और राज्य सरकार के बीच एक समझौते पर हस्ताक्षर किए जाएंगे. उन्होंने कहा कि हेमा मेलीम सहमति पत्र का मसौदा भेजा था, क्योंकि वह परिषद की मंजूरी के बिना समझौते पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते थे. कॉलोनी के निवासी और हरिजन कॉलोनी पंचायत के अध्यक्ष गुरजीत सिंह ने कहा कि हमने आज एक समाचार पत्र में इसे देखा है. केएचएडीसी यह कैसे कर सकता है? सरकार ने जून 2018 में हिंसा के बाद एक उच्च स्तरीय विशेषज्ञ समिति का गठन किया था और उनसे समस्या का स्थायी समाधान निकालने के लिए कहा था.

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समिति ने अभी तक कोई रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं की है. कहा कि हमारे पूर्वज 1853 से इस क्षेत्र में रह रहे हैं. क्षेत्र के तत्कालीन सीएम ने हमारे पूर्वजों को जमीन दान में दी थी और कहा था कि वे जब तक चाहें, यहां रह सकते हैं. अब सरकार कोशिश कर रही है कि हमें यहां से निकाला जाए, यह उचित नहीं है.

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