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आंदोलन का 23वां दिन : किसानों के समर्थन में अखिल भारतीय किसान सभा - farm laws farmers protest

आंदोलन का 23वां दिन
आंदोलन का 23वां दिन

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Published : Dec 18, 2020, 6:54 AM IST

Updated : Dec 18, 2020, 5:39 PM IST

17:28 December 18

अखिल भारतीय किसान सभा ने की किसान प्रदर्शन के समर्थन की घोषणा 

अखिल भारतीय किसान सभा ने कहा कि वे दिल्ली में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करते हैं. सभा के अधिकारियों ने कहा कि वे कृषि कानूनों के खिलाफ 21 दिसंबर को नासिक से दिल्ली के लिए निकलेंगे और विरोध प्रदर्शन में किसानों का साथ देंगे. 

16:42 December 18

किसानों के समर्थन में आए भाजपा नेता बीरेंद्र सिंह

कृषि कानूनों को लेकर भाजपा की मुश्किलें और बढ़ती नजर आ रही हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं वरिष्ठ भाजपा नेता चौधरी बीरेंद्र सिंह भी किसानों की मांगों के समर्थन में आ गए हैं. बीरेंद्र सिंह आज छोटूराम विचार मंच के बैनर तले किसानों की मांगों के समर्थन में सांपला स्थित छोटूराम संग्रहालय में धरने पर बैठेंगे. इसमें छोटूराम की विचारधारा को मानने वाले 140 लोग शामिल होंगे.

केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर पंजाब-हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान विरोध-प्रदर्शन कर रहे हैं. ऐसे में भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार किसानों को समझाने में लगी है, लेकिन इसी बीच पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्यसभा सांसद चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा है कि उनके लिए पार्टी और राजनीति से बढ़कर किसानों का हित है.

उन्होंने कहा कि मैं किसानों की अगुवाई करने के लिए तैयार था. अब किसानों के समर्थन में धरना दूंगा. पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने 18 दिसंबर को किसानों की मांगों के समर्थन में सांपला स्थित छोटूराम संग्रहालय में धरना देने का निर्णय लिया है. जिसमें छोटूराम की विचारधारा को मानने वाले लोग शामिल होंगे.

16:39 December 18

संत बाबा राम सिंह का हुआ अंतिम संस्कार

संत बाबा राम सिंह का हुआ अंतिम संस्कार

किसानों के हक के लिए खुद को गोली मारकर आत्महत्या करने वाला संत बाबा राम सिंह का अंतिम संस्कार हो गया. करनाल के शिंगड़ा के नानकसर गुरुद्वारे में राम सिंह पंचतत्व में विलीन हुए. गुरुद्वारे में संत राम सिंह के अंतिम संस्कार के लिए समाधि तैयार की गई थी.

बता दें कि, इस अंतिम संस्कार में लोगों की काफी भीड़ जुटी. लोगों ने नम आंखों से संत बाबा राम सिंह को विदाई दी. इस दौरान वाहेगुरु का सिमरन चलता रहा. 

लोगों के साथ-साथ हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, भारतीय किसान यूनियन के अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी, पंजाब के नेता और हरियाणा गुरुद्वारा प्रबंधन कमेटी की अध्यक्ष बीबी जागीर कौर श्रद्धांजलि देने पहुंची थी.

बाबा की शहादत से इलाके के लोगों को गहरा सदमा लगा है. अनुयायी रोते-बिलखते अपने संत के अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे. इस दौरान बीबी कौर ने कहा कि सरकार को अब अपनी जिद छोड़ देनी चाहिए और कानून को वापस ले लेने चाहिए.

गौरतलब है कि संत राम सिंह ने किसान आंदोलन के चलते सरकार के गैर जिम्मेदार रवैये से नाराज होकर सिंघु बॉर्डर पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. 

उनके पास से सुसाइड नोट भी मिला था. उसमें उन्होंने साफ-साफ कहा था कि वे सरकार के जुल्म और किसानों के हक के लिए आत्महत्या कर रहे हैं. आज उनको अंतिम विदाई दी गई है

13:52 December 18

टिकरी बॉर्डर पहुंचे कांग्रेस नेता विजेंद्र सिंह, बांटा खाना

टिकरी बॉर्डर पहुंचे कांग्रेस नेता विजेंद्र सिंह

बॉक्सर और कांग्रेस नेता विजेंद्र सिंह कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों का समर्थन करने टिकरी बॉर्डर पहुंचे. विजेंद्र सिंह ने कहा लड़ाई सरकार के साथ नहीं है लड़ाई तीन काले कानूनों के ​साथ है. 

13:30 December 18

दिल्ली में कड़ाके की ठंड में भी किसानों का धरना प्रदर्शन लगातार जारी

ठंड में भी किसानों का धरना प्रदर्शन लगातार जारी

सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर किसानों का प्रदर्शन लगातार 23वें दिन भी जारी है.नए कृषि कानूनों के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन और रास्ते बंद किए जाने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि किसानों के आंदोलन को बिना बाधा जारी रखने की इजाजत दी जानी चाहिए और यह अदालत इसमें दखल नहीं देगी, क्योंकि प्रदर्शन करने का अधिकार मौलिक अधिकार है. अदालत ने सिर्फ एक ही चेतावनी दी कि किसानों या पुलिस की तरफ से शांति भंग नहीं होनी चाहिए. अदालत ने कहा कि किसानों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन इससे दूसरों के आने-जाने और खानपान की जरूरी वस्तुएं हासिल करने का मौलिक अधिकार बाधित नहीं होना चाहिए.

12:16 December 18

संत बाबा राम सिंह के अंतिम संस्कार के लिए भारी संख्या में पहुंच रहे लोग

संत बाबा राम सिंह के अंतिम संस्कार

आंदोलन के बीच किसानों के हक और सरकार के जुल्म के खिलाफ गोली मारकर आत्महत्या करने वाले संत बाबा राम सिंह का आज अंतिम संस्कार होने वाला है. बाबा का अंतिम संस्कार करनाल के शिंगड़ा के नानकसर गुरुद्वारे में किया जाएगा. यहां पर सुबह से ही संगत पहुंचनी शुरू हो गई है ताकि उनके अंतिम संस्कार में शामिल हो सके. 

साथ ही उनके अंतिम संस्कार में बड़े राजनीतिक लोगों के भी पहुंचने की उम्मीद है. इससे पहले नानकसर गुरुद्वारा में बाबा राम सिंह के अंतिम दर्शन के लिए पंजाब सरकार के कैबिनट मंत्री भी गुरुवार रात करनाल पहुंचे. वहीं दिनभर आम संगत के साथ-साथ पंजाब, हरियाणा सरकार में वर्तमान और पूर्व में रहे मंत्रियों और नेताओं का तांता लगा रहा.संत राम सिंह ने किसान आंदोलन के चलते सरकार के गैर जिम्मेदार रवैया से नाराज होकर सिंघु बॉर्डर पर गोली मारकर आत्महत्या कर ली थी. उनके पास से सुसाइड नोट भी मिला था. आज उनको अंतिम विदाई दी जाएगी. 

10:55 December 18

सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन

सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन

 सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन 

10:45 December 18

चिपको आंदोलन के नेता ने किया किसानों का समर्थन

चिपको आंदोलन के नेता ने किया किसानों का समर्थन

चिपको आंदोलन के नेता सुंदरलाल बहुगुणा ने तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों का समर्थन करते हुए कहा कि मैं अन्नदाता की मांगों का समर्थन करता हू.

09:17 December 18

किसान-मजदूर समन्वय समिति का हुआ गठन

किसान-मजदूर समन्वय समिति का हुआ गठन

कृषि कानून के विरोध में किसान कड़ाके की सर्दी में दिल्ली बॉर्डर पर डटे हुए हैं. किसानों के इस आंदोलन में अब हिसार में एक किसान मजदूर समिति का गठन किया गया. ये समिति अब बीजेपी-जेजेपी नेताओं का बहिष्कार करेगी.गुरुवार को अखिल भारतीय किसान मजदूर समिति की एक महत्वपूर्ण बैठक पूर्व चेयरमैन सतीश कुमार की अध्यक्षता में जाट धर्मशाला में की गई. बैठक का संचालन सतवीर सिंह पूनिया ने किया.

बैठक में जिला स्तरीय कमेटी सहित जिला कोर कमेटी का गठन किया गया. इसके साथ ही फैसला लिया गया कि शुक्रवार व शनिवार को हल्का कमेटियों का गठन करते हुए किसान आंदोलन को तेज किया जाएगा.बैठक का संचालन कर रहे सतवीर सिंह पूनिया ने समिति गठन के बाद कहा कि 14 सदस्यों ने आंदोलन को गांव-गांव ले जाकर मजबूत किया है और अब ग्रामीण स्तर पर कमेटियों का गठन करने के साथ-साथ जेजेपी और बीजेपी नेताओं के बहिष्कार करने का भी आह्वान किया गया है.

09:06 December 18

बिहार से साइकिल चलाकर दिल्ली पहुंचे 60 वर्षीय मांझी, कहा- रद्द हो कानून

बिहार से साइकिल चलाकर दिल्ली पहुंचे 60 वर्षीय मांझी

कृषि कानूनों के विरोध में किसान 23 दिनों से दिल्ली के सभी बॉर्डर पर बैठे हुए हैं. किसानों की मांग है कि सरकार कृषि कानूनों को रद्द करे, लेकिन कई बैठकों के बावजूद किसान और सरकार के बीच में कोई हल नहीं निकला.इस बीच किसानों के विरोध में शामिल होने के लिए बिहार के सिवान से 1100 किमी साइकिल चलाकर 60 वर्षीय सत्य देव मांझी 11 दिन में दिल्ली पहुंचे. वहीं दिल्ली पहुंचने के बाद उन्होंने कहा कि मैं चाहता हूं कि मोदी सरकार जल्द से जल्द तीनों कृषि कानूनों को रद्द करे. जब तक आंदोलन समाप्त नहीं होगा मैं यहीं रहूंगा.

09:05 December 18

बॉर्डर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

बॉर्डर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 23वें दिन भी जारी है, इस बीच बॉर्डर पर सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं

08:29 December 18

सरकार काले कानून को वापस ले : किसान

सरकार काले कानून को वापस ले

कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन जारी है. किसान मजदूर संघर्ष कमेटी पंजाब के दयाल सिंह ने बताया सुप्रीम कोर्ट ने जो कमेटी बनाई है उसमें हम यकीन नहीं रखते. अगर सरकार बातचीत करके काले कानून वापस लेती है तो ठीक नहीं तो हम ये मोर्चा नहीं छोड़ेंगे.

07:07 December 18

किसान आंदोलन के बीच कृषि मंत्री तोमर का पत्र, पीएम बोले- जरूर पढ़ें सभी अन्नदाता

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ गतिरोध गहराता दिख रहा है. इसी बीच गुरुवार को किसान आंदोलन के 22वें दिन कृषि मंत्री तोमर ने 8 पन्नों का पत्र लिखा है. किसानों को संबोधित करते हुए तोमर ने कहा कि कृषि सुधार किसानों के हित में किए गए हैं. तोमर के पत्र लिखने के बाद पीएम मोदी ने इसे रीट्वीट कर इसे जरूर पढ़ने और अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की अपील भी की.तोमर के पत्र लिखने के बाद पीएम मोदी ने ट्वीट कर किसानों से उसे पढ़ने की अपील की.

06:21 December 18

किसान आंदोलन लाइव अपडेट

नई दिल्ली : केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलनरत है. आज प्रदर्शन का 23वां दिन है. किसान और सरकार के बीच अब तक बात नहीं बन पाई है. किसान नेताओं का कहना है कि आगे की रणनीति तय करने के लिए वे वरिष्ठ वकीलों से मिलेंगे. किसान नेताओं ने कहा कि आगे की रणनीति तय करने से पहले वे कॉलिन गोंजाल्वेस, दुष्यंत दवे और प्रशांत भूषण जैसे वकीलों के साथ विचार-विमर्श करेंगे.

गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि विवादित कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध को समाप्त करने के लिए वह कृषि विशेषज्ञों और किसान संगठनों के एक ‘निष्पक्ष और स्वतंत्र’ पैनल का गठन करना चाहता है. आंदोलन कर रहे किसानों ने अहिंसक प्रदर्शन करने के किसानों के अधिकार को स्वीकार करने के न्यायालय के फैसले का स्वागत किया, लेकिन उन्होंने मामले का ठोस हल निकलने तक आंदोलन जारी रखने पर जोर दिया. वहीं, केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों पर तीन नए कृषि कानूनों को लेकर भ्रम फैलाने का आरोप लगाते हुए आंदोलनरत किसानों से इस सफेद झूठ से बचने की सलाह दी और उन्हें आश्वस्त किया कि सरकार उनकी सभी चिंताओं को दूर करने को तैयार है. 

उन्होंने वामपंथी दलों पर हमला करते हुए कहा कि वे आज भी 1962 की भाषा बोल रहे हैं जो उन्होंने चीन के खिलाफ लड़ाई के दौरान उस वक्त इस्तेमाल की थी. न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) के जारी रहने और मंडी व्यवस्था को मजबूत करने का आश्वासन देते हुए तोमर ने किसानों से आग्रह किया कि वे  राजनीतिक स्वार्थ के लिए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ फैलाए जा रहे भ्रम से बचें.
उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार और किसानों के बीच झूठ की दीवार खड़ी करने की साजिश रची जा रही है.

किसानों के नाम लिखे एक पत्र में तोमर ने दावा किया कि तीन कृषि सुधार कानून भारतीय कृषि में नए अध्याय की नींव बनेंगे, किसानों को और स्वतंत्र तथा सशक्त करेंगे.राष्ट्रीय किसान मजदूर सभा के नेता अभिमन्यु कोहड़ ने कहा, हम शुक्रवार को वरिष्ठ अधिवक्ताओं कॉलिन गोंजाल्वेस, दुष्यंत दवे, एच. एस. फुल्का और प्रशांत भूषण से मिलेंगे और उनकी सलाह लेंगे कि आगे क्या किया जा सकता है. उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (करीब 40 किसान संगठनों का संयुक्त मोर्चा) दिल्ली से सटी विभिन्न सीमाओं पर प्रदर्शन कर रहा है.

किसान नेता ने कहा, हमें अभी तक उच्चतम न्यायालय से कोई नोटिस प्राप्त नहीं हुआ है और हम अदालत के आदेश की प्रति प्राप्त होने के बाद ही उसपर टिप्पणी करेंगे. भारतीय किसान यूनियन के वरिष्ठ नेता धर्मपाल मलिक ने कहा कि संगठन ने एक तकनीकी टीम का गठन किया है. उन्होंने कहा कि केन्द्र पहले अपना रुख स्पष्ट करे कि वह विवादित कृषि कानूनों पर फिलहाल रोक लगाना चाहता है या नहीं. मलिक ने कहा, हम पहले उच्चतम न्यायालय का फैसला पढ़ेंगे, अपने वकीलों से सलाह करेंगे और फिर आगे की रणनीति तय करेंगे. बता दें क सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले की कमान संभाली है.  

Last Updated : Dec 18, 2020, 5:39 PM IST

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