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कृषि कानून गतिरोध : किसानों और केंद्र के बीच बैठक से पहले शाह से मिले तोमर

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Published : Dec 29, 2020, 11:04 AM IST

Updated : Dec 29, 2020, 11:01 PM IST

किसानों का आंदोलन जारी
किसानों का आंदोलन जारी

22:55 December 29

किसानों के साथ वार्ता से एक दिन पहले तोमर, गोयल ने की अमित शाह से मुलाकात

केंद्र और किसानों के बीच अगले दौर की वार्ता से एक दिन पहले केंद्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने वरिष्ठ भाजपा नेता एवं गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की. सूत्रों ने बताया कि मंत्रियों ने इस बैठक में इस बारे में चर्चा की कि बुधवार को किसानों के साथ होने वाली वार्ता में सरकार का क्या रुख रहेगा.

केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान दिल्ली की सीमाओं पर एक महीने से अधिक समय से प्रदर्शन कर रहे हैं और वे संबंधित कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. इन किसानों में ज्यादातर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश से हैं.

किसानों ने मांग पूरी न होने पर आगामी दिनों में आंदोलन तेज करने की चेतावनी दी है.

सरकार और किसान संगठनों के बीच अब तक हुई पांच दौर की बातचीत बेनतीजा रही है.

केंद्र ने गतिरोध को समाप्त करने के लिए 30 दिसंबर को होने वाली अगले दौर की वार्ता के लिए 40 किसान संगठनों के प्रतिनिधियों को आमंत्रित किया है.

अब तक हुई पांच दौर की बातचीत में पिछले दौर की वार्ता पांच दिसंबर को हुई थी. छठे दौर की वार्ता नौ दिसंबर को होनी थी, लेकिन इससे पहले गृह मंत्री शाह और किसान संगठनों के कुछ नेताओं के बीच अनौपचारिक बैठक में कोई सफलता न मिलने पर इसे रद्द कर दिया गया था.

सरकार ने तीनों नए कृषि कानूनों को बड़े कृषि सुधार करार दिया है और कहा है कि इनसे किसानों की आय बढ़ेगी, लेकिन प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को आशंका है कि इनकी वजह से न्यूनतम समर्थन मूल्य और मंडी प्रणाली खत्म हो जाएगी तथा वे बड़े उद्योग घरानों की दया पर निर्भर हो जाएंगे.

17:51 December 29

केंद्र और किसानों के बीच 30 दिसंबर को हो सकती है वार्ता

किसान संगठन ने कृषि मंत्रालय के सचिव को पत्र लिखकर कहा है कि 'हम 30 दिसंबर को दोपहर 2:00 बजे बातचीत के लिए निमंत्रण स्वीकार करते हैं.' उन्होंने कानूनों को निरस्त करने के लिए वार्ता के तौर-तरीकों और एमएसपी पर कानूनी गारंटी प्रदान करने के लिए कानून लाने के लिए अपने प्रस्तावित एजेंडे को भी दोहराया.

16:44 December 29

चिल्ला बॉर्डर पर किसानों की परेड

नोएडा सेक्टर 14ए चिल्ला बॉर्डर पर 29 वें दिन भी किसानों का प्रदर्शन जारी है. भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में किसानों ने परेड की. सावधान-विश्राम सहित परेड के बारे के बॉर्डर पर तैनात किसानों को प्रैक्टिस कराई जा रही है. भारतीय किसान यूनियन(भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष भानू प्रताप सिंह ने कहा कि देश लोकतांत्रिक व्यवस्था से चलता है. 26 जनवरी को किसान परेड करेंगे, ऐसे में उसकी तैयारी शुरू कर दी गई है. 

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि देश लोकतांत्रिक व्यवस्था से चलता है और 26 जनवरी को किसान दिल्ली में परेड करेंगे उसकी प्रेक्टिस की जा रही है. उन्होंने कहा कि किसान अनाज उगाना, बुआई, कटाई, ट्रैक्टर चलाना जानता है. लेकिन परेड नहीं जानता इसकी तैयारी की जा रही है. मजबूरी में किसानों को परेड करना सीखना पड़ रहा है. एक महीने से किसान चिल्ला बॉर्डर में अपनी मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहा है. स्पष्ट किया है कि देश की सरकारों को किसान बताएगा कि किसान स्वतंत्र हैं. जबरन कृषि कानून थोपे गए हैं, उसका विरोध जारी रहेगा.

किसान पदाधिकारी जो निर्णय लेंगे उसे माना जाएगा
किसानों से सातवें दौर की वार्ता पर भारतीय किसान यूनियन (भानु) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा के पदाधिकारी बैठक में शामिल होंगे. जो उनके द्वारा निर्णय लिया जाएगा. उसे भारतीय किसान यूनियन (भानु) 100 फीसद मान्यता देगा.

15:29 December 29

पंजाब के एक और किसान की मौत

किसान प्यारा सिंह की बीमारी के कारण मौत

कृषि कानूनों को निरस्त करने के लिए दिल्ली में पिछले 33 दिनों से आंदोलन जारी है. इस किसान आंदोलन में शामिल होने वाले कई लोगों ने आत्महत्या कर ली है. ताजा घटना मानसा के गांव धरमपुरा की है.

किसान प्यारा सिंह की बीमारी के कारण मौत होने की खबर है. प्यारा सिंह आपने ट्रैक्टर टराली समेत धरने में शामिल हुए थे. किसान नेताओं ने पंजाब सरकार से मृतक किसान के परिवार की आर्थिक मदद, सरकारी नौकरी और कर्ज़ माफ करने की मांग की है.

14:13 December 29

बिहार में प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिस के बीच झड़प

प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिस के बीच झड़प

केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के बाहरी हिस्से में चल रहे किसान आंदोलन के समर्थन में मंगलवार को पटना में अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले किसानों ने 'राजभवन मार्च' निकाला. इस दौरान प्रदर्शनकारी किसानों और पुलिस में झड़प हो गई. पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार, अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के बैनर तले कई संगठनों के नेता और कार्यकर्ता इस कार्यक्रम में शामिल हुए. इस प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग झंडा, बैनर, पोस्टर हाथ में लिए हुए थे और केंद्र सरकार के विरोध में नारे लगा रहे थे.

गांधी मैदान से निकाले गए इस 'राजभवन मार्च' को पुलिस प्रशासन ने कई स्थानों पर रोकने की कोशिश की, लेकिन वे नहीं रूके और डाक बंगला चौराहा पहुंच गए. यहां पुलिस बैरिकेडिंग कर पहले से ही तैनात थी. यहां भी प्रदर्शनकारी बैरिकेडिंग तोडकर आगे बढ़ने की कोशिश कर रहे थे, तब पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पडा. इस मार्च को वामदलों का भी समर्थन प्राप्त है. प्रदर्शनकारी किसानों को पुलिस समझाने की कोशिश कर रही थी, लेकिन वे मानने को तैयार नहीं हुए. इस दौरान पुलिस के साथ प्रदर्शनकारियों की धक्का-मुक्की भी हुई.

सरकार विरोध प्रदर्शन को खत्म करना चाहती है. राजभवन मार्च नहीं करने देना किसानों पर अन्याय है. उन्होंने कहा कि हमलोग राजभवन जाकर राज्यपाल को ज्ञापन देना चाहते हैं. इधर, पुलिस प्रदर्शन के लिए प्रतिबंधित क्षेत्र का हवाला देकर उन्हें रोक रही है.

...रामाधार सिंह ,बिहार प्रदेश सचिव ,अखिल भारतीय किसान महासभा

13:06 December 29

दिल्ली पहुंचे पंजाब भाजपा के नेता

केंद्र सरकार ने सोमवार को किसान संघों को कृषि कानूनों पर अगले दौर की वार्ता के लिए आमंत्रित किया. बुधवार को बैठक से पहले पंजाब के भाजपा नेता दिल्ली पहुंच गए हैं और किसान यूनियनों और पार्टी के वरिष्ठ नेतृत्व के साथ संवाद कर रहे हैं. पंजाब के पूर्व कैबिनेट मंत्री सुजीत कुमार जियानी ने कहा कि सरकार को उम्मीद है कि वार्ता के जरिए इस मुद्दे का समाधान हो जाएगा.

11:07 December 29

हमारा हक दे देंगे तो हम अभी चले जाएंगे : किसान

कृषि कानूनों के खिलाफ सिंघु बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 34वें दिन भी जारी है. एक प्रदर्शनकारी ने बताया हमें हमारा हक दे देंगे तो हम अभी चले जाएंगे नहीं तो हम नहीं जाएंगे. पीछे 700 ट्रोलियां तैयार हैं.

10:35 December 29

पलवल में किसान आंदोलन को बीजेपी नेता अवतार भड़ाना ने दिया समर्थन

बीजेपी नेता अवतार भड़ाना ने दिया समर्थन

नेशनल हाइवे -19 पर चल रहे किसानों के धरने पर हर रोज कोई न कोई नेता अपना समर्थन देने पहुंच रहा है. सोमवार को फरीदाबाद लोकसभा के पूर्व सांसद और यूपी के मीरापुर विधानसभा से बीजेपी विधायक अवतार सिंह भड़ाना किसानों के समर्थन में पहुंचे और मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा. उन्होने कहा कि किसानों के लिये वो बीजेपी और मोदी को ठोकर मारकर आये हैं. किसानों के लिए वो दिल्ली तक लड़ाई लड़ने के लिए तैयार हैं.

बता दें कि, अवतार सिंह भड़ाना साल 1991 में भड़ाना फरीदाबाद लोकसभा सीट से कांग्रेस के सांसद भी रह चुके हैं. साल 2017 में यूपी विधानसभा चुनाव में अवतार सिंह भड़ाना ने कांग्रेस छोड़ दिया और बीजेपी की टिकट पर चुनाव लड़े. इस चुनाव में उन्होंने सपा प्रत्याशी लियाकत अली को मात्र 193 वोट से शिकस्त दी थी, लेकिन योगी मंत्रीमंडल में जगह नहीं मिलने से वो नाराज हो गए और 2019 लोक सभा चुनाव में उन्होंने बीजेपी को छोड़कर दोबारा से कांग्रेस का दामन थाम लिया था. हालांकि अब फिर से भड़ाना बीजेपी में शामिल हो चुके हैं. भड़ाना की गिनती गुर्जर राजनीति के शीर्ष नेताओं में होती है.

किसानों को वो भगवान मानते हैं'

विधायक ने कहा कि वो शुरू से ही किसानों के साथ रहे हैं. किसान को भगवान मानते हैं. एक बार ऐसी विपदा पहले भी किसानों पर आ चुकी थी. जिसे दूर करने में सर छोटूराम का सराहनीय प्रयास रहा था. जिसे कभी नहीं भुलाया जा सकता. उन्होंने कहा कि किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैट क साथ किसानों की लड़ाई में वो भी साथ थे और आज भी किसानों के साथ हैं.

मोदी को ठोकर मारकर कर रहा किसानों का समर्थन: अवतार सिंह भड़ाना

अवतार सिंह ने कहा कि उन्होंने बीजेपी से पहले भी इस्तीफा दे दिया था, लेकिन मंजूर नहीं किया गया. मेरे लिये कोई दल और पार्टी मायने नहीं रखती. आपकी ताकत की बदौलत वो पार्टियों को ठोकर पर रखते हैं. आज वो फिर किसानों के हित में बीजेपी और मोदी को ठोकर मारकर आया हूं. बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी का सदस्य भी हूं. वो जहां पर इस समय हैं. वहां तक बीजेपी के कार्यकर्ताओं को पहुंचने के लिए 50 साल लग जाते हैं.

10:29 December 29

स्कूल बस में पंजाब से टिकरी बॉर्डर पर जा रहे थे किसान, हादसे में दो घायल

पंजाब से दिल्ली जा रहे किसानों से भरी स्कूल बस टकराई

कृषि कानूनों के विरोध में हो चल रहा किसान आंदोलन लगातार बड़ा होता जा रहा है. एक तरफ जहां ठंड और आत्महत्या कर किसान अपनी जान गंवा रहे हैं. वहीं सड़कों पर आए दिन हो रही दुर्घटनाएं भी चिंता बढ़ा रही है. ताजा मामला रोहतक का है. जहां किसानों से भरी एक स्कूल बस अनियंत्रित होकर गन्ने से भरी एक ट्रॉली में टकरा गई. जिसमें दो किसानों को गंभीर चोटें आई हैं

टिकरी बॉर्डर पर किसानों को समर्थन देने जा रहे थे किसान

दरअसल ये सभी किसान पंजाब के संगरूर से दिल्ली टिकरी बॉर्डर पर किसानों को समर्थन देने जा रहे थे. तभी रोहतक के बहुअकबरपुर गांव में बने चौक पर बस अनियंत्रित होकर गन्ने से भरी ट्रॉली में टकराते हुए एक मंदिर में जा घुसी. इस दुर्घटना में दो किसानों को गंभीर चोटें आई हैं. जिन्हें रोहतक पीजीआई में भर्ती कराया गया है. जहां किसानों की हालत चिंताजनक बनी हुई है.

पंजाब के संगरूर के रहने वाले हैं किसान

इसी बस में बैठे अन्य किसान दर्शन ने बताया कि वो लोग पंजाब के संगरूर से दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पर जा रहे थे. जब वो रोहतक के बहुअकबरपुर गांव के पास पहुंचे. तो सामने से एक गाड़ी आ रही थी. गाड़ी को बचाने के चक्कर में बस अनियंत्रित होकर गन्ने की ट्रॉली से जा टकराते हुए मंदिर से जा घुसी. इस हादसे में दो किसानों के हाथ-पैर में चोटें आई हैं. बाकि सब लोग ठीक हैं.

10:25 December 29

हमारी बात नहीं मानी तो हम प्रदर्शन करते रहेंगे : किसान

हमारी बात नहीं मानी तो हम प्रदर्शन करते रहेंगे

कृषि कानूनों के खिलाफ गाजीपुर बॉर्डर पर किसानों का विरोध प्रदर्शन आज 34वें दिन भी जारी है. एक प्रदर्शनकारी ने बताया कल की बैठक में अगर सरकार ने हमारी बात नहीं मानी तो हम प्रदर्शन करते रहेंगे, हम पीछे नहीं हटेंगे. अगर कानूनों की वापसी होगी तो हम घर जाएंगे वरना नहीं जाएंगे.

07:43 December 29

किसानों का आंदोलन जारी

सरकार ने नए कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे 40 किसान संगठनों को सभी प्रासंगिक मुद्दों पर अगले दौर की वार्ता के लिए 30 दिसंबर को बुलाया है. सरकार द्वारा सोमवार को उठाए गये इस कदम का उद्देश्य तीन नए कृषि कानूनों पर जारी गतिरोध का एक 'तार्किक समाधान' निकालना है.

किसान संगठनों ने सितंबर में लागू किये गये नए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तौर तरीके सहित एजेंडे पर मंगलवार, 29 दिसंबर, को वार्ता करने का पिछले हफ्ते एक प्रस्ताव दिया था, जिसके बाद सरकार ने उन्हें आमंत्रित किया है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उनकी सरकार पूरे समर्पण के साथ किसानों और कृषि क्षेत्र को मजबूत बनाने का काम करती रहेगी. किसान संगठन सैद्धांतिक रूप से वार्ता मे शामिल होने पर राजी हो गये हैं लेकिन उन्होंने इस बात पर जोर दिया है कि बैठक के एजेंडे में तीनों कानूनों को वापस लेने के तौर-तरीके पर चर्चा शामिल होना चाहिए.

नए प्रदर्शनकारियों के जुड़ने से दिल्ली के सिंघू बॉर्डर पर किसानों की संख्या बढ़ने के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने सोमवार को कहा कि नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के बीच 'सुनियोजित तरीके से' 'झूठ की दीवार' खड़ी की गई है, लेकिन ऐसा लंबे समय तक नहीं चलेगा है और प्रदर्शनकारी किसानों को जल्द सच्चाई का अहसास होगा. मंत्री ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि गतिरोध का जल्द समाधान ढूंढ लिया जाएगा. कृषि सचिव संजय अग्रवाल ने किसान संगठनों को लिखे एक पत्र के जरिए उन्हें राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में बुधवार, 30 दिसंबर, दोपहर दो बजे वार्ता करने का न्यौता दिया है.

पिछली औपचारिक बैठक पांच दिसंबर को हुई थी, जिसमें किसान संगठनों के नेताओं ने तीनों कानूनों को निरस्त करने की अपनी मुख्य मांग पर सरकार से 'हां' या 'ना' में स्पष्ट रूप से जवाब देने को कहा था.वार्ता बहाल करने के लिए किसान संगठनों के प्रस्ताव पर संज्ञान लेते हुए अग्रवाल ने कहा, 'सरकार भी एक स्पष्ट इरादे और खुले मन से सभी प्रासंगिक मुद्दों का एक तार्किक समाधान निकालने के लिए प्रतिबद्ध है. बैठक के लिए किसान संगठनों द्वारा प्रस्तावित एजेंडे के बारे में सचिव ने कहा कि तीनों कृषि कानूनों, (फसलों की) एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) खरीद प्रणाली और विद्युत संशोधन विधेयक तथा दिल्ली/एनसीआर(राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में वायु प्रदूषण से निपटने के लिए अध्यादेश पर विस्तृत चर्चा होगी. हालांकि सरकार के पत्र में किसान संगठनों द्वारा प्रस्तावित एक प्रमुख शर्त का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं किया गया है, जिसमें किसानों ने नए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए तौर तरीकों पर वार्ता किये जाने की मांग की थी.

चालीस किसान संगठनों के सदस्य अभिमन्यु कोहाड ने कहा कि 26 दिसंबर को सरकार को भेजे गये पत्र में हमने स्पष्ट रूप से कहा था कि तीन कृषि कानूनों को वापस लेना और एमएसपी को कानूनी गांरटी नयी वार्ता के एजेंडे का हिस्सा होना चाहिए. उसके बाद भी सरकार ने पत्र में किसी विशेष एजेंडे का जिक्र नहीं किया है.उन्होंने कहा, 'लेकिन हम सरकार के साथ वार्ता के लिए सैद्धांतिक रूप से राजी हो गये हैं. उल्लेखनीय है कि एक महीने से अधिक समय से दिल्ली की सीमाओं पर हजारों की संख्या में किसान डेरा डाले हुए हैं. वे तीन नए कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. इन किसानों में ज्यादातर पंजाब और हरियाणा से हैं. केंद्र और 40 प्रदर्शनकारी किसान संगठनों के बीच अब तक हुई पांच दौर की औपचारिक वार्ता बेनतीजा रही है. पिछली वार्ता पांच दिसंबर को हुई थी, जबकि छठे दौर की वार्ता मूल रूप से नौ दिसंबर को होने का कार्यक्रम था. लेकिन गृह मंत्री अमित शाह की किसान संगठनों के नेताओं के साथ एक अनौपचारिक बैठक में कोई सफलता हाथ नहीं लगने के बाद यह (नौ दिसंबर की वार्ता) रद्द कर दी गई थी.

हालांकि, सरकार ने शाह की बैठक के बाद किसान संगठनों को एक मसौदा पत्र भेजा था, जिसमें उसने नए कानूनों में सात-आठ संशोधन और एमएसपी पर लिखित आश्वासन का सुझाव दिया था. वहीं, किसान संगठनों ने 26 दिसंबर को सरकार को लिखे अपने पत्र में वार्ता बहाल करने के लिए 29 दिसंबर की तारीख दी थी. साथ ही, यह स्पष्ट कर दिया था कि तीनों नए कृषि कानूनों को निरस्त करने के तौर तरीकों और एमएसपी के लिए गारंटी सरकार के साथ वार्ता बहाल करने के एजेंडे का हिस्सा होने चाहिए. उल्लेखनीय है कि सरकार एमएसपी पर किसानों से उनकी फसल की खरीद करती है. प्रदर्शनकारी किसानों ने अपनी मांगें नहीं माने जाने की स्थिति में आने वाले दिनों में अपना आंदोलन तेज करने की धमकी दी थी. सरकार ने इन कानूनों को बड़े कृषि सुधार के तौर पर पेश किया है और इनका लक्ष्य किसानों की आय बढ़ाना बताया है. लेकिन प्रदर्शनकारी किसान संगठनों को यह डर है कि ये नए कानून उन्हें एमएसपी प्रणाली और मंडी व्यवस्था को कमजोर कर उन्हें बड़े कॉरपोरेट की दया का मोहताज बना देंगे.

आंदोलनरत किसान संगठनों और केंद्र के बीच वार्ता अटकी रहने के बीच सरकार ऐसे कई अन्य किसान संगठनों के साथ बैठक कर रही है, जिन्होंने नए कानूनों का समर्थन किया है. सरकार ने आरोप लगाया है कि प्रदर्शनकारी किसानों को विपक्षी दल अपने राजनीतिक फायदे के लिए गुमराह कर रहे हैं.

Last Updated : Dec 29, 2020, 11:01 PM IST

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