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बिहार: तीन बार CM रहे थे भोला पासवान, अब झोंपड़ी में रह रहा है परिवार

पूर्व सीएम के परिजनों का कहना है कि 21 सितंबर को भोला पासवान की जयंती रहती है. तो प्रशासन को हमारी याद आती है. इसके बाद सभी भूल जाते हैं. हमारी स्थिति जस के तस बनी हुई है. मजदूरी मिली तो घर में खाना बनता है, नहीं तो भूखे सोना पड़ता है.

भोला पासवान का परिवार

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Published : Sep 21, 2019, 3:32 PM IST

Updated : Oct 1, 2019, 11:30 AM IST

पूर्णिया: जिला के नगर प्रखंड स्थित बैरगाछी बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे भोला पासवान शास्त्री का पैतृक स्थान है. शहर से इसकी दूरी 14 किलोमीटर है. परिजनों की स्थिति काफी दयनीय है. दलित मुख्यमंत्री भोला पासवान शास्त्री के दिवगंत होने 100 साल बाद भी उनका परिवार टिन और फूस की बनी झोपड़ी में मुफलिसी भरे दिन काटने को मजबूर हैं.

भोला पासवान शास्त्री की अपनी कोई संतान नहीं थी. लिहाजा भतीजे विरंची ही थे जो भोला पासवान शास्त्री के तीन भतीजों में से उनके सबसे करीब थे. इनके दिवगंत होने के बाद विरंची पासवान ने उन्हें दाह संस्कार और मुखाग्नि दी. हैरत की बात है कि बीते 100 सालों में सियासी समीकरण बदलने के साथ ही न जाने कितने सरकारी मुलाजिम बदलें, मगर इनमें से किसी का ध्यान टिन और फुस की झोपड़ी में मुफलिसी की जिंदगी बिता रहे इस परिवार पर नहीं गया.

ईटीवी भारत रिपोर्ट

50 सदस्य पर सिर्फ एक राशन कार्ड
जिस मुख्यमंत्री ने अपना सारा जीवन जनता की सेवा में समर्पित कर दिया, उनका 30 सदस्यीय परिवार महज एक कट्ठे की जमीन पर रहता है. इतना बड़ा परिवार महज एक राशन कार्ड के भरोसे चल रहा है. विरंची कहते हैं कि उनके सभी बेटों की शादी हो चुकी है. इस नाते नियमतः सभी बेटों का राशन कार्ड होना चाहिए. इस संबंध में कई बार मुखिया और वार्ड सदस्य से लेकर आलाधिकारियों से अपील की गई लेकिन किसी ने इनकी नहीं सुनीं.

पोते मजदूरी, तो बहू कर रहीं चौका-बर्तन
दिवंगत मुख्यमंत्री के परिवार के तंगहाली का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनके पोते जहां मजदूरी कर घर का पेट पालते हैं, वहीं बहुएं दूसरों के घर चौका-बर्तन करती हैं. ये कहती हैं कि 21 सितंबर को भोला बाबू की जयंती रहती है तो प्रशासन को हमारी याद आती है. इसके बाद सभी भूल जाते हैं. हमारी स्थिति जस के तस बनी हुई है. मजदूरी मिली तो घर में खाना बनता है, नहीं तो भूखे सोना पड़ता है. इनके मुताबिक, सरकारी योजनाओं का लाभ अभी तक इनलोगों को नसीब नहीं हुआ है.

पूर्व मुख्यमंत्री भोला पासवान

सरकारी योजनाओं का नहीं मिला लाभ
परिजनों का कहना है कि इंदिरा आवास के तहत अबतक इन्हें घर नहीं दिया गया है. वार्ड सदस्य और मुखिया इंदिरा आवास पास के नाम पर 50 हजार रूपये की डिमांड करते हैं. वहीं घर की माली हालत देख पूर्व सांसद पप्पू सिंह ने 50 हजार रुपए शौचालय निर्माण के लिये दिया था. मगर अधिक सदस्य होने की वजह से रोज-रोज के झगड़े ने इसपर भी ताला लटका दिया.

भोला पासवान का स्मारक

बिहार के तीन बार मुख्यमंत्री रहे भोला पासवान
बता दें कि भोला पासवान शास्त्री पहली बार 22 मार्च 1968 को बिहार के मुख्यमंत्री बने. अपने इस कार्यकाल में वह 100 दिनों तक बिहार के सीएम रहे. इसके बाद उन्होंने 22 जून 1969 को दोबारा राज्य की सत्ता संभाली, लेकिन इस बार वह महज 13 दिनों के लिए मुख्यमंत्री बन सके. 2 जून 1971 को उन्होंने तीसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री के तोर पर शपथ ली. इसबार वह 9 जनवरी 1972 तक बिहार की गद्दी पर बने रहे. 1984 में उनका निधन हो गया.

Last Updated : Oct 1, 2019, 11:30 AM IST

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