हैदराबाद : पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की ओर से बांग्लादेश लिबरेशन वॉर अवार्ड स्वीकार करने से पहले एक भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि मेरे जैसे कई लोगों के लिए प्रेरणा रहे है भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेयी जिन्हें बांग्लादेश द्वारा सम्मानित किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश के लोग हमेशा अटल बिहारी वाजपेयी को बांग्लादेश के मुक्ति युद्ध का समर्थन करने और बांग्लादेश और भारत के बीच दोस्ती को मजबूत करने के लिए याद रखेंगे.
पुरस्कार के प्रशस्ति पत्र में वाजपेयी को अत्यधिक सम्मानित राजनीतिक नेता के रूप में सम्मानित किया और बांग्लादेश के मुक्ति संग्राम के समर्थन में उनकी सक्रिय भूमिका को मान्यता दी. इसमें कहा कि भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष और लोकसभा के सदस्य के रूप में वाजपेयी ने विभिन्न कदम उठाए.
अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में जानने योग्य कुछ बातें
प्रारंभिक जीवन
उनका जन्म मध्य प्रदेश में 25 दिसंबर 1924 को हुआ था. उन्होंने उत्तर प्रदेश के कानपुर के लक्ष्मीबाई कॉलेज से राजनीति विज्ञान में एमए किया.
उनके पिता का नाम कृष्ण बिहारी वाजपेयी था जो एक कवि और एक स्कूल मास्टर थे.
वाजपेयी और उनके पिता ने एक साथ लॉ स्कूल डीएवी कॉलेज से पढ़ाई की और कानपुर के एक ही कमरे में रहे.
अटल बिहारी वाजपेयी अपनी वीर रस की कविताओं के लिए भी प्रसिद्ध हैं जिसमें राष्ट्रवाद का सार है और मानवीय मूल्य भी हैं.
अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार भारत छोड़ो आंदोलन के साथ राजनीति की दुनिया में प्रवेश किया.
आप में से बहुत से लोग यह नहीं जानते होंगे कि वह 1939 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में एक स्वयंसेवक के रूप में भी शामिल हुए थे.
वाजपेयी भाजपा के पूर्ववर्ती भारतीय जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी के करीबी, अनुयायी और सहयोगी बन गए. उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर श्यामा प्रसाद मुखर्जी का साथ दिया.
वह अपने अच्छे संगठनात्मक कौशल के कारण जनसंघ का चेहरा भी बन गए.
अंतत: वे दीनदयाल उपाध्याय के बाद 1968 में जनसंघ के प्रमुख बने. उन्होंने और उनकी पार्टी ने जेपी आंदोलन का समर्थन किया.
जब देश में आपातकाल (1975-1977) लगाया गया था तब वाजपेयी को जेल हुई थी.