नई दिल्ली : आतंकवाद के खात्मे पर ध्यान केंद्रित करते हुए भारत और उज्बेकिस्तान की सेनाएं अगले महीने 10 से 19 मार्च को उत्तराखंड के पहाड़ों में संयुक्त सैन्य अभ्यास करेंगी. 'डस्टलिक ll' अभ्यास भारत में होगा, जिसमें दोनों देशों की सेनाएं एक दूसरे से तालमेल बढ़ाने की कोशिश करेंगी.
पहली बार भारत-उज्बेकिस्तान सैन्य अभ्यास 'डस्टलिक I' ताशकंद में 2019 में आयोजित किया गया था, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भाग लिया था. राजनाथ ने अपने उज्बेक समकक्ष मेजर जनरल बखोदिर निज़ामोविच कुर्बानोव के साथ सह-अध्यक्षता की थी.
13 कुमाऊं रेजीमेंट करेगी भारत का नेतृत्व
'डस्टलिक ll' का आयोजन भारत में 2020 में ही होना था, लेकिन कोरोना महामारी ने इसमें खलल डाल दिया. सैन्य अभ्यास में भारतीय सेना का प्रतिनिधित्व 13 कुमाऊं रेजीमेंट द्वारा किया जाएगा. 13 कुमाऊं रेजीमेंट वह बटालियन है, जिसे वीरता के लिए जाना जाता है.
1962 में जब पूर्वी लद्दाख के महत्वपूर्ण पहाड़ी दर्रे रेजांग ला में चीनियों ने आक्रमण किया, इस बटालियन ने अदम्य साहस का परिचय दिया था. 13 कुमाऊं रेजीमेंट का नेतृत्व मेजर शैतान सिंह ने किया था, जिन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया था. 18 नवंबर, 1962 को चीन की सेना, जो संख्या में काफी ज्यादा थी, उससे केवल 120 भारतीय सैनिकों ने मुकाबला किया. माना जाता है कि इस लड़ाई में 114 भारतीय सैनिक शहीद हुए थे, जबकि चीन के 1,300 से ज्यादा सैनिक मारे गए थे.
मई 2020 में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारतीय और चीनी सेनाओं के बीच जो तनातनी हुई, उसके मद्देनजर देश की सुरक्षा के लिहाज से 13 कुमाऊं रेजीमेंट की भूमिका काफी अहम है. मध्य एशिया में जिस तरह चीन अपनी विस्तारवादी गतिविधियों और प्रभाव को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है, यह सैन्य अभ्यास काफी मायने रखता है.