रांची:झारखंड में भाकपा माओवादी संगठन को दूसरे राज्यों से मजबूती मिल रही है. बिहार, छतीसगढ़, पश्चिम बंगाल और तेलंगाना के कई माओवादी झारखंड में सक्रिय हैं. खासकर बिहार के नक्सली कमांडर का झारखंड में दबदबा है. इसका अंदाजा झारखंड पुलिस के इनामी नक्सलियों की लिस्ट देखकर लगाया जा सकता है.
बाहरी राज्यों के 21 नक्सली झारखंड में एक लाख से एक करोड़ के इनामी हैं. वर्तमान में बिहार की जेलों से छूटने के बाद वहां के बड़े माओवादी नेता झारखंड में माओवादी संगठन को मजबूती देने में लगे हैं.
खुफिया एजेंसियों को मिली जानकारी के मुताबिक बिहार-झारखंड में संगठन की बड़ी जिम्मेदारी निभाने वाले प्रमोद मिश्र और छतीसगढ़-गढ़वा की सीमा पर बूढ़ापहाड़ में नक्सली संगठन को विस्तार देने वाले भिखारी उर्फ मेहताजी जेल से छूटने के बाद फिर से राज्य में सक्रिय हो गए हैं. बंगाल का माओवादी थिंक टैंक रंजीत बोस भी चाईबासा के इलाके में लगातार सक्रिय हैं.
कौन कौन हैं महत्वपूर्ण भूमिका में ?
पश्चिम बंगाल के 24 परगना का प्रशांत बोस झारखंड में माओवादी संगठन का महत्वपूर्ण चेहरा है. प्रशांत बोस के साथ छतीसगढ़ के उग्रवादियों का दस्ता प्रोटेक्शन टीम के तौर पर है. वहीं, पिछले कुछ सालों में पूर्व मिदनापुर के असीम मंडल और अर्जुन महतो जैसे नक्सलियों की सक्रियता झारखंड के कोल्हान इलाके में बढ़ी है.
चाईबासा के इलाके में बड़ी संख्या में छतीसगढ़ के नक्सलियों का दस्ता कैंप कर रहा है. वहीं, नक्सलियों के लिए सबसे सुरक्षित माने जाने वाले बूढ़ापहाड़ पर भी झारखंड के माओवादियों के साथ-साथ छतीसगढ़ के नक्सली कैंप कर रहे हैं.
तेलंगाना-बस्तर से मिली नई तकनीक
हाल के दिनों में झारखंड के भाकपा माओवादियों ने तेलंगाना-बस्तर के उग्रवादियों से नई तकनीक भी सीखी है. बस्तर में उग्रवादी पुलिस पर हमले के लिए एयरो बम की तकनीक का इस्तेमाल करते थे. इस तकनीक का इस्तेमाल चाईबासा में भी उग्रवादी कर रहे हैं. पिछले दिनों पुलिस ने चाईबासा के इलाके में एयरो बम भी बरामद किए थे.