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क्या कुछ नेताओं के कारण पलट सकती है ओडिशा की राजनीतिक तस्वीर, जानें विशेषज्ञ की राय - odisha

चुनाव की तारीखों का एलान होते ही हर नेता अपना लाभ साधने की फिराक में दिख रहा है. ओडिशा की राजनीति पर नजर रखने वाले विशेषज्ञ इसे अवसरवादी राजनीति करार देते हैं.

पीएम मोदी, सीएम पटनायक और राहुल गांधी.

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Published : Apr 3, 2019, 10:37 PM IST

Updated : Apr 3, 2019, 11:13 PM IST

नई दिल्ली: 2019 के लोकसभा चुनावों से पहले ओडिशा की राजनीति में टर्नकोट्स (turncoats) काफी ट्रेंड कर रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि टिकट ना पाने के कारण कई नेताओं ने अपनी पार्टी छोड़ दूसरी पार्टियों में शामिल होकर मानोओडिशा की राजनीति को एक नया आयाम ही दे दिया है.

CM पटनायक का भरोसा
बीजद अध्यक्ष और ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक ने चुनाव जीतने का पूरा भरोसा दिखाया है, यहां तक ​​कि राजनीतिक विशेषज्ञ भी उनकी इस बात से सहमति रखते है.

भाजपा और कांग्रेस रही नाकामयाब
वरिष्ठ पत्रकार और ओडिशा के राजनीतिक विशेषज्ञ, सीके नायक ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने कहा कि 'राजनीति हमेशा अप्रत्याशित होती है. लेकिन पिछले रुझानों की तरफ देखें तो बीजद पिछले 20 वर्षों से सत्ता में है. तब ही से भाजपा और कांग्रेस सोच रही है कि वह बीजेडी को मात देंगे लेकिन नाकामयाब रहे.'

सीके नायक से बातचीत का वीडियो, देखें

'आया राम, गया राम'
'आया राम, गया राम' के चलन के बारे में बताते हुए सीके नायक ने कहा, 'मूल रूप से वह लोग जिन्हें टिकट नहीं मिला था या जिन्हें लगता था कि वे उस पार्टी से चुनाव में उतरे तो हार सकते हैं, वह अपने राजनीतिक दलों को बदल रहे हैं.' उन्होंने इसे अवसरवादी राजनीति बताया है.

दोनों ही पार्टीयों का बेहतर प्रदर्शन
उन्होंने बताया कि 'पिछले पंचायत चुनावों में बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही पार्टीयों ने बेहतर प्रदर्शन किया. बावजूद इसके उनकी मेहनत वो मुकाम ना पा सकी की बीजद को सत्ता से उखाड़ फेक सके.'

नए लोग हो रहे पार्टी में शामिल
के नायक ने कहा कि 'नवीनतम रुझानों के अनुसार, मुझे लगता है कि बीजेपी अपनी स्थिति में सुधार कर सकती है क्योंकि बहुत से नए लोग पार्टी में शामिल हो गए हैं और साथ ही केंद्र में बीजेपी का शासन है.'

BJP की पकड़ मजबूत
नायक का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी कई बार ओडिशा आए और कई नई परियोजनाओं को भी लॉन्च किया. इसलिए वह राज्य में अपनी पकड़ मजबूत कर सकते है लेकिन वे ऐसी स्थिति में नहीं हैं कि वे बीजद को अलग-थलग कर सकें.

गौरतलब है कि 10 मार्च को चुनावों की तारीख घोषित होने के तुरंत बादतीन सांसद और चार विधायकों ने इस्तीफा दिया और बीजेपी में शामिल हो गए.

Last Updated : Apr 3, 2019, 11:13 PM IST

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