देहरादून: केदार धाम में साल 2013 में आई आपदा के बाद तहस-नहस हुई केदारघाटी का दोबारा से विकास हो गया है. लेकिन, केदारनाथ त्रासदी की मुख्य वजह मानी जाने वाली चोराबाड़ी झील के पुनर्जीवित होने का दावा किया जा रहा है. दरअसल, केदारनाथ धाम में स्वास्थ्य सेवाएं दे रहे डॉक्टरों के एक समूह ने केदारनाथ धाम से करीब 5 किलोमीटर ऊपर चोराबाड़ी झील के तैयार होने की जानकारी वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी के वैज्ञानिकों को दी. अब वाडिया की टीम इस झील की जांच करने की बात कह रही है.
बीते 15 जून को सिक्स सिग्मा के सीईओ डॉ. प्रदीप भारद्वाज के नेतृत्व में केदारनाथ से टीम चोराबाड़ी पहुंची थी. टीम द्वारा फोटो और वीडियो प्रशासन को भी भेजे गए थे. वहीं झील की हकीकत जानने के लिए जिलाधिकारी के आदेश पर बीते शनिवार को केदारनाथ से डीडीआरएफ की दो सदस्यीय टीम चोराबाड़ी गई थी.डीडीआरएफ की टीम ने वहां किसी भी प्रकार की झील होने से इनकार किया है. टीम का कहना है कि जो झील बताई गई है, वह छोटे आकार में है और चोराबाड़ी से ढाई किमी ऊपर ग्लेशियर क्षेत्र में है.
सिक्स सिग्मा की टीम ने केदारनाथ से 3 किमी ऊपर चोराबाड़ी ताल में बने ग्लेशियर को झील बताकर यात्रियों के मन में डर पैदा कर दिया था. साथ ही चोराबाड़ी का वीडियो बनाकर इसे सोशल मीडिया पर भी अपलोड कर दिया था.
मिली जानकारी के अनुसार डॉक्टरों की टीम ने 16 जून को राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल, पुलिस और जिला प्रशासन की एक टीम के साथ चोराबाड़ी झील का दौरा किया था. जहा उन्होंने देखा कि झील फिर से पानी से घिर गई है. मौजूदा समय में चोराबाड़ी झील लगभग 250 मीटर लंबी और 150 मीटर चौड़ी बताई जाती है. ये झील बारिश, पिघलती बर्फ और हिमस्खलन से भर जाती है. रुद्रप्रयाग जिला प्रशासन ने झील को लेकर देहरादून स्थित वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी को अलर्ट कर दिया है.