चेन्नई/ बेंगलुरु : अन्नाद्रमुक से निष्कासित नेता वीके शशिकला आय से अधिक संपत्ति मामले में चार साल की जेल की सजा बेंगलुरु में काटने के कुछ दिन बाद सोमवार को तमिलनाडु लौटीं, जहां उनका भव्य स्वागत किया गया. शशिकला की वापसी ऐसे समय हुई है जब राज्य में सत्ताधारी अन्नाद्रमुक के साथ उनके टकराव के संकेत मिल रहे हैं.
दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की बेहद करीबी रहीं शशिकला पूर्वाह्न करीब दस बजे कर्नाटक से सटे तमिलनाडु के कृष्णागिरि जिले के अथिपल्ली पहुंचीं. यहां शशिकला के समर्थकों ने उनके काफिले पर फूल बरसाए और जश्न मनाया.
शशिकला ने बेंगलुरु से करीब 40 किलोमीटर दूर होसुर नगर में मां मरियम्मन मंदिर में पूजा अर्चना की.
शशिकला के साथ उनके भतीजे टीटीवी दिनाकरण भी थे. दिनाकरण ने बताया कि शशिकला बाद में अन्नाद्रमुक संस्थापक एवं दिवंगत मुख्यमंत्री एम जी रामचंद्रन के चेन्नई स्थित आवास जाएंगी.
तमिलनाडु पहुंचीं शशिकला ने मंदिर में की पूजा, शशिकला ने कहा कि तमिलनाडु लौटने के बाद वह स्वयं को सक्रिय राजनीति में शामिल करेंगी. शशिकला आय से अधिक संपत्ति मामले में चार साल जेल की सजा काटने के कुछ दिन बाद तमिलनाडु लौटी हैं.
शशिकला ने कर्नाटक की राजधानी के एक अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद अपनी पहली टिप्पणी में कहा था कि वह तमिलनाडु के लोगों की ऋणी हैं. उन्होंने हालांकि यह भी कहा था कि वह दमन के आगे झुकेंगी नहीं.
तमिलनाडु के लिए रवाना हुईं शशिकला उल्लेखनीय है कि कोविड-19 से संक्रमित पाए जाने के बाद शशिकला का उक्त अस्पताल में इलाज चल रहा था.
यह पूछे जाने पर कि क्या वह चेन्नई में अन्नाद्रमुक मुख्यालय जाएंगी, उन्होंने कहा, कृपया प्रतीक्षा करें और देखिए.
जब संवाददाताओं ने पूछा कि क्या वह राज्य विधानसभा चुनाव से पहले सक्रिय राजनीति में शामिल होंगी, उन्होंने कहा, निश्चित रूप से, पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए.
वह बेंगलुरु से चेन्नई जा रही थीं और कुछ ही समय में उन्होंने यहां समर्थकों को संबोधित किया.
उन्होंने कहा, मैं तमिल लोकाचार और उन सिद्धांतों से प्यार करती हूं, जिन पर मैंने विश्वास किया है. लेकिन मैं कभी भी उत्पीड़न के आगे नहीं झुकूंगी.
अपनी कार पर अन्नाद्रमुक के झंडे के इस्तेमाल को लेकर तमिलनाडु में सत्तारूढ़ पार्टी के मंत्रियों द्वारा पुलिस में शिकायत दर्ज कराने के बारे में संवाददाताओं द्वारा पूछे जाने पर, उन्होंने कहा, मुझे लगता है कि यह उनकी आशंका को दर्शाता है.
चेन्नई में दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता के स्मारक को रखरखाव के लिए बंद किये जाने के बारे में उन्होंने कहा, तमिलनाडु के लोग अच्छी तरह जानते हैं कि इसका मतलब क्या है.
समर्थकों की अन्नाद्रमुक का नियंत्रण हासिल करने की मांग के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, मैं जल्द ही आप सभी से मिलूंगी. उसके बाद विस्तार से बात करेंगे.
इसके पहले अन्नाद्रमुक ने दोहराया कि शशिकला और जो उनके साथ हैं उनसे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है. अन्नाद्रमुक ने यह भी कहा कि पार्टी का झंडा लगे वाहन में उनका घूमना अवैध है और वह गत दो सप्ताह में दूसरी बार ऐसा करते दिखी हैं.
शशिकला की तमिलनाडु में वापसी के राजनीतिक प्रभाव को उत्सुकता से देखा जा रहा है क्योंकि यह ऐसे समय हुआ है जब राज्य में अगले कुछ महीनों में विधानसभा चुनाव होने हैं.
शशिकला ने 66.65 करोड़ रुपये के आय से अधिक संपत्ति मामले में फरवरी, 2017 से बेंगलुरु के परपाना अग्रहारा केंद्रीय जेल में अपनी सजा काटी और 27 जनवरी को उन्हें रिहा किया गया।
हालांकि, वह उसके बाद सरकारी विक्टोरिया अस्पताल में रहीं, जहां उन्हें कोविड-19 से संक्रमित पाये जाने के बाद भर्ती कराया गया था.
शशिकला को 31 जनवरी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी जिसके बाद वह बेंगलुरु से लगभग 35 किलोमीटर दूर एक रिसॉर्ट में रुकी थीं.
सोमवार सुबह वह लगभग 200 वाहनों के काफिले में अम्मा मक्कल मुनेत्र कषगम के महासचिव, दिनाकरण के साथ रिसॉर्ट से बाहर आईं. इस दौरान उनके समर्थकों ने नारे लगाए. वहां से रवाना होने से पहले, शशिकला ने जयललिता के चित्र पर पुष्प अर्पित किए.
जयललिता के पसंदीदा रंग, हरे रंग की साड़ी पहने और चेहरे का मास्क लगाए वह एक कार में सवार हुईं जिसके बोनट पर अन्नाद्रमुक का झंडा लगा था. हालांकि अन्नाद्रमुक ने झंडे का किसी गैर सदस्य द्वारा इस्तेमाल को लेकर चेतावनी दी थी.
अन्नाद्रमुक ने हाल ही में तमिलनाडु पुलिस को एक आवेदन दिया था जिसमें उसने पार्टी के 'गैर-सदस्यों' को पार्टी के झंडे के इस्तेमाल से रोकने की मांग की थी. अन्नाद्रमुक ने पुलिस में यह अर्जी शशिकला द्वारा 31 जनवरी को बेंगलुरु के एक अस्पताल से छुट्टी मिलने के समय पार्टी का झंडा लगे वाहन में सफर करने के बाद दी थी.
हालांकि, दिनाकरण ने यह कहते हुए इसका बचाव किया था कि वह अभी भी अन्नाद्रमुक की महासचिव हैं, जो उनके 'निष्कासन' को लेकर अदालत में लंबित याचिकाओं की ओर इशारा करता है.
शशिकला को उनके समर्थक चिन्नम्मा कहते हैं. शशिकला जब तमिलनाडु पहुंची तो बड़ी संख्या में उनके समर्थकों ने उनका स्वागत किया जिन्होंने अन्नाद्रमुक और एएमएमके दोनों के झंडे लगा रखे थे.
होसुर की सड़क के किनारे कई स्थानों पर, शशिकला के स्वागत के लिए स्वागत द्वार बनाए गए थे. बड़ी संख्या में लोग उनकी एक झलक पाने के लिए आए थे.
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सिर पर फूलों से सजे 'कलश' लिए महिलाएं शशिकला के स्वागत के लिए सड़कों पर खड़ी थीं.
इस बीच, दिनाकरण ने कहा कि अन्नाद्रमुक के कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता शशिकला का स्वागत करने के लिए आए थे और उनके हाथों में पार्टी के झंडे थे.
उन्होंने एक तमिल टेलीविजन चैनल से कहा, वह जिस कार में सफर कर रही हैं वह अन्नाद्रमुक के एक पदाधिकारी की है जो उनका स्वागत करने आए थे. वह उनके साथ कार में हैं.
इस सवाल पर कि क्या वे रामापुरम गार्डन यानि रामचंद्रन के निवास जाएंगे दिनाकरण ने हां में उत्तर दिया.
इस बीच, अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता और एवं मत्स्य पालन मंत्री डी जयकुमार ने शशिकला द्वारा पार्टी के झंडे के इस्तेमाल पर आपत्ति जतायी और अन्नाद्रमुक द्वारा पुलिस को दी गई शिकायत का उल्लेख किया.
उन्होंने चेन्नई में संवाददाताओं से कहा, शशिकला और उनके सहयोगियों का अन्नाद्रमुक से कोई संबंध नहीं है ... (पार्टी के पदाधिकारियों के अलावा) किसी और के लिए झंडे का इस्तेमाल करना गैरकानूनी है.
यह पूछे जाने पर कि क्या शशिकला की वापसी को लेकर सत्तारूढ़ खेमा 'घबराया हुआ' है, जयकुमार ने कहा, हमें घबराने की कोई जरूरत नहीं है. वह दिनाकरण हैं जो घबराएंगे क्योंकि शशिकला कई मुद्दों पर उनसे स्पष्टीकरण मांग सकती हैं.
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शशिकला को उनकी रिश्तेदार जे इलवरासी और वी एन सुधाकरण आय से अधिक संपत्ति मामले में उच्चतम न्यायालय द्वारा चार साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी.
जयललिता की मृत्यु के बाद, शशिकला को फरवरी 2017 में अन्नाद्रमुक की अंतरिम महासचिव और उसके विधायक दल का नेता चुना गया था जिससे उनके मुख्यमंत्री बनने का मार्ग प्रशस्त हुआ था.
हालांकि, शीर्ष अदालत द्वारा संपत्ति के मामले में उनकी दोषसिद्धि बरकरार रखे जाने के बाद उन्होंने सजा काटने के लिए बेंगलुरु जाने से पहले मुख्यमंत्री के रूप में अपने तत्कालीन वफादार के पलानीस्वामी को चुना था.
अन्नाद्रमुक दो फाड़ हो गया। एक धड़े का नेतृत्व पलानीस्वामी जबकि दूसरे का ओ पन्नीरसेल्वम कर रहे थे. हालांकि दोनों धड़े बाद में एक हो गए और संयुक्त पार्टी की महापरिषद ने सितम्बर 2017 में शशिकला को पार्टी से निष्कासित कर दिया।