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शत्रुघ्न सिन्हा बोले- डब्लूएचओ की चेतावनी के बाद भी नमस्ते ट्रंप का आयोजन लापरवाही

पूर्व केंद्रीय मंत्री शत्रुघ्न सिन्हा ने लॉकडाउन, चीन-भारत सीमा विवाद से लेकर तमाम मुद्दों पर ईटीवी भारत से बातचीत की. लॉकडाउन में मजदूरों के पलायन पर सिन्हा ने कहा कि प्रवासी मजदूरों को भाषण नहीं राशन की आवश्यकता है. साथ ही उन्होंने चीन-भारत सीमा विवाद से लेकर सभी ज्वलंत मुद्दों पर अपनी बात रखी. उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी को लेकर डब्लूएचओ की चेतावनी जारी होने के बाद भी नमस्ते ट्रंप का आयोजन लापरवाही है.

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Published : Jun 24, 2020, 10:50 PM IST

Updated : Jun 25, 2020, 9:38 AM IST

नई दिल्ली : पूर्व केंद्रीय मंत्री और मशहूर फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा अपनी बेबाक अंदाज के लिए जाने जाते हैं. उन्होंने तमाम मुद्दों पर बेबाकी से अपनी बात रखी. शत्रुघ्न सिन्हा कहा कि लॉकडाउन में गलतियां सिर्फ केंद्र से नहीं बल्कि राज्य सरकारों से भी हुई हैं. उन्होंने कहा कि राज्य सरकारों को भी उन्हें रोकना चाहिए था मगर केंद्र ने भी आनन-फानन में लॉकडाउन किया.इस दौरान उन्होंने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा किमजदूरों को भाषण की नहीं राशन की है आवश्यकता है. कोरोना संकट को लेकर सिन्हा ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) की चेतावनी के बाद भी गुजरात में नमस्ते ट्रंप जैसे कार्यक्रम का आयोजन करना लापरवाही है.

ईटीवी भारतसे हुई शत्रुघ्न सिन्हा की बातचीत के अंश

सुशांत सिंह राजपूत के निधन और नेपोटिज्म पर की बात

सुशांत सिंह राजपूत के निधन पर उन्होंने कहा कि वह एक होनहार कलाकार था. उन्होंने फिल्मों में भाई-भतीजावाद पर अपनी राय बेबाकी से रखी.

चीन मुद्दे पर की बात

चीन मुद्दों पर उन्होंने कहां की मित्र दोस्तों के साथ खास तौर पर पड़ोसी देशों के साथ मिलकर रहने में ही भलाई है लेकिन सिर्फ झूला झूलने से काम नहीं चलेगा. उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अपनी सेना पर भरोसा है. राहुल गांधी के बयानों को गलत अर्थ में लिया गया. यह बहुत ही सेंसिटिव मुद्दा है. मैं अपने शहीदों को खासतौर पर बिहार रेजिमेंट के शहीदों को श्रद्धांजलि देता हूं उनके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करता हूं और मैं भव्य सानू मान लूंगा कि अगर मैं उनके कोई काम आ सकूं मैं धन्य हो जाऊंगा.

शत्रुघ्न सिन्हा से बातचीत1

बीजेपी में काफी समय बिताया

सिन्हा ने आगे कहा कि उन्हें बीजेपी के विचारधारा से कोई गुरेज नहीं है. उन्होंने काफी समय वहां बिताया है इसीलिए अभी भी भावनात्मक लगाव है. वह बीजेपी का हमेशा से आदर करते हैं.

मजदूरों की स्थिति पर बोले सिन्हा

लॉकडाउन में बिहार के मजदूरों की स्थिति पर शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि भाषण से नहीं राशन की आवश्यकता है. 1947 के बाद पहली बार सड़कों पर ऐसी दयनीय स्थिति देखने को मिली. मजदूर रोते हुए तड़पते हुए, भूख प्यास से बच्चे को सूटकेस के ऊपर लेकर नंगे पांव चलते हुए लोग घर लौट रहे थे. सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए था. प्रवासी मजदूरों को सहायता दी जानी चाहिए थी.

कोरोना के दौरान नमस्ते ट्रंप का आयोजन

सिन्हा ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि कोरोना महामारी को लेकर कहा किडब्ल्यूएचओ ने इस महामारी के बारे में कह दिया था कि यह पूरी दुनिया को प्रभावित करेगी, यानी कि सावधान कर दिया जा चुका था और हर मुकाम पर सावधान रहने की जरूरत थी. लेकिन उस दौरान सरकार द्वार नमस्ते नमस्ते ट्रंप का कार्यक्रम का आयोजन किया.

शत्रुघ्न सिन्हा से बातचीत-2

पीएम मोदी को मानता हूं दोस्त

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर शत्रुघ्न सिन्हा कहा कि उनको मैं सहयोगी भी मानता हूं दोस्त भी मानता हूं बहुत सालों से जानता हूं बहुत कद्र करता हूं . मैं उनका आभारी ही हूं कि वह मेरे बेटे की शादी में शामिल होने मुंबई आए . मैं उसके लिए आजीवन आभारी रहूंगा लेकिन मैं आज सैद्धांतिक दृष्टिकोण से पूरे सम्मान के साथ बात कर रहा हूं.

सरकार को इकोनामिक एक्सपोर्ट से करनी चाहिए थी बात

अनलॉक पर राहुल गांधी को लेकर राहुल गांधी के बयान पर उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने सही सलाह दी थी. अर्थिक स्थिति को संभालने के लिए केवल अनलॉक कर देना कोई समाधान नहीं है. सरकार को पहले मजदूरों के रहने, उन्हें खाने-पीने और उनको मूल भूत सुविधाएं देने का प्रबंध किया जाना चाहिए था. सरकार को मनमोहन सिंह से बात करनी चाहिए थी, यशवंत सिन्हा, अभिजीत बनर्जी जैसे इकोनामिक एक्सपोर्ट से बात की जानी चाहिए थी ऐसे लोगों से राय मशविरा किया जाना चाहिए था तो ज्यादा बढ़िया होता.

Last Updated : Jun 25, 2020, 9:38 AM IST

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