हैदराबाद : देश के जाने-माने अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, जो मूलरूप से बेल्जियम के हैं, पिछले 15-20 वर्ष से भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में काम कर रहे हैं. मनरेगा में इनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है. ईटीवी भारत के रीजनल एडिटर ब्रजमोहन सिंह से खास बातचीत में उन्होंने भारत की ग्रामीण अर्थव्यवस्था, गरीब और मजदूर जैसे विषयों पर अहम जानकारी साझा की है.
भारत की वर्तमान स्थिति किस ओर करवट ले रही है, इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि झारखंड और बिहार जैसे गरीब राज्यों में काफी गंभीर स्थिति आने वाली है. इसका कारण है रोजगार का अभाव. लॉकडाउन हटने के बाद भी दो-तीन महीने तक रोजगार के साधन नजर नहीं आ रहे हैं. बहुत जगहों से मजदूर लौट रहे हैं, जिससे श्रमिकों की संख्या बढ़ेगी और मोलभाव करने की क्षमता कम हो जाएगी. इस वक्त पूरे देश की दृष्टि मजदूरों पर ही है, क्योंकि वह सड़क पर हैं, लेकिन जो गरीब घरों में हैं, उन पर ध्यान कम जा रहा है. नतीजा झारखंड के लातेहार में जब एक पांच साल की लड़की की भूख से मौत हो जाती है, तब वह खबरों में आती है. ज्यां द्रेज ने कहा कि बिहार की स्थिति भी ऐसी है, वहां भी लगभग 50 प्रतिशत लोग ऐसे हैं, जिनके पास अपनी जमीन नहीं है. ऐसे लोगों को आगे के दिनों में मनरेगा के तहत ही कोई तात्कालिक रोजगार दिया जा सकेगा.
मजदूर जो वापस गए हैं, वह फिर से कमाने के लिए शहर जा सकते हैं. इसके बारे में आप क्या सोचते हैं? उन्होंने कहा कि मुझे लगता है कि अभी जो मजदूर वापस लौटे हैं, वह कुछ समय तक पलायन से बचने की कोशिश करेंगे, क्योंकि उनका बुरा अनुभव रहा है, लेकिन अंत में उन्हें जाना ही पड़ेगा. तब तक वह अपने आस-पास के शहरों में ही कुछ न कुछ करेंगे.
तात्कालिक तौर पर रोजगार गारंटी योजना का ही सहारा
झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों की क्या हकीकत है? क्या वहां रोजगार बढ़ाने के लिए कोई काम हो रहा है? इस सवाल पर ज्यां द्रेज ने कहा कि तात्कालिक तौर पर रोजगार गारंटी योजना ही ऐसे साधन है, जिससे लोगों को राहत दी जा सकती है. इसके लिए रोड मैप तैयार है. राजस्थान, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ जैसे राज्य इस योजना का अच्छे तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं. अभी अधिकतर लोगों की जिंदगी जन वितरण प्रणाली के सहारे चल रही है, लेकिन आगे तेल, साबुन, बच्चों की फीस आदि की जररूत पड़ेगी. इसके लिए उन्हें पैसा कमाना ही होगा.
हर राज्य में अलग हैं रोजगार की स्थितियां
मनरेगा तो तात्कालिक कदम है, क्या आपको लगता है सरकार को इससे आगे बढ़कर काम करने की जरूरत है, क्योंकि आधारभूत ढांचा पूरी तरह ढह गया है. इस सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि हर राज्य की स्थिति अगल-अगल है. झारखंड में बहुत सारे स्थानीय समाधान हैं, जिसका इस्तेमाल यहां के लोगों के लिए किया जा सकता है. यहां हॉर्टिकल्चर, कृषि, जड़ी-बूटी जैसे कई साधन हैं, जिसमें बहुत संभावनाएं हैं. बिहार में ऐसी सुविधा कम हैं. वहां मानव संसाधनों के माध्यम से काम किया जा सकता है. इस पर कम ध्यान दिया जाता है. पलायन पर ध्यान देने की जरूरत है. इसके लिए केरल का उदाहरण देख सकते हैं.
मनरेगा के लिए ज्यादा धन की होगी जरूरत
मनरेगा के ड्राफ्ट में आपकी भूमिका रही है. मनरेगा के लिए सरकार ने पहले से अधिक फंड दिया है. आपको लगता है कि लोगों को अपने क्षेत्र में रोजगार देने के लिए और अधिक फंड देने की जरूरत है? इस पर ज्यां द्रेज ने कहा कि मनरेगा को यदि ईमानदारी से लागू किया जाएगा, तो और अधिक फंड की जरूरत पड़ेगी, क्योंकि इन दिनों इसकी मांग बहुत अधिक है.
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